भगवत् गीता से प्रेरणा लेने वाले दुनिया के महान वैज्ञानिक पर आ रही है फिल्म

परमाणु बम बनाने वाले वैज्ञानिक ओपेनहाइमर की कहानी जानिए!

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Source- TFIPOST.in

यदि आप हॉलीवुड के प्रशंसक हैं, और क्रिस्टोफर नोलन को नहीं जानते, तो आप किस लोक में हैं बंधु? इनकी फिल्में अपने आप में किसी संस्थान से कम नहीं, चाहे वह विज्ञान हो, कल्पना हो, या फिर ऐतिहासिक विषय पर हो, और एक बार फिर इन्होंने ऐतिहासिक विषय चुनते हुए 2023 में ‘ओपेनहाइमर’ के प्रदर्शन की घोषणा की है, जिसमें बहुचर्चित ‘पीकी ब्लाइंडर्स’ सीरीज़ के प्रमुख अभिनेता सिलियन मर्फी केन्द्रीय भूमिका, अमेरिकी वैज्ञानिक एवं परमाणु बम के जनक, जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर की भूमिका को निभाएंगे।

इस फिल्म में सिलियन मार्फी अकेले नहीं होंगे। आयरन मैन फ़ेम रॉबर्ट डॉनी जुनियर, मैट डैमन, एमिली ब्लंट, फ्लोरेन्स प्यू [Pugh] इत्यादि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 21 जुलाई 2023 को ये फिल्म विश्व के हर सिनेमाघर में प्रदर्शित होगी।

परंतु जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने ऐसा भी क्या किया जिसके कारण उन पर फिल्म बन रही है? उनका भारत से भी कुछ नाता है क्या? एक सैद्धान्तिक भौतिकविद् एवं अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (बर्कली) में भौतिकी के प्राध्यापक थे जो परमाणु बम के जनक के रूप में अधिक विख्यात हैं। वे द्वितीय विश्वयुद्ध के समय परमाणु बम के निर्माण के लिये आरम्भ की गयी मैनहट्टन परियोजना के वैज्ञानिक निदेशक थे। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर उन्हें युनाइटेड स्टेट्स एटॉमिक एनर्जी कमीशन का मुख्य सलाहकार बनाया गया।

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ओपेनहाइमर परमाणु बम के जनक अवश्य थे, परंतु वे भी जानते थे कि उन्होंने न्याय नहीं किया है। ओपेनहाइमर ने मेक्सिको के ट्रिनिटी टेस्ट केंद्र पर 16 जुलाई 1945 को जब सबसे पहले एटोमिक बॉम्ब का विस्फोट देखा तो उन्होंने कहा, “मुझे हिन्दू शास्त्र भगवद गीता की वह पंक्ति याद आ रही है जब विष्णु अपना विराट स्वरूप दिखाते हुये अर्जुन को समझा रहे है कि मैं लोकों का नाश करने वाला महाकाल हूँ। और मैं इस समय अधर्म का नाश करने के लिए प्रवृत्त हुआ हूँ।”

ओपेनहाइमर का यह कथन हिन्दू धर्म की धार्मिक किताब भगवद गीता के ग्यारहवें अध्याय के 32वें श्लोक की ओर इशारा करता है, जो कहता है

भगवद् गीता अध्याय 11 श्लोक 32.

दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता। यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः॥१२॥

कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।…॥३२॥

अर्थात

आकाश में हजार सूर्यों के एक साथ उदय होने से उत्पन्न जो प्रकाश हो, वह भी उस विश्व रूप परमात्मा के प्रकाश के सदृश कदाचित्‌ ही हो॥12॥

श्री भगवान् ने कहा- मैं लोकों का नाश करने वाला प्रवृद्ध काल हूँ। इस समय, मैं इन लोकों का संहार करने में प्रवृत्त हूँ॥32॥

यह बात एक बार जब ओपेनहाइमर से Rochester University के एक लैक्चर में एक विद्यार्थी ने पूछा कि जो बम मैनहट्टन परियोजना में विस्फोट हुआ था क्या वह पहला था ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि आधुनिक युग में यह जरूर पहला था। ओपेनहाइमर का यह जवाब इस बात का संकेत था कि ब्रह्मास्त्र रूपी परमाणु बम का विस्फोट पहले भी हो चुका है।

ओपेनहाइमर को गीता पर इतना विश्वास था कि अपने दोस्तों को भी गीता पढ़ने की सलाह देते थे और वे स्वयं गीता की एक प्रति अपने पास रखते थे। फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट के दाह संस्कार के दौरान भी उन्होंने गीता के 17वें अध्याय के तीसरे श्लोक को पढ़ा था जिसमें यह लिखा है कि सभी मनुष्यों की श्रद्धा अन्तःकरण के अनुरूप होती है। मनुष्य श्रद्धामय है। इसलिए जो जैसी श्रद्धावाला है? वही उसका स्वरूप है अर्थात् वही उसकी निष्ठा — स्थिति है।

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अब सोचिए, यदि इसका अंश मात्र भी क्रिस्टोफर नोलन अपने फिल्म में दिखा दे, तो इसका वैश्विक स्तर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। भारत अब एक ऐसा देश है, जिसकी भूमिका और जिसकी संस्कृति का प्रभाव अब विश्व अनदेखा नहीं कर सकता है, और स्वयं क्रिस्टोफर नोलन अप्रत्यक्ष रूप से अपने कुछ फिल्मों में इसे सिद्ध भी कर चुके हैं। अब ये देखना होगा कि ‘ओपेनहाइमर’ में परमाणु बम के जनक का यह भारतीय स्वरूप चित्रित होता है कि नहीं।

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