आधुनिक युद्ध प्रणाली में, नए सैन्य हथियार न केवल सेना के लिए वांछनीय अतिरिक्त हैं बल्कि एक आवश्यकता भी हैं। सैन्य हथियारों और लड़ाकू विमानों को सेना में शामिल करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य देश की सीमाओं को आक्रमण से सुरक्षित रखने में मदद करना है लेकिन जो हथियार उन्हें चलाने वाले को ही नुकसान पहुंचाए और उनके प्राण ले लें वे देश की रक्षा में कहाँ काम आएंगे?
मिग 21 ने ली दो और वीरो की जान
मिग 21 को लेकर हो रही दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। हाल ही में इसने दो युवा पायलटों की जान ले ली है। भारतीय वायु सेना (IAF) ने दुर्घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “आज शाम 9:10 बजे, एक IAF मिग 21 ट्रेनर विमान एक प्रशिक्षण उड़ान के दौरान पश्चिमी क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दोनों पायलटों को घातक चोटें आई हैं।”
At 9:10 pm this evening, an IAF MiG 21 trainer aircraft met with an accident in the western sector during a training sortie.
Both pilots sustained fatal injuries.— Indian Air Force (@IAF_MCC) July 28, 2022
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में दोनों पायलटों ने अपनी जान गवाई। IAF ने दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच भी बैठाई”। रक्षा मंत्री ने भी हादसे पर दुख जताते हुए ट्विटर पर लिखा, “राजस्थान में बाड़मेर के पास भारतीय वायुसेना के मिग-21 ट्रेनर विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से दो वायु योद्धाओं के मारे जाने से गहरा दुख हुआ। राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।”
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Deeply anguished by the loss of two Air Warriors due to an accident of IAF’s Mig-21 trainer aircraft near Barmer in Rajasthan. Their service to the nation will never be forgotten. My thoughts are with the bereaved families in this hour of sadness. https://t.co/avKi9YoMdo
— Rajnath Singh (मोदी का परिवार) (@rajnathsingh) July 28, 2022
भारतीय वायु सेना के जिन दो युवा पायलटों को घातक चोटें आईं, वे मंडी, हिमाचल प्रदेश के विंग कमांडर एम राणा और जम्मू के फ्लाइट लेफ्टिनेंट अद्वितीय बल थे।
मिग 21: IAF के पहले सुपरसोनिक जेट से फ्लाइंग कॉफिन तक
भारतीय वायु सेना ने 1961 में रूस (तत्कालीन यूएसएसआर) से मिग -21 की खरीद की थी। प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ मिग -21 भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू जेट बन गया। इन वर्षों में, लगभग 840 मिग-21 और इसके अन्य रूपों को भारतीय वायुसेना के शस्त्रागार में शामिल किया गया। मिग-21 बाइसन 2019 में सुर्खियों में था। जब विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने बालाकोट हवाई हमले के एक दिन बाद पाकिस्तान के एक एफ-16 जेट को मार गिराया था। इसकी जीर्ण-शीर्ण अवस्था हो जाने के बावजूद सरकारें इसे ठीक करवाकर इस सुपरसोनिक जेट के संचालन की अनुमति देती रही।
बड़ी संख्या में खरीद के कारण मिग ने भारतीय वायुसेना के सबसे बड़े लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन बन गए। नए लड़ाकू जेट विमानों को शामिल करने की धीमी दर और स्क्वाड्रन की ताकत की कमी ने मिग-21 की कमिशनिंग अवधि में देरी की है। इस परिदृश्य में, लगभग 70 मिग-21 और 50 मिग-29 संस्करण अभी भी भारतीय वायु सेना में काम में लाये जा रहे हैं। रिपोर्टों से पता चलता है कि पिछले 60 वर्षों के संचालन में लगभग 400 मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त होकर भारतीय वायुसेना के लगभग 200 बहादुर पायलटों और 60 आम नागरिकों के प्राण ले चुके हैं। लगातार हो रही दुर्घटनाएं और पायलटों के जीवन को खतरे में डालने के कारण मिग-21 लड़ाकू जेट विमानों को ‘उड़ने वाले ताबूत’ और ‘विधवा-निर्माता’ के रूप में करार दिया जाता है।
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2025 तक मिग-21
आखिरकार हाल ही में हुई इस दुर्घटना के बाद भारतीय वायुसेना मिग-21 को हटाने पर काम शुरू करने वाली है। एएनआई के सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय वायु सेना (IAF) इस साल सितंबर के अंत तक मिग-21 बाइसन विमान के एक और स्क्वाड्रन को रिटायर करने जा रही है। सेवा में शेष तीन विमानों को 2025 तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा। यह निर्णय राजस्थान के बाड़मेर में मिग -21 टाइप 69 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के एक दिन बाद आया है। जिसमें दोनों पायलटों की मौत हो गई थी।
देश के सुरक्षा सिद्धांत भारतीय वायुसेना के 42 स्क्वाड्रनों के लिए दो मोर्चों पर युद्ध के लिए हमेशा उपलब्ध रहना अनिवार्य है। वर्तमान में 32 स्क्वाड्रन के IAF लड़ाकू जेट की भारी कमी से जूझ रहा है। लेकिन IAF तत्काल अपनी आवश्यक स्क्वाड्रन ताकत को पूरा करने की कोशिश कर रहा है। भारतीय वायुसेना पहले ही 36 राफेल फाइटर जेट हासिल कर चुकी है। सरकार भारतीय वायु सेना के लिए ‘बाय ग्लोबल एंड मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम के तहत एक और 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए तैयार है। इसके अलावा, स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस भी खरीद की कतार में हैं।
हालांकि, मिग-21 के तीन पूर्ण स्क्वाड्रनों को बदलने के लिए भारत सरकार को तत्काल आधार पर लड़ाकू विमानों का अधिग्रहण करना होगा। एक युवा पायलट के जीवन को खतरे में डालना किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। क्रय क्षमताओं के साथ एक मशीन खरीदी जा सकती है, लेकिन युद्ध के लिए प्रशिक्षित पायलट की जगह कोई नहीं ले सकता। उसकी लड़ने की क्षमता, युद्ध की भावना और संचालन क्षमता की तुलना किसी भी मशीन से नहीं की जा सकती। नतीजतन सरकार को अप्रचलित मिग स्क्वाड्रनों को तत्काल आधार पर सेवानिवृत्त करने पर जोर देना चाहिए।
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