पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। कोरोना के बाद कथित महाशक्तियों समेत विकसित देशों की अर्थव्यवस्था भी गर्त में समाती दिख रही है लेकिन इन सभी के बीच सिर्फ भारत ही है जिसकी अर्थव्यवस्था द्रुत गति से सरपट भागते जा रही है। देश के ऐसे कई क्षेत्र हैं जो पिछले कुछ वर्षों में सुर्खियों में आए हैं। उनमें से एक सेमीकंडक्टर उद्योग भी है। विश्वभर में इसकी जितनी मांग है उतनी ही इसकी कमी के चलते परेशानियां भी। सेमीकंडक्टर जो कार, टीवी, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल आदि के निर्माण के लिए आवश्यक घटक है उसकी मांग इतनी है कि सेमीकंडक्टर का यह उद्योग अपने साथ रोजगार और अर्थव्यवस्था कई गुना बढ़ाने की ताकत रखता है और भारत सरकार अच्छे से यह बात समझ रही है।
वर्तमान में भारत अपनी जरूरत के लगभग सभी सेमीकंडक्टर्स का आयात करता है। इसकी मांग वर्ष 2021 में लगभग 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी जो अब 2025 तक $100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में यदि भारत के लिए इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर्स भारत में ही बनाये जाएं और अन्य देशों को निर्यात भी किया जाए तो ये भारत की अर्थव्यवस्था को कई गुना बढ़ा सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिसंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग और फैब्रिकेशन इकाइयों को प्रोत्साहित करने हेतु 76,000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme) को मंजूरी दी थी।
योजना के हिस्से के रूप में सिलिकॉन सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन, पैकेजिंग, डिज़ाइन, डिस्प्ले फैब्रिकेशन, कंपाउंड सेमीकंडक्टर और सिलिकॉन फोटोनिक्स निर्माण इकाइयों के लिए प्रोत्साहन की योजना बनाई गई है। केंद्र सरकार का हमेशा से प्रयास रहा है कि देश के अंदर ऐसा माहौल बने कि भारत में सेमीकंडक्टर जैसे नए सेक्टर्स के विकास की संभावनाएं बढ़ जाए। बीते कुछ समय की बात करें तो देश के सेमीकंडक्टर सेक्टर में जबरदस्त उछाल आया है। भारत सरकार चाहती है कि इस क्षेत्र में देश नए कीर्तिमान स्थापित करे। यही कारण है कि इतने कम समय में भारत तेजी से इस क्षेत्र में अपने पैर जमाना आरंभ कर चुका है।
इन कंपनियों को मिल गई है सरकारी मंजूरी
सरकार के इस प्रस्ताव के बाद आईटी मंत्रालय को देश में सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए तीन आवेदन प्राप्त हुए जिन्हें सरकार की ओर से मंजूरी भी मिल गई है। इसमें आईएसएमसी (ISMC), वेदांता (VEDANTA) और सिंगापुर स्थित आईजीएसएस (IGSS) वेंचर्स शामिल हैं। अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने भारत में एक कारखाना बनाने के लिए ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज फॉक्सकॉन के साथ करार किया है। वहीं, ISMC ने कर्नाटक में अपनी इकाई खोलने का फैसला किया है जबकि वेदांता-फॉक्सकॉन अभी भी एक स्थान की तलाश में है। सिंगापुर स्थित आईजीएसएस वेंचर्स भी अपने कारखाने के लिए स्थान ढूंढ रहा है।
सरकार द्वारा देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब हब स्थापित करने हेतु अरबों डॉलर की इस परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य का एकमत होना भी जरुरी है। इस इकाई के लिए अच्छी ज़मीन, कर्मचारियों के आवास, पर्याप्त कच्चे माल की आपूर्ति और अति शुद्ध पानी जैसे कारकों की आवश्यकता होगी। वहीं, संयंत्र का स्थान, वित्तीय सहायता और एक तकनीकी भागीदार की उपस्थिति केंद्र के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा अन्य आवश्यक चीजें जैसे कि निर्बाध बिजली, शुद्ध पानी की प्रचुरता और प्रतिभा की आपूर्ति भी इस सपने को साकार करने के लिए आवश्यक है। भारत में सेमीकंडक्टर की बहुत मांग है और इसकी अनुपस्थियति में दोपहिया निर्माता TVS सहित कई उपभोगताओं को सेमीकंडक्टर की कमी के कारण नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में देश में सेमीकंडक्टर उद्योग का होना और भी आवश्यक हो गया है।
सेमीकंडक्टर का हब बन जाएगा भारत
सेमीकंडक्टर के लिए आवेदन करने वाली तीन कंपनियों में से एक वेदांता लिमिटेड एक भारतीय बहुराष्ट्रीय खनन कंपनी है। यह दुनिया की अग्रणी तेल, गैस और धातु कंपनियों में से एक है जो भारत, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया में तेल और गैस, जस्ता, सीसा, चांदी, तांबा, लौह अयस्क, स्टील और एल्यूमीनियम और बिजली में महत्वपूर्ण संचालन करती है। हाल ही में इस कंपनी ने घोषणा करते हुए फॉक्सकॉन के साथ साझेदारी में अगले दो वर्षों में सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र स्थापित करने का ऐलान किया।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि वेदांता का सेमीकंडक्टर कारोबार अपने पहले चरण 2026-27 में 3-3.5 अरब अमेरिकी डॉलर के दायरे में होगा जिसमें से करीब 1 अरब अमेरिकी डॉलर निर्यात से आएगा। भारत का लक्ष्य 2030 तक 1 अरब स्मार्टफोन, 15 मिलियन टेलीविजन और 2030 तक 24 मिलियन नोटबुक प्रति वर्ष केवल स्थानीय खपत के लिए बनाना है। ऐसे में वेदांत का लक्ष्य स्थानीय खपत की ओर है। हम केवल 10 प्रतिशत डिस्प्ले और 20-25 प्रतिशत सेमीकंडक्टर का निर्यात करेंगे। हमारा मुख्य उद्देश्य भारत में और भारत के लिए बनाना होगा।”
वेदांता समूह ने सेमीकंडक्टर व्यवसाय के लिए 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक के निवेश को निर्धारित किया है और इसकी योजना पहले 10 वर्षों में 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की है। सेमीकंडक्टर व्यवसाय की क्षमता और सामर्थ्य को देखते हुए भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर कंपनियों को उनके लिए एक स्थायी बाजार सुनिश्चित करने के लिए पीएलआई के अलावा नीतिगत समर्थन देने का भी आश्वासन दिया है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है तो भारत न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सेमीकंडक्टर बनाने में सक्षम होगा बल्कि इसे दूसरे देशों से हमारी निर्भरता भी समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा भारत के पास सेमीकंडक्टर्स का निर्यात करने का मौका होगा। साथ ही देश की श्रम शक्ति और प्रतिभा को देखते हुए इस बात की पूरी संभावना है कि जल्द ही भारत सेमीकंडक्टर हब बन सकता है और दुनिया के देशों की आवश्यकताओं को पूरी कर सकता है।
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