क्या मां काली का अपमानजनक पोस्टर ‘ईशनिंदा’ के अंतर्गत नहीं आता मी-लॉर्ड?

हिंदू देवी-देवताओं के प्रति वामपंथियों की कुंठा काहे खत्म नहीं होती?

Kaali

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भावनाएं तो अल्पसंख्यकों की ही आहत होती हैं भारत में, बहुसंख्यक तो आज भी पत्थर समान हृदय रखते हैं। नरम हृदय वाले तो मात्र अल्पसंख्यक हैं इस देश में, जिनका हृदय क्षणभर में पसीज जाता है, बहुसंख्यक तो छाती में कुदाल लेकर चलते हैं। अल्पसंख्यकों का कथित पतन ही देश में एकमात्र निंदा करने योग्य विषय है, बहुसंख्यक तो यूं ही देश को बर्बाद करने में लगे हैं। शायद यही सोच आज समाज के एक वर्ग ने पाल ली है, बात एम एफ हुसैन द्वारा अपनी नीच मानसिकता और चित्रकारी के माध्यम से हिंदू देवी देवताओं की छवि को गंदे ढंग से प्रस्तुत करने की कर लें, हाल ही में आए बॉलीवुड फिल्म ब्रह्मास्त्र के ट्रेलर की बात करें या फिर डॉक्यूमेंट्री के नाम पर काली मां के प्रति तुच्छ सोच प्रदर्शित करने की बात करें। सभी निंदा के पात्र होने के बाद भी निंदा के पात्र नहीं हैं।

शांति प्रियजमात अब चुप है

ऐसा लगता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यहां अभिव्यक्ति का ही आदेश नहीं देती। समाज का एक वर्ग कैसे लिखित तथ्य को मौखिक रूप से बोलने पर देश को झुलसाने में जुट जाता है पर सीता मां और काली मां की छवि को भद्दे रूप में प्रस्तुत करने वालों पर यही जमात और लिब्रल वर्ग चुप्पी साध लेता है।

https://twitter.com/LeenaManimekali/status/1543200394477805568

जिस प्रकार बॉलीवुड हिन्दू धर्म को हर बार अपनी फिल्मों के माध्यम से दोयम दर्ज़े का दिखाने का षड्यंत्र करता आया है अब उसका दूसरा साथी डॉक्यूमेंट्री निर्माता बन गए हैं। डॉक्यूमेंट्री के नाम पर हिन्दुओं के इष्ट देवी-देवताओं को भद्दे रूप में प्रदर्शित करना अब एक चलन सा हो गया है। इस चलन की हालिया उदाहरण हैं “लीना मणिमेकलाई” जिनकी आगामी डॉक्यूमेंट्री का नाम ‘काली’ है, जिसका पोस्टर फिल्ममेकर ने बीते शनिवार ट्विटर पर शेयर किया था। हालांकि, पोस्टर डालते ही इस पर विवाद बढ़ता चला गया क्योंकि पोस्टर ने ही फिल्म के सार को प्रदर्शित कर दिया था। दरअसल, जारी किए गए पोस्टर में देखा जा सकता है कि एक अभिनेत्री काली मां के अवतार में हैं और सिगरेट पीती दिखायी दे रही है।

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मणिमेकलाई का विरोध शुरू हो गया

ध्यान देने वाली बात है कि बस, आग लगी और धुआं उठ गया। पोस्टर जारी होने के बाद सोशल मीडिया पर डॉक्यूमेंट्री और उसकी निर्माता लीना मणिमेकलाई का विरोध शुरू हो गया। यह तब हुआ जब देश में पहले से ही माहौल धार्मिक मुद्दों पर चरम पर पंहुचा हुआ है। आए दिन “सर तन से जुदा” गैंग द्वारा कहीं सर कलम किया जा रहा है तो  कई जगह धमकियां दी जा रही हैं। इस गैंग ने देश को उस मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां एक धर्म दूसरे धर्म को हेय दृष्टि से देख रहा है। कोई सामने वाले को कातिल समझ रहा है तो कोई अपनी जान बचाने की जद्दोजेहद में है। यह अचानक नहीं हुआ है, बीते तीन माह में एक वर्ग विशेष द्वारा ऐसी स्थितियां पैदा की गयी हैं कि स्वाभाविक रूप से “डर का माहौल है” Mode ON हो चुका है।

