एक होते हैं मूर्ख, फिर आते हैं जड़बुद्धि और फिर आते हैं तृणमूल कांग्रेस वाले लोग। अब तक ऐसा लगता था कि इस देश में राहुल गांधी से अधिक कोई अपने नौटंकियों से चकित नहीं कर सकता है पर ऐसा लगता है कि अपने ‘काका छीछी’ को ममता दीदी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए आतुर हैं।
शिंजो आबे की जघन्य हत्या से संसार स्तब्ध है
दरअसल, जापान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष शिंजो आबे की हत्या के लिए भी अब ममता बनर्जी अग्निपथ योजना को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। चौंकिए नहीं। यदि आपको लग रहा है कि TMC में संजय राउत की आत्मा कहां से घुस आयी तो यकीन मानिए ऐसा ही हुआ है। हाल ही में संसार जापान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष शिंजो आबे की जघन्य हत्या से स्तब्ध है और चूंकि वे भारत के परम मित्र थे, इसलिए दुखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर भारत में एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ की ओर से एक लेख छपता है, जिसमें इस हत्या के लिए भारत के अग्निपथ योजना को दोषी ठहराया गया है। वो कैसे? तो ‘जागो बांग्ला के लेख अनुसार, “हत्यारे ने जापान की नौसैनिक सेल्फ डिफेंस सेना में 3 साल बिना पेंशन काम किया, ठीक वैसे ही जैसे केंद्र सरकार अग्निपथ योजना लाना चाहती है, जहां युवा वर्ग को साढ़े चार वर्ष तक काम पर लगाना चाहती है, बिना किसी पेंशन बेनेफिट के”।
परंतु, ये कोई पहला अवसर नहीं है जहां ममता ने अपने बयानों से भारत की प्रतिष्ठा पर, कॉमन सेंस पर कीचड़ उछाला है। जब अग्निपथ योजना लॉन्च हुई थी, तो इन्होंने यह कहकर विरोध किया था कि इससे भाजपा की निजी सेना तैयार होगी।
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अग्निपथ की आलोचना में महोदया ने पहले भी कई बातें कही हैं
जब भाजपा के गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने अग्निपथ योजना के कौशल विकास के परिप्रेक्ष्य में लाभ गिनाए, तो उस संदर्भ में अग्निपथ की आलोचना में महोदया कहती हैं कि “भाजपा नयी रक्षा भर्ती योजना के माध्यम से अपना सशस्त्र कैडर बनाने की कोशिश कर रही है। ये योजना सशस्त्र बलों का अपमान है। क्या भाजपा अपने दफ्तरों के लिए अग्निवीर सैनिकों की तैनाती करना चाहती है?” परंतु, ममता बनर्जी इतने पर ही नहीं रुकीं। वह आगे बोली, “रक्षा बल का सिर्फ एक मुखौटा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। बीजेपी पूरे देश में अपने गुंडों की एक ताकत बनाने के लिए लॉलीपॉप पेश कर रही है।”
परंतु ठहरिए, यह तो कुछ भी नहीं है। 2021 में जब भारत के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के 125 वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर ममता बनर्जी को पीएम मोदी के साथ एक जनसभा को संबोधित करने को कहा गया था, तो उन्होंने स्पष्ट मना कर दिया था, केवल इसलिए क्योंकि उस सभा में ‘जय श्री राम’ के नारे लगे थे। ममता के अनुसार, “सरकारी कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम बना दिया गया है। इस तरह से किसी का अपमान करना ठीक नहीं है। सरकार के कार्यक्रम की गरिमा होनी चाहिए। यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। आपको किसी को आमंत्रित करने के बाद उसका अपमान करना शोभा नहीं देता है। विरोध के रूप में मैं कुछ भी नहीं बोलूंगी”
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ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि ममता समर्थित TMC अपने ओछे बयानों से न केवल बंगाल अपितु सम्पूर्ण भारत की छवि को धूमिल करने पर तुली हुई हैं। जिस स्पीड से ये सब करने पर पार्टी उद्यत है, हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए, अगर उद्धव शाही के पश्चात विनाश में अगला नंबर ममता शाही का हो, जिसकी दोषी स्वयं ममता बनर्जी ही होंगी।
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