यूक्रेन के साथ युद्ध के दौरान जहां दुनिया के अधिकतर देश रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाकर उसे अलग-थलग करने के प्रयासों में जुटे हैं, वहीं भारत इन हालातों में भी रूस के साथ एक सच्चे दोस्त की तरह दृढ़ता से खड़ा है। अमेरिका के तमाम दबावों के बाद भी भारत ने रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंध जारी रखे। भारत लगातार रूस से कम दाम में तेल खरीद रहा है। इसके अलावा भारत बड़े स्तर पर रूस से खाद की भी खरीददारी कर रहा है।
भारत ने रूस से डीएपी आयात किया
खाद की कमी के बीच भारत ने रूस से तकरीबन 3.5 लाख टन डाई-अमोनियम फॉस्टवेट (डीएपी) का आयात किया। इसके साथ ही रूस, भारत का DAP उर्वरक के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है। अप्रैल से जुलाई की अवधि के दौरान रूस से भारत ने 920-925 डॉलर प्रति टन की लागत से कुल DAP आयात 3.5 लाख टन का करार किया है। यह आयात ऑर्डर इंडियन पोटास लिमिटेड, राष्ट्रीय कैमिकल फर्टिलाइजर्स, चंबल फर्टिलाइजर्स और कृषक भारती कोऑपरेटिव को मिला है। इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने कुल 58.60 लाख टन डीएपी खाद खरीदी थी, जो मुख्य रूप से चीन, सऊदी अरब और मोरक्को से आयात की गई थी।
भारत द्वारा DAP की खरीद के लिए भुगतान की गई यह राशि अन्य देशों की तुलना में कम है। इससे कम मूल्य पर किसी दूसरे देश को डीएपी खाद नहीं मिला। बांग्लादेश ने 1020-1030 डॉलर प्रति टन के मूल्य पर 8 लाख के करीब खाद के लिए वार्षिक टेंडर दिया। इसके अलावा पाकिस्तान अब तक 1,030 डॉलर प्रति टन पर भी अब तक डील फाइनल नहीं कर सका। वहीं इंडोनेशिया और थाइलैंड ने 992 और 1000 डॉलर प्रति टन पर करार किया।
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डीएपी की खपत करने वाला भारत एक बड़ा देश है। रूस से पहले चीन भारत का डीएपी खाद के लिए सबसे बड़ा सप्लायर हुआ करता था। इसके अलावा सऊदी अरब और मोरक्को जैसे देश भी भारत के मुख्य आपूर्तिकर्ता थे। परंतु इस वक्त यूक्रेन के साथ युद्ध की वजह से रूस कई देशों द्वारा लगाए गए तमाम प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जिसके कारण उसके पारंपरिक खरीददार कम हुए। ऐसे में भारत इस मौके का पूरा लाभ उठाते हुए कम कीमत पर रूस से तमाम चीजें आयात कर रहा है और साथ ही उसके साथ अपने अच्छे संबंध भी बरकरार रख रहा है।
भारत को रूस के साथ किए गए इस करार से कई लाभ होंगें। इससे खाद की किल्लत तो दूर होगी ही इसके अलावा किसानों को भी लाभ होगा। उन्हें कम कीमत पर खाद मिलेगी जिससे खर्च में भी कमी आ सकती है। इसके अलावा डीएपी के दूसरे सप्लाइयर जैसे मोरक्को के ओसीपी समूह, चीन के वाईयूसी, सऊदी अरब के माडेन और एसएबीआईसी पर भी दबाव बढ़ सकता है। बाजार में हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए यह भी अपनी कीमत कम करने को मजबूर हो सकती है। इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के अनुसार कम मूल्य पर खाद आयात करने का करार एकदम सही समय पर किया गया, क्योंकि खरीफ सीजन के लिए बुआई शुरू हो गई और जुलाई तक यह अपने चरम पर होगी।
भारत रूस से रिकॉर्ड तेल भी खरीद रहा है
संकट के इस समय में भारत रूस से रिकॉर्ड तेल भी खरीद रहा है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत को रूस ने 30 डॉलर प्रति बैरल की काफी कम कीमत का प्रस्ताव दिया था और भारतीय कंपनियों द्वारा इस मौके को हाथों-हाथ लिया गया। इस समय रूस फिलहाल भारत को प्रतिदिन करीब 12 लाख बैरल तेल की सप्लाई कर रहा है जो इराक और सऊदी अरब के बराबर ही है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि फरवरी तक जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई थी, तब तक रूस, भारत को न के बराबर तेल आयात करता था। उस दौरान भारत केवल 0.2 फीसदी तेल ही रूस से खरीदता था। परंतु अब इसमें 50 गुना अधिक का इजाफा हो गया है। अप्रैल में भारत के तेल आयात में रूस की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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भारत और रूस दशकों से काफी अच्छे साझेदार रहे है। अब मुश्किल हालातों में रूस के साथ यूं खड़े होकर भारत ने रूस के साथ अपने संबंध और बेहतर कर लिए। इसके अलावा भारत ने अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों को आईना भी दिखा दिया कि वो अब उनके दबावों और धमकियों के आगे झुकेगा नहीं और अपने लाभ के अनुसार फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है।
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