भारतीय ग्राहक दूसरी कारों की तुलना में SUVs को क्यों पसंद कर रहे हैं?

जानिए, क्या है कारण ?

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पिछले एक दशक में, भारत की सड़कों में जिस तेजी से एसयूवी की संख्या और मांग बढ़ी है उसके आगे हौंडा, मारुती, सेडान और हैचबैक जैसी गाडियां जो कभी बिक्री चार्ट पर हावी हुआ करती थी, उन्हें आज कोई नहीं पूछ रहा। एक समय की सबसे लोकप्रिय गाड़ियों की जगह अब मानो मध्यम आकार के स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स (एसयूवी) ने ले ली है। जहाँ एक समय में लोग सफर करने के लिए बसों का इस्तेमाल करते थे। वहीं अब माध्यम वर्गीय परिवार अब केवल कुछ कामचलाऊ नहीं बल्कि अपने लिए बेस्ट चाहते हैं। यही कारण है कि एक समय जब हौंडा और मारुती जैसी गाड़ियां उनकी इस मांग को पूरा करती थीं वही अब उनका ध्यान उन गाड़ियों से एसयूवी की ओर मुड़ गया है। कारण है कि एसयूवी जैसी गाड़ियां एक तरह का स्टेटस सिंबल बन चुकी हैं। महंगी और बड़ी गाड़ी का अर्थ है समाज में ऊंचा स्टेटस।

एक रिपोर्ट के अनुसार, एसयूवी सेगमेंट का योगदान, जो उद्योग का लगभग 19 प्रतिशत था, अब 2021-22 में 40 प्रतिशत बढ़ गया है और यह और अधिक बढ़ता ही जा रहा है। 2018 में, पूरे भारतीय ऑटो बाजार में 5.1% की वृद्धि हुई, जबकि एसयूवी में 12% की वृद्धि देखी गई। SUVs के इस प्रभावशाली विकास में, छोटी SUVs ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बाजार में एसयूवी की लोकप्रियता और मांग इतनी अधिक बढ़ रही है कि, जिससे इस सेगमेंट में अधिक से अधिक उत्पाद लॉन्च हो रहे हैं। वाहन निर्माता पिछले पांच वर्षों में एसयूवी के 36 मॉडल मार्केट में लॉन्च कर चुके हैं। वर्तमान में एसयूवी के लिए ऐसा क्रेज इतना अधिक है कि कुछ सबसे लोकप्रिय मॉडलों की प्रतीक्षा अवधि दो साल से अधिक तक बढ़ रही है, और नए ऑर्डर अभी भी आ रहे हैं। तो एसयूवी में ऐसा क्या है जो उसे दूसरी गाड़ियों से ख़ास बनाता है और भारतीय ग्राहकों में उसकी लोकप्रियता को दिनों- दिन बढ़ा रहा है?

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SUV की भारतियों में बढ़ती लोकप्रियता

कोरोना महामारी के बाद से लोगों ने सीखा है कि केवल बचत करना ही बेहतर ज़िंदगी और सुखद भविष्य का पर्याय नहीं है। बल्कि वर्तमान में बेहतर जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए। इसलिए अब लोग बचत के साथ-साथ अपनी पूंजी अपने जीवन को बेहतर बनाने में भी लगा रहे हैं। साथ ही अब देश के बढ़ते विकास से लोगों के जीने के तौर तरीके भी बदल रहे हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। बेहतर सड़कों पर अब वह कोई पुरानी मॉडल की गाड़ी नहीं बल्कि एक ऐसी नयी कार से चलना चाहते हैं जो समाज में उनका कद और उनका बेहतर जीवन दर्शाती हो। एसयूवी ने उनकी इसी मांग को समझा और आज वह भारतियों में पॉपुलर होती जा रही है।

बाजार में एसयूवी की लोकप्रियता और मांग इतनी अधिक बढ़ रही है कि, जिससे इस सेगमेंट में अधिक से अधिक उत्पाद लॉन्च हो रहे हैं। वाहन निर्माता पिछले पांच वर्षों में एसयूवी के 36 मॉडल मार्केट में लॉन्च कर चुके हैं। एसयूवी की अधिक कीमत के कारण वह एक लक्ज़री व्हीकल माना जाता था जो केवल उच्च वर्ग और अभिजात वर्ग जैसे अभिनेताओं, राजनेताओं और उद्योगपतियों तक सीमित थी। लेकिन माध्यम वर्गीय परिवारों की इसमें दिलचस्पी देख कंपनी ने छोटी एसयूवी का निर्माण किया जिसका दाम और आकार भले ही बड़ी और महंगी एसयूवी से कम था लेकिन वह अब भी सोशल स्टेटस का सिंबल बनी हुई थी। साथ ही इन्हें मध्यमवर्गीय परिवार की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जिसके कारण इनकी मांग भारत में दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। एसयूवी की वे अन्य विशेषताएँ जिन्होंने इन्हें भारतीय परिवारों की पसंद बना दिया है।

