कहते हैं कि झूठ सच से ज्यादा तेजी से फैलता है। आज के समय के हिसाब से देखें तो यह बात एकदम सही साबित होती हुई भी नजर आती है। झूठी खबरों के इस दौर में असली और सच्ची खबरें कही ना कही लोगों से दूर रह जाती है। सोशल मीडिया पर वैसे तो आए दिन कोई ना कोई फर्जी खबर फैलती हुई दिख ही जाती है। परंतु हद तो तब हो जाती है जब समाचार पहुंचाने वाले कई मीडिया संस्थान ही फेक न्यूज लोगों तक पहुंचाने का काम करने लगते है।
हाल ही में ऐसा ही कुछ “इंडियन एक्सप्रेस” नाम के एक मीडिया संस्थान द्वारा भी किया गया। इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में एक खबर प्रकाशित कर दावा किया कि अग्निपथ स्कीम योजना में आरक्षण लागू है। दरअसल, बुधवार 20 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में जानकारी दी गई कि केंद्रीय सशस्त्र सैन्य बलों (CAPF) या अर्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए अग्निवीरों को 10 फीसदी का आरक्षण मिलेगा। साथ ही यह भी बताया गया कि अग्निवीरों को आयु सीमा और शारीरिक मांपदंडों में छूट मिलेगी।
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परंतु सरकार द्वारा दिए गए इस बयान का ही इस्तेमाल इंडियन एक्सप्रेस ने इसे अलग ही तरीके से खबर बनाकर लोगों के सामने पेश कर दिया। 21 जुलाई को प्रकाशित की गई अपनी एक खबर में इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया कि सरकार ने कहा है कि “अन्य सेवाओं की तरह, अग्निपथ योजना में भी आरक्षण लागू है।” जबकि राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने अग्निवीरों को यानी जो अग्निवीर चार वर्षों तक सेवा देने के बाद रिटायर हो जाएंगे उन्हें अर्धसैनिक बलों की भर्ती में 10 प्रतिशत का आरक्षण देने की बात कही थी।
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में झूठा दावा किया कि अग्निपथ स्कीम में 15 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति (SC), 7.5 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (ST) और 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित होगी। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। सच्चाई यह है कि किसी भी सेना में भर्ती के लिए आरक्षण लागू नहीं होता। इसी तरह अग्निवीर में भी किसी तरह का आरक्षण लागू नहीं होगा। वहीं, केंद्रीय सशस्त्र सैन्य बलों (CAPF) में आरक्षण की व्यवस्था है।
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इंडियन एक्सप्रेस की पोल खुल गयी
इंडियन एक्सप्रेस ने खबर छापते हुए इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि सेना रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत और CAPF गृह मंत्रालय के अधीन आता है। अग्निवीरों में भर्ती के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण वाला मंत्रालय गृह मंत्रालय की तरफ से दिया गया था। वे अग्निवीर योजना में भर्ती पर कोई टिप्पणी क्यों करेगा, जो रक्षा मंत्रालय के अधीन है। ऐसे में दोनों के बीच फर्क ना समझते हुए इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से यह फर्जी खबर प्रकाशित कर दी गई। हालांकि जब इंडियन एक्सप्रेस की पोल खुलने लगी, तो उसने बड़ी ही चालाकी दिखाते हुए फेक न्यूज वाले उस पुराने खबर को एडिट करके बदल दिया।
वैसे देखा जाए तो शुरू से ही अग्निपथ योजना विवादों में घिरी हुई है। जब से ही केंद्र सरकार द्वारा योजना की घोषणा की गई, तब से ही इसको लेकर तरह तरह की फर्जी और भ्रामक बातें फैलाई जा रही है, जिसके बाद अग्निपथ को लेकर काफी बवाल भी होता हुआ दिखा था। वहीं, बीते दिनों योजना को लेकर एक और फर्जी खबर यह फैलाई गई थी कि सरकार द्वारा अग्निपथ योजना में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। विपक्षी नेताओं समेत कई लोगों ने दावा किया कि इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब सेना में भर्ती के लिए उम्मीदवारों से उनकी जाति पूछी जा रही है। वहीं PIB ने फैक्ट चेक करके इस दावे के पीछे की हकीकत बताई। PIB ने इस दावे को फर्जी करार दिया और बताया कि सेना भर्ती में जाति प्रमाण पत्र दिखाने का प्रावधान नया नहीं है। यह पहले से ही है। जाति प्रमाणपत्र को लेकर विशेष तौर पर अग्निपथ में कोई बदलाव नहीं किया गया।
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