वर्ष 2002 में नरेंद्र मोदी के विरुद्ध साज़िश रचने वाली तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर कई नए खुलासे हुए हैं। SIT ने कोर्ट में जो एफिडेविट दिया है, उसके अनुसार तीस्ता सीतलवाड़ ने सोनिया गांधी के करीबी अहमद पटेल से 30 लाख रुपये लिए थे। पहली किश्त 5 लाख की जबकि दूसरी किश्त 25 लाख की थी। SIT का कहना है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उस वक्त की विरोधी पार्टी यानी कांग्रेस ने मिलकर तत्कालीन गुजरात सरकार को उखाड़ फेंकने का षड्यंत्र रचा था। इसके साथ ही यह भी खुलासा हुआ है कि तीस्ता सीतलवाड़ को राज्यसभा में भेजने का लालच दिया गया और उससे कहा गया कि भाजपा के नेताओं को दंगों के आरोप में फंसाया जाए।
और पढ़ें: अहमद पटेल ने तीस्ता को दिए थे 30 लाख, मोदी सरकार को गिराने और BJP नेताओं को फंसाने का था षड्यंत्र
यह सभी आरोप तो एक तरफ हैं ही और बहुत गंभीर हैं लेकिन इसके साथ ही तीस्ता सीतलवाड़ पर एक बेहद ही संगीन आरोप लगा है। नीचे दी गई फोटो को आप ध्यान से देखिए, इस फ़ोटो को आप पहचानते ही होंगे। गुजरात दंगों की सबसे कुख्यात तस्वीर है ये। इस फ़ोटो में एक शख्स दिख रहा है जो माथे पर भगवा रंग की पट्टी बांधे है। एक हाथ में लोहे की छड़ है और दूसरी हाथ की मुठ्ठी बंद है। इसके पीछे आग जल रही है। इस फ़ोटो को उस वक्त तो सबसे ज्यादा छापा और दिखाया ही गया। आज भी यह फ़ोटो गूगल में गुजरात दंगे सर्च करने पर सबसे ऊपर आती है। आइए, अब इस फ़ोटो का सच हम आपको बताते हैं।
यह फ़ोटो अशोक की है। अशोक मोची का काम करते हैं और अहमदाबाद में रहते हैं। अशोक मोची ने अब तीस्ता सीतलवाड़ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उनकी फ़ोटो को जान-बूझकर विरोध का प्रतीक बनाया गया। उनकी फ़ोटो का दुरुपयोग किया गया। अशोक मोची आगे कहते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ उनकी फ़ोटो दिखाकर लोगों की भावनाएं भड़काने का काम करती थी और चंदा जमा करती थी। वो यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि उनके चेहरे को हिंदुत्व के चेहेरे के तौर पर पेश कर दूसरे समुदाय की भावनाएं भड़काई गई। अब आप अंदाजा लगा लीजिए कि कितना ख़तरनाक खेल खेला जा रहा था। दंगों की आड़ में कितना खतरनाक व्यापार चलाया जा रहा था। एक तरफ तो पीड़ितों के आंसुओं के नाम पर, पीड़ितों के दर्द के नाम पर धन उगाही का धंधा चल रहा था। दूसरी तरफ यह धंधा बंद न पड़े इसलिए लोगों को भड़काया भी जा रहा था।
यह फ़ोटो अपने आप में संदिग्ध है। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक बड़े तबके का दावा है कि यह फ़ोटो योजनाबद्ध तरीके से खींची गई थी कोई अचानक ली हुई फ़ोटो नहीं थी। ऐसा फ़ोटो देखकर भी प्रतीत होता है। आइए, इस तस्वीर का पोस्टमार्टम करते हैं। आप इस फ़ोटो को ध्यान से देखिए पीछे आग जल रही है, पीछे बैकग्राउंड में लोग भी खड़े हैं, फिर यह आदमी इस तरफ मुंह करके क्या कर रहा है?
इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि पीछे जो भीड़ खड़ी है, वो आपस में बातचीत करती प्रतीत हो रही है। कोई लड़ाई या फिर मारपीट यहां नहीं हो रही है। ऐसे में यह शख्स इतना आक्रोशित कैसे हो सकता है? यह भी ध्यान दीजिए कि जब कोई भी दंगा होता है तो वहां इतनी ज्यादा भागमभाग मची होती है कि किसी को भी इस तरह टी-शर्ट की दोनों बाहें ऊपर करके, टी-शर्ट पैंट में दबाकर फ़ोटो खिचाने का वक्त नहीं होता लेकिन यह फ़ोटो उसी तरह की है। यह तो तभी हो सकता है जब किसी को फ़ोटो खिचाने के लिए तैयार किया जाए। इन सब चीज़ों को अगर देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह फ़ोटो अचानक से दंगों के दौरान खिची हुई फोटो नहीं है बल्कि योजनाबद्ध तरीके से खिचवाई गई फ़ोटो है।
यह कहने के लिए पीछे एक महत्वपूर्ण वज़ह यह भी है कि इसी फ़ोटो को दुनियाभर में कथित समाजसेवियों और कथित पत्रकारों ने वायरल किया। इस फ़ोटो को दिखा-दिखाकर समुदाय विशेष की भावनाएं भड़काईं गईं लेकिन अब इस फ़ोटो की सच्चाई हमारे सामने हैं।
और पढ़ें: ‘अपनी औकात में रहो!’ तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर विलाप कर रहे संयुक्त राष्ट्र को भारत ने धो दिया
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।