चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो पर भारतीय एजेंसियों का शिकंजा कसने से ड्रैगन टेंशन में आ गया है। चीन की चिंता इस वक्त इतनी बढ़ चुकी है कि वो बिलबिलाते हुए भारत को भरोसा घटने की दुहाई तक देने लगा है। दरअसल, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले के चलते वीवो प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रडार पर है। मंगलवार 5 जुलाई को ईडी ने वीवो के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई करते हुए उसके देशभर में मौजूद 44 शाखाओं पर छापे मारे। वीवो पर आरोप लगे है कि वो धन शोधन मामले में शामिल है। वीवो के विरुद्ध यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत की गई।
वीवो कंपनी से जुडे़ ठिकानों पर पड़े छापे
5 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में वीवो के ठिकाने पर छापे मारे थे। यह छापेमारी उसी मामले में हुई जिसकी सीबीआई द्वारा जांच पहले से ही जारी है। आरोप है कि भारत में स्थित चीनी कंपनियां धन शोधन के मामलों में लिप्त है। ईडी को शक है वीवो द्वारा भारत में अवैध रूप से बिजनेस कर पैसों की हेराफेरी की गई। यही नहीं एजेंसी को यह भी संदेह है कि चीनी कंपनी ने अवैध रूप से कमाई रकम को विदेशों में भेजा या फिर टैक्स डिपार्टमेंट और कानूनी एजेंसियों को धोखे में रखकर अन्य कारोबारों में लगाया।
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जहां एक ओर तो ईडी की कार्रवाई वीवो पर जारी है। वहीं इस बीच पूरे मामले से जुड़ी एक बड़ी खबर यह है कि इस बीच वीवो इंडिया के डायरेक्टर्स देश छोड़कर भाग चुके है। जानकारी के अनुसार वीवो इंडिया के डायरेक्टर्स जेंगशेन वू और झांग जी भारतीय एजेंसियों के कसते शिकंजे के बीच पिछले साल ही भारत छोड़कर जा चुके थे। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले साल ही वीवो पर इसके स्वामित्व और वित्तीय गड़बड़ी के मामले में जांच के आदेश दिए गए थे।
इस सबके बीच ईडी की इस कार्रवाई से चीन घबरा गया है। पूरे मामले को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग शाओजियान ने ईडी की वीवो पर कार्रवाई को लेकर कहा है कि इस तरह की जांच से भारत में बिजनेस का माहौल बिगड़ता है। प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि “हम पूरे मुद्दे को करीब से देख रहे है। हम उम्मीद करते है कि वीवो इंडिया के विरुद्ध जांच कानून के दायरे में होगी। चीनी सरकार द्वारा चीन की कंपनियों से हमेशा विदेशों में कानून और नियमों का पालन करने को कहा गया है। कंपनियों के अधिकार और हित की सुरक्षा के लिए चीनी सरकार सदैव उनके साथ खड़ी होती है।”
Response on the raid by the Indian authority on vivo India: We hope the Indian side will abide by laws as they carry out investigation&enforcement activities&provide a truly fair, just&non-discriminatory business environment for Chinese companies investing&operating in India. pic.twitter.com/LX27f7LFxr
— Wang Xiaojian (@ChinaSpox_India) July 6, 2022
इसके अलावा बयान में यह भी कहा कि “भारत द्वारा चीनी कंपनियों के विरुद्ध लगातार की जा रही जांच से कंपनियों का बिजनेस खराब होता है। इससे केवल कंपनियों की साख ही नहीं खराब होती, बल्कि भारत में व्यापार करने का माहौल भी बिगड़ता है। इससे चीन समेत अन्य देशों की कंपनियों का भारत में निवेश करने और ऑपरेट करने का विश्वास भी टूटता है।”
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पूरे मामले को लेकर प्रश्न यह भी उठते है कि भारत में वीवो के विरुद्ध हो रही कार्रवाई को लेकर आखिर चीन को इतनी समस्या हो क्यों रही है? भारतीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई से आखिर चीन क्यों इतना घबरा गया कि उसके विदेश मंत्रालय को आगे आकर जवाब देना पड़ा? वहीं दूसरा प्रश्न यह है कि आखिर वीवो भारत में ऐसा क्या खेल चला रहा था, जो जांच एजेंसियों की रडार पर आते ही उसके डायरेक्टर यूं भारत छोड़कर भाग खड़े हो गए?
वैसे देखा जाए तो वीवो ऐसी पहली चीनी कंपनी नहीं जिस पर भारत में धोखाधड़ी से व्यापारी करने के आरोप लगे हो। इससे पूर्व अप्रैल माह में ही प्रवर्तन निदेशालय ने शाओमी इंडिया की 5,551 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी। शाओमी के विरुद्ध यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 के तहत की गई थी। इसके अलावा दिसंबर 2021 में आयकर विभाग ने वीवो, ओप्पो समेत कई चीनी स्मार्टफोन कंपनियों के ठिकानों पर छापे मारे थे। तब आरोप यह लगाए गए थे यह कंपनियों पर भारत के वीजा नियमों का उल्लंघन करने के साथ ही टैक्स चोरी के भी आरोप लगे थे। गौर करने वाली बात यह भी है कि केवल भारत ही नहीं अन्य भी देशों में चीनी कंपनियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके है। इस कारण ही यूरोप और अमेरिका में कई चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट भी किया जा चुका है।
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