जीवन में प्रसिद्धि हासिल करने का क्या तरीका हो सकता है? महाकवि कालिदास ने अभिज्ञान शाकुंतलम समेत कई महान ग्रंथों की रचना की। तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की और तब जाकर उन्हें प्रसिद्धि मिली, वीर सावरकर ने काला पानी की सजा काटी, झांसी की रानी ने अपना जीवन बलिदान कर दिया और फिर अपने सिद्धातों के लिए प्रसिद्धि पायी लेकिन क्या आज के वक्त में प्रसिद्धि पाना इतना ही मुश्किल रह गया है।
आज के समय में सोशल मीडिया के द्वारा फेमस होना आसान है
सोशल मीडिया के इस युग में प्रसिद्ध होना कोई बड़ी बात नहीं रह गयी है। आप देखेंगे कि आज कैसे लोग कुछ भी विवादित बोलकर या फिर कोई वीडियो बनाकर रातों-रात फेमस हो जाते हैं, वायरल हो जाते हैं। तो वहीं पहले लोग प्रसिद्ध होने के लिए पूरी जिंदगी मेहनत करते थे, काम करते थे, लेकिन आज के समय में प्रसिद्धि इंस्टेंट नूडल्स की तरह हो गयी है, जहां केवल 60 सेकेंड का वीडियो बनाकर लोग मशहरू जो जाते हैं, सेलिब्रिटी हो जाते हैं, वायरल हो जाते हैं, इन्फ्लूएसंर हो जाते हैं, परंतु देखा जाए तो यह 60 सेकेंड में सेलिब्रिटी बनने का नशा और उस 60 सेकेंड के वीडियो को देखने की लत हमारे देश के युवाओं को बर्बाद कर रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे 60 सेकेंड की वीडियो क्रांति भारत के लिए ख़तरा बन गयी है।
भारत में वैसे तो इंटरनेट की शुरुआत वर्ष 1995 में ही हो गयी थी। परंतु कुछ वर्षों पहले ही देश में इंटरनेट क्रांति आयी। यह वो दौर था जब शहरों के साथ भारत के गांव-गांव में स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा पहुंचनी शुरू हुई। लोग फेसबुक (Facebook), यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से परिचित हुए। ये वही दौर था जब जियो डेटा के खेल को बदल रहा था। डेटा सस्ता हो रहा था, केंद्र में मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया के मिशन की शुरूआत कर दी थी।
इसी दौरान भारत में विशाल इंटरनेट मार्केट को देखते हुए चीनी कंपनी टिकटॉक ने भारत में एंट्री की। टिकटॉक ने भारत में वीडियो देखने के तरीके को ही बदलकर रख दिया। जहां पहले लोग लंबे-लंबे वीडियो देखा करते थे, टिकटॉक के आते ही लोगों को 60 सेकेंड में शॉर्ट वीडियो देखने की लत लग गयी। महज 60 सेकेंड के अंदर यह लोगों का भरपूर मनोरंजन करने लगीं, जिसके कारण बड़ी संख्या में भारतीय युवा इस ओर आकर्षित हुए। देखते ही देखते टिकटॉक अन्य मशहूर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पीछे छोड़ने लगा। टिकटॉक पर वीडियो बनाने के लिए युवा कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो गए। हालांकि अंत में भारत सरकार ने इसे देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए वर्ष 2020 में बैन कर दिया।
और पढ़ें- कैसे कैडबरी डेरी मिल्क ‘चॉकलेट उद्योग’ का फेसबुक बन गया, यहां समझिए
TikTok गया लेकिन शॉट वीडियो की बीमारी दे गया
टिकटॉक (TikTok) तो भारत से चला गया, परंतु शॉर्ट वीडियो नहीं गए, टिकटॉक की लोकप्रियता दूसरी सोशल मीडिया कंपनियों ने देखी थी। उन्हें पता था कि लोग शॉर्ट वीडियो के आदी हैं, ऐसे में उन्होंने लोगों की इस लत का फायदा उठाया, फेसबुक (Facebook) और इंस्टाग्राम पर इसके बाद ही रील्स का कॉन्सेप्ट आया। आज के समय में देखें तो बड़ी संख्या में इंस्टाग्राम, फेसबुक पर भारतीय रील्स की लत का शिकार हैं और इसके जरिए अपने भविष्य को अंधकार की तरफ लेकर जा रहे हैं।
शॉर्ट वीडियो या रील्स का यह जो कॉन्सेप्ट है वो हर किसी के लिए नुकसानदेह है। युवा एक बड़ा समय इन रील्स को देखने में ख़राब कर रहा है। देखने को मिलता है कि जब कोई इन वीडियो को देखने के लिए बैठता है तो उसका घंटों का समय कहां बीत जाता है पता ही नहीं चलता। यह वो समय होता है, जिसका उपयोग युवा अपने भविष्य को बनाने के लिए कर सकते हैं। अब अगर उस समय को वो रील्स देखने में बिताएंगे तो स्वयं का भविष्य कैसे बनाएंगे? कोई भी देश युवाओं से ही चलता है, परंतु युवा अगर बैठकर रील्स देखते रहेंगे तो देश आखिर तरक्की कैसे करेगा?
और पढ़ें- फेसबुक के बुरे एल्गोरिदम के पीछे ‘शेरिल सैंडबर्ग’ का असली दिमाग !
शॉर्ट वीडियो की लत युवाओं को ले डूबेगी!
किसी व्यक्ति को जैसे सिगरेट पीने की लत लगती है, ठीक वैसे ही लत शॉर्ट वीडियो से भी लग जाती है, जो बहुत चाहने के बाद भी छूट नहीं पाती। इसके अलावा भी इसके कई तरह के नुकसान है। शारीरिक तौर पर निरंतर कई घंटे बैठकर एकटक रील्स देखने से युवाओं में कई तरह की शारीरिक बीमारियां भी सामने आ रही हैं।
रील्स बनाने के लिए युवा आज किसी भी हद से गुजरने के लिए तैयार हैं। रील्स के माध्यम से अश्लीलता को बढ़ावा देने के प्रयास भी होने लगे हैं। वीडियो पर महज व्यूज़ हासिल करने के उद्देश्य से शॉर्ट वीडियो के जरिए अश्लील और बेहद ही घटिया कॉन्टेंट परोसा जा रहा है जो वीडियो बनाने वाले और देखने वाले दोनों के मानसिक स्वास्थ को प्रभावित करते हैं। कई लोग तो व्यूज बढ़ाने के लिए अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी रील्स पर एक्सपोज़ कर देते हैं, रील्स में हमने कितनी ही बार देखा है कि माताएं अपनी नाबालिग बेटियों से वीडियो बनवाती हैं। कई लोगों ने तो उसे पैसे कमाने का माध्यम ही बना लिया है, अब आप सोचिए कि जो नाबालिग लड़की रील्स के लिए नाच रही है वो कैसे समझ पाएगी की उसका जीवन किस ओर जा रहा है और असल में किस और जाना चाहिए।
और पढ़ें- फेसबुक के नए अवतार ‘Meta’ का स्याह पक्ष, जिसे जानना सबके लिए जरुरी है
इन सब चीजों को देखते हुए यह साफ हो जाता है शॉर्ट वीडियो ना सिर्फ बनाने वाले के लिए बल्कि देखने वाले के लिए भी नुकसानदेह ही है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि 60 सेकेंड के वीडियो के जरिए फेमस होना आसान और शॉर्टकट ज़रूर है परंतु यह भारत के भविष्य के लिए बहुत खतरनाक है।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।