रत्ना पाठक शाह तो अपने पति को ही मानसिक दिवालियापन में टक्कर दे रही है

मोहतरमा अपने शौहर नसीरुद्दीन मियां से किसी भी एंगल में कम नहीं है!

Nasruddin & Ratna

Source- TFIPOST.in

अति नारीवाद के साइड इफेक्ट तो होते ही हैं पर ऐसे होते हैं इसकी कल्पना तो किसी ने भी नही की होगी। सभी को पता है कि नसीरुद्दीन शाह किस श्रेणी के बकैत हैं, परंतु उनकी पत्नी रत्ना पाठक शाह को किसी भी तरह से कमतर मत आँकिएगा। हाल ही में एक मैगजीन को दिए साक्षात्कार में उन्होंने सिद्ध किया कि जब बात मानसिक दिवालियापन की हो तो मोहतरमा अपने शौहर से किसी भी एंगल में कम नहीं है।

पिंकविला नामक अति नारीवादी मैगजीन को दिए साक्षात्कार में रत्ना पाठक शाह ने भारत के वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “स्वतंत्रता के बाद भी महिलाओं के लिए कुछ नहीं बदला है और महिलाओं को आज भी अपने अधिकारों के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है। महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अभी भी बहुत कम बदलाव देखने को मिला है। हमारा समाज बेहद रूढ़िवादी होता जा रहा है। हम अंधविश्वासी होते जा रहे हैं। हमें धर्म को स्वीकार करने और बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जो किसी के जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है”।

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अब ये कोई अस्वाभाविक बात नहीं है क्योंकि रत्ना पाठक स्वाभाविक तौर से वामपंथी रही है, हाल ही में कुछ वर्षों पूर्व ‘लिप्स्टिक अंदर माई बुरका’ जैसी फिल्में भी कर चुकी हैं परंतु महोदया वहीं पे नहीं रुकी। इन्होंने आगे कहा, “कुछ लोग ऐसा पूछती हैं कि क्या मैं क्या वह अपने पति की सलामती के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हूँ। मैं क्या पागल हूं, जो ऐसे व्रत करूंगी? ये आश्चर्य है कि पढ़ी लिखी महिलाएं भी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। भारत में विधवा होना एक भयानक स्थिति है। महिलाएं इसी डर से करवाचौथ का व्रत करती हैं। हैरान करने वाली बात है कि हम 21वीं सदी में भी इस तरह की बातें करते हैं”।

इस बात से अनेकों सोशल मीडिया यूजर्स भड़क गए हैं। कई ने उन्हे तीन तलाक, हिजाब इत्यादि के मुद्दे पर बोलने की चुनौती दी है तो कई ने उन्हे नूपुर शर्मा प्रकरण पर बोलने की चुनौती दी है। परंतु वे सभी भूल जाते हैं कि वे किसकी पत्नी हैं। वे उसी नसीरुद्दीन शाह की पत्नी हैं जो आए दिन अनर्गल प्रलाप के लिए कुख्यात रहे हैं और जिन्हे अब अपनी प्रतिभा के लिए कम और अपनी सोशल मीडिया बकैती के लिए अधिक जाना जाता है।

उदाहरण के लिए कई माह पूर्व दिसंबर 2021 में नसीरुद्दीन शाह का विवादित पत्रकार करण थापर के साथ एक साक्षात्कार वायरल हुआ। जिसमें वे मुगलों को ‘शरणार्थी’ बताते फिर रहे थे। इंटरव्यू के दौरान इन्होंने कहा कि मुगलों को ‘शरणार्थी’ भी कह सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदुत्व आतंकवादियों द्वारा मुसलमानों के नरसंहार के हालिया आह्वान से भारत में ‘गृह युद्ध’ हो सकता है।

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द वायर को दिए इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने करण थापर से बातचीत में कहा कि, मुगलों के तथाकथित अत्याचारों को हर समय उजागर किया जा रहा है। लेकिन हम ये क्यों भूल जाते हैं मुगल वही लोग हैं। जिन्होंने इस देश के खात‍िर अपना योगदान दिया है। वह वो लोग हैं जिन्होंने देश में स्थायी स्मारक बनाए हैं… जिनकी संस्कृत‍ि में नाचना, गाना, चित्रकारी, साह‍ित्य। इसे अपनी मातृभूमि बनाने के लिए मुगल यहां आए थे। वे जैसे थे, आप चाहें तो उन्हें शरणार्थी कह सकते हैं।”

हिंदुत्व के आतंकवादियों द्वारा मुसलमानों के नरसंहार के हालिया आह्वान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि “अगर जातीय सफाई के आह्वान को तुरंत नहीं रोका गया तो भारत के मुसलमान वापस लड़ने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने कहा, अगर बात संकट की आती है, तो हम लड़ेंगे… अगर बात उस पर आती है, तो हम करेंगे। हम अपने घरों, अपने परिवार, अपने बच्चों की रक्षा कर रहे हैं।” ऐसे में रत्ना पाठक शाह ने अपने बयान से मानो ठान लिया है कि मानसिक दिवालियापन में अपने पति को कहीं भी पीछे नहीं छोड़ेंगी। अगर नसीरुद्दीन मियां डाल डाल तो रत्ना पात पात चलेंगी और जनता का क्या है इन दोनों की दुर्गति पर बैठकर पॉपकॉर्न चबाना है।

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