शानदार लुक और समाज में ऊंचे ओहदे का प्रतीक

यह तो आपने सुना ही होगा कि ‘जो दिखता है वो बिकता है’। एसयूवी अन्य गाड़ियों की तुलना में अधिक शानदार दिखती है और इसका महंगा दाम भी इसकी क्लास को दर्शाता है। साथ ही जिस तरह से यह नेताओं और फ़िल्मी कलाकारों के बीच इतनी पॉपुलर है वही इस गाड़ी को आम लोगों में और भी लोकप्रिय बना देता है और इस तरह से इस गाड़ी का होना समाज में एक ऊंचे ओहदे का प्रतीक बन जाता है।

हाई ग्राउंड क्लीयरेंस

भारत की सड़कें-चाहे वे गाँव की हों, शहर की, गड्ढों वाली सड़कें हो या फिर पहाड़ी इलाकों के उबड़ खाबड़ रोड, इन सभी पर एसयूवी बिना किसी परेशानी के चल सके इसके लिए SUV वाहन निर्माता उन्हें हाई ग्राउंड क्लीयरेंस से लैस करते हैं (थोड़ा ऊंचा बनाते हैं)। यह न केवल उन्हें पूरी तरह से गड्ढों वाली सड़कों पर आसानी से संचालित करने में मदद करता है जो हमारे अधिकांश शहरों में आम हैं, बल्कि उन्हें समान कीमत वाली सेडान या हैचबैक की तुलना में पानी से भरी सड़कों पर आसानी से ड्राइव करने में सहायक  है।

एसयूवी सेडान से ज्यादा सुरक्षित हैं

एसयूवी सेडान की तुलना में लंबी और भारी होती हैं। इसके अधिक वजन के कारण इसके ग्राहक को यह विश्वास होता है कि यदि यह कार कभी टकराई तो इसके भारी वजन के कारण इसमें बैठे ड्राइवर और यात्रियों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

ड्राइवर सीट

एसयूवी की ड्राइवर सीट ऊँची होती है जो ड्राइवर को आगे की सड़क के बारे में अधिक कमांडिंग दृश्य देती है। यह उन्हें संकरी सड़कों और ट्रैफिक जाम, जो भारत के बड़े शहरों में आम दृश्य हैं, इस स्थिति में वाहन को ठीक से संभालने में सहायक है। इसके अलावा, एसयूवी में व्यापक दृश्य भी ड्राइवर को आगे की बाधाओं के लिए तैयार करने में मदद कर सकता है।

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एसयूवी में आम तौर पर अधिक कार्गो रूम होता है

कार जितनी बड़ी होती है उसमें उतना ही अधिक कार्गो रूम होगा। अधिकांश मध्यम आकार और यहां तक ​​​​कि कॉम्पैक्ट एसयूवी में अधिकांश सेडान की तुलना में अधिक कार्गो वॉल्यूम जो भारतीय ग्राहकों के लिए इसके और भी आकर्षक बनाता है। अधिक कार्गो रूम का फायदा यह है कि उसमें आप जितना चाहे उतना सामान लोड कर सकते हैं।

सस्ती, अच्छी और सुविधा संपन्न

अधिकतर छोटी एसयूवी में भी टू- ज़ोन एचवीएसी सिस्टम, एक सनरूफ, एक टर्बो पेट्रोल इंजन और ऑटोमैटिक गियरबॉक्स जैसी कई सुविधाओं  से लैस हैं।

बैठने की क्षमता

भारत, जहाँ लोग बड़े परिवारों में रहते हैं ऐसे में उनकी गाड़ियों में सीटें भी अधिक होनी चाहिए। अधिकांश सब-4m SUVs 5-सीटर कार हैं, जिसका अर्थ है कि उनमें बैठने की क्षमता एक सेडान या हैचबैक के समान है। हालांकि, होंडा बीआर-वी सहित कुछ अपवाद सात सीटों की पेशकश करते हैं, जो इस प्रकार के वाहन को बड़े परिवारों के बीच अधिक लोकप्रिय बनाता है। भारतीय सब-4m SUVs के मोनोकॉक निर्माण ने उन्हें समान मूल्य वाली सेडान या हैचबैक जैसी अच्छी तरह से क्रमबद्ध गतिशीलता दी है। इसलिए, छोटी एसयूवी के मालिक एक ही समय में मजबूत प्रकृति के साथ-साथ अच्छी हैंडलिंग, राइडिंग क्वालिटी और हाई-स्पीड विश्वसनीयता का आनंद ले सकते हैं।

एसयूवी को कुछ साल पहले तक उनकी अधिक कीमत के कारण एक तरह से लक्ज़री व्हीकल माना जाता था जो केवल उच्च वर्ग और अभिजात वर्ग जैसे अभिनेताओं, राजनेताओं और उद्योगपतियों तक सीमित थी। लेकिन छोटी एसयूवी के आगमन और काम दाम ने इन्हें माध्यम वर्गीय परिवारों में भी लोकप्रिय बना दिया। साथ ही इन्हें भारत की सड़कों, माहौल और लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जिसके कारण इनका क्रेज आज भारतीय ग्राहकों में बढ़ रहा है।

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