कभी पता चला कि NDTV के पीछे वाला NDTV क्या है? दूरदर्शन आपको बताएगा, बहुत प्रेम से

NDTV को कब समझ आएगा कि झूठ और चोरी की बुनियाद खोखली होती है

NDTV

देश का पैसा, देश के ही संसाधनों का उपयोग कर देश विरोधी एजेंडे को संचालित करने वाला NDTV सच में कैसे NDTV  बना इसकी कहानी कभी बाहर नहीं आयी पर जिस तन लागे सो तन जाने, कोई न जाने पीर पराई की तर्ज़ पर जो उस कहानी का हिस्सा रहे आज वो उसे दुनिया के सामने लाने में क्षणभर नहीं लगा रहे। यही कारण है कि आज  NDTV का काला काल सबके सामने है और वास्तविकता तो यह है कि NDTV का यह सफर एक चोरी से शुरू हुआ और शायद  चोरी पर ही ख़त्म हो जाएगा।

इस बार सबूत और गवाह दोनों इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि NDTV का अस्तित्व ही चोरी पर टिका है, बस अब इस चोरी के सामने आते ही  NDTV का समूल नाश तय ही समझिए।

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असल में NDTV के पीछे का NDTV क्या है?

कभी पता चला कि असल में NDTV के पीछे का NDTV क्या है? दूरदर्शन इस बार आपको बता रहा है वो भी प्यार से! दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार और डीडी न्यूज के सीनियर कंसल्टिंग एडिटर और एंकर,अशोक श्रीवास्तव के एक खुलासे से पूरे लिबरल गैंग की छाती पर सांप लोट गए। श्रीवास्तव ने क्षणभर में वामपंथियों की चरण वंदना करने के लिए ख्यातिलब्ध NDTV के उस चेहरे को बेनकाब कर दिया जो अब तक एक अनसुनी कहानी की तरह बहुत कम लोगों के ज़हन में विद्यमान था।

एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें अशोक श्रीवास्तव, तत्कालीन डीडी न्यूज के महानिदेशक भास्कर घोष और उनके घोटाले को उजागर कर रहे हैं जो उन्होंने  दूरदर्शन के महानिदेशक रहते हुए किया था। बताते चलें कि, भास्कर घोष की बेटी वही सागरिका घोष हैं जिनका नाम लिबरल और वामपंथी पत्रकारों में अव्वल नंबर पर आता है और उन्हीं राजदीप सरदेसाई के ससुर भी हैं जिन्हें आज तक कोई सीरियस लेता ही नहीं।

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अब जब भास्कर घोष का कुनबा ही कुछ ऐसा है तो निस्संदेह दूरदर्शन के महानिदेशक रहते हुए उनका कांड भी आलादर्जे का रहा होगा। अब उसी का खुलासा करते हुए  वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि NDTV ने कांग्रेस सरकार के दौरान अपने फायदे के लिए सरकारी संपत्तियों का इस्तेमाल किया। अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि NDTV ने लाभ कमाने, नाम बनाने और स्थायित्व जमाने और चैनल स्थापित करने के लिए दूरदर्शन के टेप और उपकरण चुराए जिसके बल पर बाद में NDTV ने कई लाभ हासिल किए। इस पूरी हेर-फेर के दौरान भास्कर घोष ने सक्रिय रूप से NDTV को ऐसा करने में मदद की, इस तरह के आरोप हैं। अब चूंकि कांग्रेस का शासन था, स्वयं भास्कर घोष दूरदर्शन के महानिदेशक पद पर आसीन थे तो कौन ही सवाल खडे करता, कोई क्यों ही यह दुश्मनी मोल लेता और अपनी नौकरी को दांव पर लगाता।

ऐसे में यह तो सिद्ध हो गया कि देश विरोधी एजेंडे में सदा सर्वदा से तल्लीन NDTV की स्थापना ही चोरी की नींव पर हुई, नींव में ही घोटाला था इसी के परिणामस्वरूप आज NDTV के हालात देश के किसी भी नए स्टार्टअप से अधिक गई बीती हो चुकी है। वस्तुतः आज NDTV से संबंधित इस खुलासे के बाद वो सब आरोप लेसमात्र नज़र आते हैं जहां उस पर करोडों रुपये की हेर-फेर और धांधली के सबूत और आरोप सिद्ध  हो चुके हैं।

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SAT ने निर्देश जारी किया था

पिछले साल जनवरी में सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल यानी SAT ने यह निर्देश जारी किया था कि एनडीटीवी के प्रमोटर्स प्रणय रॉय और राधिका रॉय को गैर कानूनी तरीके से कमाई गई रकम का 50 फीसदी जमा करने होंगे।

गौरतबल है कि Securities and Exchange Board of India-SEBI ने नवंबर 2020 में NDTV के प्रवर्तकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय को इनसाइडर ट्रेडिंग से अनुचित लाभ उठाने का दोषी पाया था। इसके बाद वित्तीय अपराध के लिए दंड के रूप में SEBI ने उन्हें प्रतिभूति बाजार में दो साल के लिए व्यापार करने से रोक दिया था। इसके साथ ही दोनों को 12 साल पहले की इनसाइडर ट्रेडिंग के जरिए अवैध तरीके से कमाए गए 16.97 करोड़ रुपए लौटाने के लिए भी कहा गया था।

यह सब अब क्षणभंगुर लग रहा है क्योंकि असल कर्मकांड तो NDTV ने अपनी स्थापना के समय से ही करने प्रारंभ कर दिए थे। उसी का एक अंश यह भी था जो अशोक श्रीवास्तव ने हाल में बताया था जहां उसने किस प्रकार स्थायित्व जमाने और चैनल स्थापित करने के लिए दूरदर्शन के टेप और उपकरण चुराए और वो सबकुछ हासिल किया जो बिना चोरी किए NDTV कभी हासिल नहीं कर सकता था।

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