कहते हैं कि राजनीती में न कोई दुश्मन होता है और न ही कोई दोस्त. राजनीती में केवल अपना मुनाफा देखा जाता है. हालाँकि पाकिस्तान को यह बात आज तक कभी समझ नहीं आयी. राजनीती किस दोमुंही चिड़िया का नाम है इससे आज तक स्वयं को सर्वज्ञानी मानने वाले पाकिस्तानी नेता अनभिज्ञ ही रहे हैं और उनकी इसी अनभिज्ञता या फिर कहें जहालत ने उन्हें एक और मुसीबत में ला कर खड़ा कर दिया है.
पहले ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के सामने एक और सिरदर्द आ गया है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन पर इस्लामाबाद की सीनेट की स्थायी समिति को हाल ही में पता चला है कि उनका देश पाक और पवित्र पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जर्मनी, इटली और सऊदी अरब सहित देशों के लिए कूड़ादान बन चुका है जहाँ ये देश अपनी जमीन से कूड़ा कचरा लाकर पाकिस्तान में फेंक आते हैं.
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पाकिस्तान कचरे का “आयात” कर रहा है
यह समाचार पाकिस्तान की आवाम ही नहीं बल्कि उनके मंत्रियों के लिए भी हैरानी वाली बात थी क्यूंकि उनके देश में कुछ ऐसा भी चल रहा है उन्हें इस बात की कोई खबर ही नहीं थी. साथ ही अपने कुछ प्रिय मित्र देशों के नाम इस सूची में देखकर पाकिस्तान के तो मानो पैरों तले जमीन ही खिसक गयी. इसके अलावा सूची में उन देशों के नाम भी थे जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर चिंता व्यक्त करते हैं और ‘हम परिवर्तन लाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे’ जैसे बड़े बड़े भाषण भी देते हैं. हालाँकि यह सदा सर्वदा से आया सत्य कि हाथी के दांत खाने के और दिखने के और आज तक पाकिस्तान को समझ नहीं आया.
संघीय कैबिनेट को बताया गया कि पाकिस्तान सालाना दुनिया भर से 80,000 टन बंडल कचरे का आयात करने के अलावा सालाना 30 मिलियन टन कचरा पैदा करता है, जो पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ सतही जल और भूजल आपूर्ति को दूषित कर रहा है। एक तरफ जहाँ पाकिस्तान का आर्थिक संकट गहराता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ यह जलवायु और भूमि प्रदूषण भी अब पाकिस्तान की नाक में दम करने की तैयारी में है.
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इस निराशाजनक स्थिति में समिति के एक सदस्य ने सवाल तक कर लिया कि, “पाकिस्तान ने आयातित कचरे पर कभी आपत्ति क्यों नहीं जताई? साथ ही दूतावासों, मंत्रालयों, संबंधित विभागों के साथ-साथ प्रांतीय और संघीय सरकार ने इसे रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?” इन सबमें दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश सीनेटरों ने स्वीकार किया कि उन्हें इस तथ्य की जानकारी भी नहीं थी कि पाकिस्तान अधिकांश उन्नत देशों के लिए डंपिंग ग्राउंड बन गया है। बैठक के दौरान यह बात सामने आई है कि अधिकाँश आयातित कचरे को समुद्र में डंप किया जा रहा था और जो कुछ बचा था उसे माल लाते समय बड़े शहरों में डंप किया जा रहा था।
जहाँ पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान के निष्कासन के बाद से “आयातित सरकार” जैसे शब्दों से गूंज रहे थे, वहीं अब ‘आयातित कचरा’ शब्द भी पाकिस्तान तक पहुँच गया है. भले ही पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सीनेटर फैसल जावेद ने “आयातित कचरा ना मंजूर” का ऐलान कर दिया है लेकिन पाकिस्तान जो अब इतने उन्नत देशों का कूड़ाघर बन चुका है उसे जल्द ही इस परेशानी से राहत मिलेगी ऐसे तो कोई आसार नहीं दिखते. पाकिस्तान की हालत दिनों दिन खराब ही होती जा रही है.
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