अब हिन्दू धर्म और उसके साथ हो रहे खिलवाड़ की बात करें तो हाल में ही रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की फिल्म ब्रह्मास्त्र का ट्रेलर रिलीज हुआ था। जिसमें अभिनेता को मंदिर में जूता पहनकर प्रवेश करते हुए दिखाया गया है। इसके बाद दर्शकों का गुस्सा फूट पड़ा था क्योंकि यह पहली बार तो था नहीं जब ऐसे हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने का काम किया गया हो। कभी धर्म संकट में, तो कभी ओह माय गॉड तो कभी पीके ऐसी तमाम फिल्मों में हिन्दू धर्म को ऐसे चित्रित किया जा चुका है जैसे हिन्दू धर्म सबसे बड़ा ढोंगी धर्म है, अन्य सभी धर्म तो सरलता, मानवता और जीवदया के ध्वजवाहक हैं

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फिल्में तो फ़िल्में, अब डॉक्यूमेंट्री निर्माता भी सस्ती पब्लिसिटी पाने के लिए हिन्दू धर्म और उसके देवी-देवताओं को बेहद निंदनीय ढंग से प्रस्तुत करते हैं। अब “काली” के पोस्टर की बात करें तो फिल्ममेकर लीना ने 2 जून 2022 को ट्विटर पर अपनी डॉक्यूमेंट्री काली का पोस्टर शेयर किया। इस पोस्टर के साथ लीना ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि वह काफी उत्साहित हैं क्योंकि उनकी डॉक्यूमेंट्री काली का कनाडा फिल्म फेस्टिव (Rhythms of Canada) में लॉन्च हुआ। ज्ञात हो कि जारी किए गए इस पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते दिखाया गया है और इससे ही सोशल मीडिया पर यूजर्स भड़क गए हैं। मां काली की वेशभूषा में आर्टिस्ट के एक हाथ में त्रिशूल तो एक हाथ में एलजीबीटीक्यू समुदाय के प्राइड फ्लैग को लिए नजर आ रही हैं।

ऐसे में अपनी तुच्छ मानसिकता और नौटंकी को हिन्दू जनमानस की मां रूपी देवी के रूप में दिखाने के लिए लीना जैसे तृतीय श्रेणी की सोच रखने वाली निर्माताओं को जितनी लताड़ लगे उतनी कम है। सोशल मीडिया पर गुस्से के उबाल को ऐसे ही देखा जा सकता है कि लोग इस पोस्टर का विरोध सीधा गृह मंत्रालय और गृह मंत्री अमित शाह को ट्वीट कर दर्ज़ करा रहे हैं। लोगों की माँग है कि इस कृत्य पर सख्त से सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए क्योंकि कानून सबके लिए समान हैं।

यहां हमारा एक विनम्र प्रश्न उन जज साहब से भी है कि क्या अब ईशनिंदा नहीं हो रही है मीलॉर्ड। जिस तरह से हिंदू देवी देवताओं को अपमानित किया जा रहा है इस पर उन जज साहब के वक्तव्य की हमें प्रतीक्षा है। जैसे ही मीलॉर्ड की तरफ से कोई टिप्पणी आएगी हम आपको अवश्य बताएंगे।

ध्यान देने वाली बात यहां ये है कि धर्म सभी के लिए उनका गौरव है मात्र एक वर्ग विशेष की भावनाएं नहीं हैं, हिन्दू अपने इष्ट देवी देवताओं से भावनात्मक रूप से जुड़ाव रखता है और इसलिए “मां” के विरुद्ध कुछ भी अनरगल देखा, पढ़ा और सुना नहीं जा सकता है, लीना मणिमेकलाई जैसे नौटंकीबाजों को जितनी जल्दी यह बात समझ आ जाए उतना बेहतर है ।

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