शक्ल देखिए, नहीं नहीं बंधु बस शक्ल देखिए आप। बड़ी कठिनाई से मोहतरमा अपने भावनाओं को किस प्रकार से नियंत्रित किये हुए हैं, और आप जानकर अचंभित हो जाओगे, भौंचक्के हो जाओगे, कि यही व्यक्ति मिताली राज का सिल्वर स्क्रीन पर प्रतिनिधित्व करेंगी। बॉलीवुड की उस महामारी से, जो कोरोना को भी मात देने में सक्षम है, और इस बात को सत्य सिद्ध करती है कि बॉलीवुड का सच में कोई इलाज नहीं।
हाल ही में एक रियलिटी शो पर अपने फिल्म ‘शाबाश मिट्ठू’ के प्रोमोशन हेतु अभिनेत्री तापसी पन्नू और पूर्व क्रिकेटर मिताली राज दोनों ही आए थे। इस दौरान उस जब उनसे पूछा गया कि पीएम मोदी के साथ उनका वार्तालाप कैसा था, तो सबको चौंकाते हुए मिताली राज ने कहा, “जब हम 2017 के वर्ल्ड कप के बाद वापस आए थे। उस वक्त जिस तरह से एयरपोर्ट पर हमारी रिसेप्शन हुई है और हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें टाइम दिया। हर एक लड़की को उन्होंने नाम से पहचाना। हर लड़की के सवाल का जवाब दिया”।
Do watch Tapsee reaction when champion @M_Raj03 speaks about Hon'ble PM @narendramodi Ji. pic.twitter.com/Ij7M8iubke
— Sameet Thakkar (Modi Ka Parivar) (@thakkar_sameet) July 11, 2022
और पढ़ें:बॉलीवुड पूरी तरह से ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी’ के नियंत्रण में है
देखा आपने? अब स्मरण कीजिए वो समय, जब भारतीय महिला हॉकी टीम मात्र कुछ गोलों से इतिहास रचने से चूक गई और टोक्यो ओलंपिक में उन्हे चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। महिला टीम का अपनी भावनाओं पर कोई नियंत्रण नहीं था, और तब मोदी ने उन्हे सांत्वना देते हुए ये कहा था।
इसका अर्थ स्पष्ट है, पीएम मोदी को अपने देश के हर नागरिक की चिंता है, चाहे वो विजयी हो या नहीं। परंतु इसका तापसी पन्नू से और बॉलीवुड की कास्टिंग से क्या नाता? आप मिताली राज के बयान पर तापसी की प्रतिक्रिया को अगर ध्यान से देखते, तो आपको समझ में आता कि वह कैसे अपनी कुंठा को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही हैं, और कैसे वह उस व्यक्ति के विरुद्ध उगल पाने में असमर्थ हो रही हैं, जिसके विरुद्ध सक्रिय राष्ट्र विरोधी तत्वों को वह खुलेआम समर्थन देती आई हैं, और यही व्यक्ति एक ऐसे व्यक्ति को सिल्वर स्क्रीन पर चित्रित कर रही हैं, जिसे न अपने राष्ट्र पे शर्म हैं, न अपने संस्कृति पर। अब आप में से कुछ होंगे, जो कहेंगे कि यही तो कलाकार की पहचान होती है कि वह अपने विचारधारा से इतर ऐसे भूमिका निभाए, जो एक अलग ही छाप छोड़ दे। परंतु बॉलीवुड और अच्छी कास्टिंग का तो मानो छत्तीस का आंकड़ा है, क्योंकि जब बात योग्यता की हो, तो बॉलीवुड बी लाइक।
और पढ़ें: रॉकेट्री रिव्यू – नम्बी नारायणन, ये देश आपका क्षमाप्रार्थी है
उदाहरण के लिए ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं, अक्षय कुमार को ही देख लीजिए। एक समय होता था, जब सनी पाजी की ‘बॉर्डर’ में एक हुंकार से दुश्मन थर-थर कांपने लगते थे, लेकिन जाने क्या सोचकर डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने अक्षय कुमार को सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शौर्य को सिल्वर स्क्रीन पर आत्मसात करने के लिए ले आए। पैसे के लिए कॉमन सेन्स और डेडिकेशन को खखार के अपने सेट्स के वॉशबेसिन में थूकने वाले खिलाड़ी कुमार ने ‘सम्राट पृथ्वीराज’ में पृथ्वीराज चौहान का जो अपमान किया है, उसके लिए जो बोलो वो कम होगा। कुछ नहीं तो कम से कम आर माधवन से ही कुछ सीख लेते, जिन्होंने ‘रॉकेट्री’ जैसे प्रोजेक्ट के लिए अपना सर्वस्व, और इस अंश मात्र से आप समझ सकते हैं कि अच्छी कास्टिंग कितनी महत्वपूर्ण है।
चलिए, मैडी अन्ना जितने दृढ़निश्चयी नहीं, तो कम से कम ‘शेरशाह’ के सिद्धार्थ मल्होत्रा जितना परिपक्व तो बन ही सकते, कि कम से कम जो भूमिका मिली है, उसके साथ आप न्याय करो। परंतु जिस परिपाटी पर बॉलीवुड चल रहा है, उससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हे योग्यता या निष्ठा से कोई वास्ता नहीं, और ये इनके उद्योग के लिए शुभ संकेत नहीं।
और पढ़ें: GanguBai Kathiawadi: एक बार फिर ‘अंडरवर्ल्ड’ की भक्ति करने में लगा बॉलीवुड
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।