निर्लज्जता की भी सीमा होती है पर शमशेरा बनाने वालों को उससे क्या

शर्म-लिहाज कैसे धोकर पी जाना है यह कोई शमशेरा के निर्माताओं से सीखे!

Shamshera

एक होते हैं बेशर्म, फिर आते हैं ढीठ और फिर आते हैं शमशेरा के रचयिता। बचपन में यदि अंगूर खट्टे हैं की कथा को आपने पढ़ा या सुना हो तो जान लीजिए कि शमशेरा के रचयिता उसे नेक्स्ट लेवल पर ले गए हैं। कहा कुछ ऐसा है कि जिसके बाद फिल्म लगभग 100 करोड़ से अधिक का नुकसान कराने वाली है और बॉलीवुड की नाक बुरी तरह कट चुकी है पर मजाल है कि इनका मस्तक लज्जा से तनिक भी झुका हो।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे शमशेरा के रचयिता इस फिल्म के फ्लॉप होने का सारा दोष जनता के मत्थे ही मढ़ रहे हैं, और तो और उनके लिए जनता का आक्रोश ‘अनफ़ेयर’ भी है।

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पिट गयी है शमशेरा

हाल ही में 22 जुलाई को प्रदर्शित ‘शमशेरा’ का बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन इतना बुरा है, इतना बुरा है कि कोई उसे फ्री कोल्ड ड्रिंक और फ्री पॉपकॉर्न के लिए भी देखने तक को तैयार नहीं। इस फिल्म ने अपने मूल बजट 150 करोड़ के मुकाबले अब तक लगभग 40 करोड़ की ही कमाई की है, और फिल्म विश्लेषक जोगिंदर टुटेजा की माने तो ये कुल मिलाकर अधिक से अधिक 60 से 70 करोड़ ही इकट्ठा कर पाएगी, जो जग्गा जासूस के लाइफटाइम कलेक्शन से भी कम है।

परंतु दिक्कत की बात ये नहीं है, न ही ये कि ये फिल्म बॉलीवुड के सनातन धर्म के प्रति घृणा के विरुद्ध जनता पर करारा तमाचा है। समस्या है इस फिल्म के रचयिताओं की ढिठाई, जिन्हें इस बात से समस्या है कि आखिर जनता ने इनकी फिल्म को नकारा तो नकारा कैसे। अपनी कुंठा सर्वप्रथम जगजाहिर करते हुए करण मल्होत्रा ने एक कतई मार्मिक पोस्ट किया, जिसमें लिखा था, मेरे प्यारे शमशेरा, आप जैसे हैं वैसे ही प्रभावशाली हैं। मेरे लिए इस मंच पर खुद को व्यक्त करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह वो जगह है जहां आपके लिए प्यार, नफरत, खुशी और अपमान मौजूद है।”

परंतु बंधु वहीं पर नहीं रुके। आगे लिखते हैं, “मैं आपसे माफी मांगना चाहता हूं। पिछले कुछ दिनों से मैं कुछ कह नहीं पा रहा था, क्योंकि मैं नफरत और गुस्सा सह नहीं सकता था। मेरा तुम्हारा साथ न दे पाना मेरी कमजोरी थी और इसके लिए कोई बहाना नहीं है, लेकिन अब मैं आपके साथ खड़े होकर गर्व और सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि आप मेरे हैं।”

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संजू बाबा भी कूद पड़ें

परंतु मियां अकेले थोड़ी न थे। इनके समर्थन में संजु बाबा, उनको भी खुजली चढ़ गयी जनता को खरी खोटी सुनाने की। महोदय ने इंस्टाग्राम पर करण मल्होत्रा और रणबीर कपूर का समर्थन करते हुए पोस्ट कर लिखा कि “फिल्में बनाना जुनून का काम हैं। एक कहानी कहने का जुनून, उन किरदारों को जीवन में लाने का जुनून, जिनसे आप पहले कभी नहीं मिले हैं। शमशेरा प्यार का एक ऐसा श्रम है, जिसे हमने अपना सब कुछ दे दिया। यह खून, पसीने और आंसूओं से बनी फिल्म है। यह एक सपना है जिसे हम पर्दे पर लेकर आए हैं। दर्शकों के मनोरंजन के लिए फिल्में बनाई जाती हैं और हर फिल्म को अपने दर्शक मिल जाते हैं, भले ही देर से मिलें। शमशेरा से बहुत से लोग नफरत करते हैं। मुझे यह बहुत अजीब लगता है कि लोग आपकी मेहनत की इज्जत नहीं करते। ये ठीक नहीं है। करण मल्होत्रा उन निर्देशकों में से एक हैं, जिन्होंने मुझे अग्निपथ फिल्म में कांचा चीना जैसा किरदार दिया। मैं उनका साथ हमेशा दूंगा।”-

अरे मामू, किसी का भी इग्ज़ैम्पल देने का, परंतु अग्निपथ का इग्ज़ैम्पल नहीं देने का बाबा, परंतु संजू बाबा उतने पर ही नहीं रुके। महोदय कहते हैं, “मैं करण को फिल्ममेकर के तौर पर काफी एडमायर करता हूं। अपने 4 दशक के करियर में मैंने जितने भी डायरेक्टर्स के साथ काम किया है वह उन सब में से बेस्ट हैं। करण मेरे लिए परिवार की तरह है। कामयाबी और असफलता को एक तरफ रख दें तो हमेशा करण के साथ काम करना मेरे लिए काफी गर्व की बात होती है। उन्होंने मुझ पर फिर से विश्वास जताया और शमशेरा में शुद्ध सिंह का किरदार दिया। मैं हमेशा उनके साथ खड़ा रहूंगा।”

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संजय दत्त ने पोस्ट के आखिर में लिखा, “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।” परंतु ये लाइन अब इन्हें और इनके उद्योग को कितनी भारी पड़ने वाली है, इसका लेशमात्र भी अंदाज़ा इन्हें नहीं होगा। एक तो वैसे ही बॉलीवुड के पलीते लगे पड़े हैं, उसके ऊपर से ऐसी निर्लज्जता दिखाकर संजय दत्त और शमशेरा के रचयिताओं ने इतना तो स्पष्ट कर दिया है – विनाश काले विपरीते बुद्धि।

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