चीनी कंपनियों का भारत में भविष्य खतरे में पड़ता हुआ दिख रहा है। एक के बाद एक कई चीनी कंपनियां जांच एजेंसियों की रडार पर आ रही है। फिर चाहे वो वीवो हो, ओप्पो या फिर शाओमी। यह सभी कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में लिप्त पाई जा रही है। वहीं इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दूरसंचार उपकरण आपूर्तिकर्ता ZTE कॉर्प और आयकर विभाग के बीच एक मामले में टैक्स से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े किए है। जिनका असर उन अन्य चीनी कंपनियों पर भी पड़ सकता है, जो इसी तरह के कर से जुड़े मामलों में जांच का सामना कर रही है।
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टैक्स चोरी मामले में कई चीनी कंपनियां रडार पर
दिल्ली हाईकोर्ट ने ZTE कॉर्प से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए प्रश्न उठाए है कि क्या विदेशी मूल कंपनी से आपूर्ति के कारण कर योग्य आय के लिए भारत में एक चीनी फर्म की स्थायी सहायक कंपनी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। अदालत ने पूछा कि अगर हां, तो लाभ की दर क्या हो सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या कोई चीनी फर्म विपणन सेवाओं के लिए किसी भारतीय इकाई को भुगतान के खिलाफ खर्चों को समायोजित करने की हकदार है।
बता दें कि जेडटीई कॉर्प वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों में जांच का सामना कर रही है। ZTE कॉर्प ने 2016-17 और 2017-18 के लिए दो वित्तीय वर्षों के लिए आयकर विभाग द्वारा जारी मूल्यांकन आदेशों को चुनौती दी थी। जून 2021 में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने कंपनी की चुनौती को आंशिक रूप से ही इजाजत दी। इसके बाद जेडटीई द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अब टैक्स से जुड़े मामलों को लेकर हाई कोर्ट ने अहम प्रश्न पूछे है, जो भारत में चीनी कंपनियों का भविष्य तय कर सकते है।
देखने को मिलता है कि चीनी कंपनियां व्यापार के लिए चुनती तो भारत को है, भारत में व्यापार कर मोटी कमाई करती है परंतु जब टैक्स की बात आती है तो यह सरकार को चूना लगाने के लिए तमाम प्रयास करती है। कई चीनी कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी से जुड़े मामलों में जांच का सामना कर रही है।
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चीनी कंपनियों पर अब लगेगा लगाम
हाल ही में इनकम टैक्स विभाग की जांच में खुलासा हुआ कि हुवावे की भारतीय यूनिट ने बीते दो साल में कई गड़बड़ियां की हैं। आयकर विभाग ने अपनी जांच में पाया कि हुवावे इंडिया ने चीन में अपनी पैरेंट कंपनी को डिविडेंड के तौर पर 730 करोड़ रुपये भेजे थे। परंतु हुवावे इंडिया ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अपनी टैक्सेबल इनकम को काफी कम करके दिखाया। कंपनी ने कहा कि इस दौरान उनकी कमाई में भारी कमी आई है।
हुवावे के अलावा चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो भी जांच एजेंसियों की रडार पर है। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वीवो इंडिया के देशभर में मौजूद ठिकानों पर छापे मारे थे। इसके अलावा जानकारी तो यह तक सामने आई है कि ईडी की कार्रवाई से वीवो इंडिया के डायरेक्टर्स इस कदर घबरा गए कि वो देश छोड़कर ही भाग गए।
इसके साथ अन्य चीनी कंपनियों की बात करे तो ओप्पो पर 4389 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगा है। वही अप्रैल माह में ही प्रवर्तन निदेशालय ने शाओमी इंडिया की 5,551 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है। इन सबसे साफ है कि चीनी कंपनियां धोखा से भारत में अपने बिजनेस को आगे बढ़ाती आ रही है। ऐसे में अब इन चीनी कंपनियों पर लगाम लगाने और भारत से इन्हें बाहर फेंकने का समय आ गया है।
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