तो ‘जल जिहाद’ की वज़ह से आई सिलचर में बाढ़?.

‘ज़िहादियों’ ने बांध को तोड़ दिया और पूरा सिलचर ढूब गया!

Jal Jihaad

Source- TFIPOST.in

असम का सिलचर इस वक्त बाढ़ की भीषण तबाही से जूझ रहा है। बाढ़ ने सिलचर के लोगों के जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त करके रख दिया। 22 लाख से भी अधिक लोगों बाढ़ से प्रभावित हुए, जबकि 179 लोग अब तक बाढ़ के कारण अपनी जान गंवा चुके है। परंतु आपको जानकर हैरानी होगी कि सिलचर में आई यह बाढ़ प्राकृतिक आपदा नहीं है? बल्कि यह सिलचर के लोगों को डुबाने की एक बहुत बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थीं और यह “जल जिहाद” की ओर इशारा करती है।

दरअसल, सिलचर के कछार जिले में बराक नदी पर बांध टूटने की वजह से वहां बाढ़ आई है। परंतु यह बांध टूटा नहीं था। बल्कि एक षड्यंत्र के तहत इसे काटा गया था। असम पुलिस ने इस पूरे मामले में बड़ा खुलासा कर अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें मुख्य आरोपी काबुल खान के साथ मिठू हुसैन लश्कर, नजीर हुसैन लश्कर और रिपन खान शामिल है। पुलिस द्वारा दावा किया जा रहा है कि कुल छह लोग ने मिलकर बांध तोड़ने की साजिश रची थी। इस दौरान अपराधियों के द्वारा पूरी घटना की वीडियो भी बनाई गई।

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“जल जिहाद” किसी षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं?

पुलिस अधीक्षक रमनदीप कौर ने बताया कि बेतुकांदी बांध को षड्यंत्र के तहत काटा गया है। बांध टूटने के कारण बराक नदी का पानी तेजी से सिलचर में घुस गया और पूरा इलाका देखते ही देखते पानी में डूब गया। इस बाढ़ की वजह से सिलचर की बड़ी आबादी बेघर हो गई। पूरी घटना को लेकर असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा द्वारा भी कड़ा रूख अपनाया गया। मुख्यमंत्री हेमंता ने बाढ़ को मानव निर्मित आपदा बताते हुए उपद्रवियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की बात कही। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने इसकी जांच CID को सौंप दी गई। सीएम हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा- “बेथुकंडी की घटना हमारे लिए एक बड़ा सबक है। अगली बार जब बाढ़ आती है, तो हमें तटबंध पर पुलिसकर्मियों को तैनात करना पड़ेगा, ताकि कोई भी इसे तोड़ न सके।“

पूरी घटना को लेकर एक प्रश्न लोगों में उठ रहा है कि बांध को जानबूझकर काटकर लाखों लोगों को प्रभावित करने का यह पूरा षड्यंत्र क्या “जल जिहाद” का हिस्सा है? दरअसल, जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो सिलचर एक हिंदू बहुल शहर है। 2011 जनगणना के अनुसार यहां की 86.31 प्रतिशत आबादी हिंदू और 12.71 फीसदी आबादी मुस्लिम है। बाढ़ में बहुत बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते है। इससे कई लोगों की जान जाती है। घर उजड़ जाते है। लोग बेघर हो जाते है। कहीं इसलिए ही तो हिंदू बहुल इलाके को निशाना बनाकर “जल जिहाद” को अंजाम दिया गया। एक वर्ग के द्वारा असम को देश से अलग करने के प्रयास किए जाते है। आपको CAA प्रदर्शन के दौरान शरजील इमाम का बयान तो याद होगा ही, जिन्होंने देश से चिकन नेक काटने की बात कही थीं।

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देखा जाए तो आज भारत इस्लामिक कट्टरता का बुरी तरह शिकार होता चला जा रहा है। जिहाद के नाम पर विशेष समुदाय निर्दोष हिंदुओं को निशाना बना रहे है। हिंदू लड़कियों को बहला-फुसालकर प्यार के जाल में फंसाना और फिर उन्हें अपने धर्म में परिवर्तित करना ‘लव जिहाद’ के रूप में जाना जाता है। इसी तरह भोजन में थूक कर उसे प्रदूषित करना ‘थूक जिहाद’ कहलाता है। बीते दिनों इसके कुछ मामले भी देखने को मिले थे। जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा कर लैंड जिहाद को भी अंजाम दिया जा रहा है। वहीं, अब जिस तरह बांध को काटकर एक पूरे षड्यंत्र के तहत एक हिंदू इलाके को बाढ़ के माध्यम से डुबाने के प्रयास किए गए, उसको लेकर प्रश्न उठ रहा है कि क्या यह जिहाद का नया रूप तो नहीं निकाला गया है?

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