ममता बनर्जी की टीएमसी ने कुछ इस तरह यशवंत सिन्हा को मूर्ख बना दिया

यशवंत सिन्हा को दीदी ने 'चूना' लगा दिया है

yashwant sinha

SOURCE TFIPOST.in

पहले मलाई खाओ और बाद में गरियाओ। भारतीय राजनीति में ऐसे कई राजनेता हैं जो ऐसा कर चुके हैं पर हाल फ़िलहाल जिस राजनेता की महत्वकांक्षा सबसे ज़्यादा है वो हैं यशवंत सिन्हा। वो यशवंत सिन्हा जो वर्तमान में विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं और पूर्व में भाजपा और टीएमसी जैसे दलों के साथी रहे हैं। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार आते ही जिस भाजपा नेता का मुंह सबसे ज़्यादा विरोध के लिए खुला था वो हैं यशवंत सिन्हा

इस लेख में हम जानेंगे कि स्वयं को सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ बताने वाले यशवंत सिन्हा को कैसे बंगाल वाली दीदी ने चूना लगा दिया है।

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ये है सबसे बड़ा घोटाला

यशवंत सिन्हा के साथ हुए खेला में सबसे बड़ा घोटाला यही ममता बनर्जी और उनकी टीएमसी कर गयी जो अब वर्ष 2022 का सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा की महत्वकांक्षाओं का कोई सानी नहीं था। उनके चक्कर में उनके पुत्र भाजपा सांसद जयंत सिन्हा तक को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। इसके बाद सरकार के विरुद्ध यशवंत सिन्हा के तीखे हमले जारी रहे और वर्ष 2021 में वो अंततः तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। यूं तो यहां भी सिन्हा ने कोई बहुत बड़ा काम नहीं किया पर चूंकि ममता को निभाना था तो वो निभाते ही चले गए। यहां भी कोई बड़ा राजनीतिक वर्चस्व कायम न होने पर यशवंत सिन्हा इस बार सम्पूर्ण रूप से अपनी राजनीतिक हत्या का लेखा-जोखा तैयार कर चुके हैं।

इसी क्रम में जिस प्रकार से भाजपा को धोखा देते हुए यशवंत सिन्हा ने टीएमसी ज्वाइन करने के बाद एक बार फिर उन्होंने एक और राजनीतिक दल को धोखा दिया तो इस बार उनके धोखा देते ही उन्हें उसका भुगतान भी मिल गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि विपक्षी दल भी राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन कर सकते थे अगर बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारने के पहले उनसे चर्चा की होती। उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत की अधिक संभावनाएं हैं। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद एनडीए का संख्याबल बढ़ा है।” मतलब द्रौपदी मुर्मू के आगे यशवंत सिन्हा की कोई बिसात नहीं है यह ममता भी जानती हैं।

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हेमंत सोरेन भी दे सकते हैं समर्थन

ऐसा ही कुछ झारखण्ड से भी सुनने में आ रहा है जहां झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन NDA प्रत्याशी और राज्य की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करते दिख सकते हैं। यह तब है जब राज्य में कांग्रेस के साथ सरकार चल रही है और सोरेन एनडीए के प्रत्याशी के लिए वोट डालने को तैयार हैं। यह इसलिए क्योंकि झारखण्ड के हज़ारीबाग़ से आने वाले यशवंत सिन्हा की हेमंत से कुछ ख़ास नहीं बनी है। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू का हर राज्य में जाना और अपने लिए समर्थन मांगना और यशवंत सिन्हा का कुछ भी न करना इस बात को प्रमाणित करता है कि यशवंत सिन्हा पहले ही चुनाव हार चुके हैं।

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अब मामला हार जीत का नहीं बल्कि अंतर का हो चला है कि द्रौपदी मुर्मू जीतेंगी तो कितने मार्जिन से जीतेंगी। जब दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य की सरकारें द्रौपदी के समर्थन में आने लगीं और उनके नामांकन वाले दिन से समर्थन जाहिर करने लगीं, इस तरह आधा चुनाव तो द्रौपदी मुर्मू तभी जीत गयीं थीं। यह ममता बनर्जी का ही किया धरा था जो पहले यशवंत सिन्हा को चने के झाड़ पर चढ़ाया और अंततः यशवंत सिन्हा अहम में चूर होकर विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बन गए। यशवंत सिन्हा यह नहीं समझ पाए कि कुछ भी हो, कैसे भी हो थे तो वो उनकी विपरीत विचारधारा के, ऐसे में उन पर विश्वास करना ठीक वैसा ही है कि “सांप को कितना भी दूध पीला लो, रहता तो ज़हरीला ही है न।”

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