कुछ ऐसे प्राणी होते हैं कि दुनिया में कुछ भी हो, कार्यक्रम किसी भी जगह प्रारंभ हो, किसी के यहां कुछ अच्छा हो या बुरा, दर्द इन्हें अवश्य होता है। पाकिस्तान की लाइलाज बीमारी से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है, परंतु उसके सानिध्य में जो रोग चीन को लगा है, या यूं कहिए कि चीन की जो खुजली अब तक छिपी हुई थी, वह सबके समक्ष आ रही है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे कश्मीर में होने वाले G20 सम्मेलन से पाकिस्तान के साथ चीन को भी विशेष पीड़ा हो रही है।
जी हाँ, चीन को इस बात से आपत्ति है कि G20 सम्मेलन भारत में क्यों हो रहा है और अगर हो रहा है तो कश्मीर में क्यों हो रहा है। चीन ने गुरुवार को भारत के G20 सम्मेलन की योजना पर विरोध जताया और पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि भारत इस बैठक को राजनीतिक रूप देने से बचे। वहीं, चीन से जब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर परियोजना को लेकर सवाल पूछा गया तो उसने दावा किया कि यह ‘पूरी तरह से अलग मामला’ है और ‘आजीविका’ बढ़ाने के लिए है।
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इससे पहले पाकिस्तान G20 सम्मेलन कराने की भारत की योजना से बौखला गया था और उसने इस संगठन में शामिल अपने दोस्त चीन, तुर्की आदि से मदद की गुहार लगाई थी। अब पाकिस्तान के इशारे पर चीन ने भारत की कश्मीर योजना का खुलकर विरोध किया है। चीन ने कहा कि संबंधित पक्ष को इस सम्मेलन के राजनीतिकरण से बचना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने कहा, “हमने प्रासंगिक सूचना को नोट किया है।” उन्होंने कहा, “चीन की कश्मीर पर स्थिति साफ है और सतत है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से चला आ रहा मुद्दा है। इसका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय सहमतियों के अनुसार उचित समाधान निकालना चाहिए।”
अब सुनो चीन, और ध्यान से। अगर गलवान की कुटाई से मन न भरा हो, तो आसपास ध्यान से देख लो। वुहान वायरस पर जो तुमने नौटंकी की थी, उससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं है और अभी भी जिनपिंग महोदय के अंदर इतना साहस नहीं है कि वह आंख में आंख मिलाकर सम्पूर्ण संसार से बेधड़क होकर इस विषय पर चर्चा भी कर सके। रही बात G20 सम्मेलन की, तो सम्मेलन की व्यवस्था हमारी, भूमि हमारी, जगह हमारा, हम कहां कराएं, कैसे कराएं, इससे तुम्हें किस बात की समस्या है?
और ध्यान रहे कि अब ये वो भारत नहीं कि एक बार ऊंची आवाज में बात कर दिए तो ‘जी मालिक’, ‘हाँ मालिक’ करके अपनी अक्षुण्णता और अखंडता से समझौता कर लें। अब हमारा देश अपने आत्मसम्मान के लिए अमेरिका तक को हड़का सकता है, तो तुम किस खेत की मूली ठहरे? अरे लड़ने का इतना ही मूड था तो तनिक मैदान पर दो दो हाथ करते, पर जिसकी आड़ में तुम भारत पर कीचड़ उछाल रहे हो, उसे देख तो स्वयं बाइडन भी माथा पर हाथ रखकर बैठा होगा! अब चीन चाहे जो कहे, परंतु इतना तो स्पष्ट है कि G20 के कश्मीर में आयोजित होने से उसके प्रभुत्व के खत्म होने का खतरा स्पष्ट दिख रहा है और POK के पश्चात अगला नंबर उसे अपने नियंत्रण वाले ‘अक्साई चिन’ का ही दिख रहा है और ये डर अच्छा है, बना रहना चाहिए।
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