यह वो वर्ष है जब भारत अपने 75वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मानने वाला है और दूसरी ओर मजहबी आधार पर बना मुल्क पाकिस्तान की आजाद के भी 75 वर्ष पूरे होने को है लेकिन आज बात पाकिस्तान की ही करेंगे कि आखिर कैसे यह मुल्क बर्बादी की बुनियाद पर खड़ा हुआ और आज बर्बादी के मुहाने पर जाकर अपने खात्मे का इंतजार कर रहा है। आर्थिक से लेकर सामाजिक और प्रत्येक क्षेत्र में फिसड्डी साबित होने वाला देश असल में 75 वर्षों के अंदर-अदर अपने अस्तित्व को बचाने खे लिए संघर्षरत है तो चलिए जानते हैं कि आखिर, पाकिस्तान का यह हाल हुआ कैसे?
नेताओं की हत्या का खेल
पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जिसने कभी अपने दिग्गज नेताओं की अहमियत नहीं समझी. यहां कई दिग्गज नेताओं का नाम आता है जोकि मौत की नींद स्वयं नहीं सोए बल्कि उन्हें मारा या जलाया गया है। जुल्फिकार अली भुट्टो एक ऐसा ही नाम है जिन्हें 1974 को मार दिया गया था. उन्हें पाकिस्तान के लिए सदैव विकास के इंजन के तौर पर जाना जाता है.
वहीं बेनजीर भुट्टो को भी गोली ही मारी गई थी और उनको पाकिस्तान के लिए एक गेम चेंजर के तौर पर देखा जा रहा था लेकिन वहां के अलगाववादियों ने बेनजीर को भी मौत के घाट उतार दिया था. ऐसे में एक बात बिल्कुल साफ तौर पर कही जा सकती है कि पाकिस्तान में राजनीतिक हत्याओं का एक लंबा इतिहास रहा है.
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तख्ता पलट का खेल
पाकिस्तान में राजनीतिक उलटफेर एक आम बात है. पाकिस्तान में 4 बार तख्तापलट हुआ है. पहला तख्तापलट 1953 में हुआ था लेकिन यह सैन्य नहीं बल्कि संवैधानिक तख्तापलट था. इसने सैन्य शासकों को आगे चुनी सरकारों को बेदखल करने का रास्ता खोला था. ऐसे में इसका जिक्र जरूरी है. दूसरा तख्ता पलट 1958 में हुआ था. तब पहले पाकिस्तानी राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तान की संविधान सभा और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को बर्खास्त कर दिया था. मिर्जा ने आर्मी कमांडर-इन-चीफ जनरल अयूब खान को चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया था. इसके बाद अयूब को खिसकाकर याह्या खान ने सत्ता अपने हाथों में ले ली. याह्या खान के हाथों में पाकिस्तान की सत्ता 1971 तक रही। उन्हीं के समय में भारत ने पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान को अलग करके एक नया मुल्क बना दिया.
जनरल जियाउल हक को सेना प्रमुख बनाया गया था. उसी सेना प्रमुख ने 1977 में भुट्टो का तख्तापलट किया था. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली और सभी प्रांतीय सभाओं को निरस्त करने का आदेश दिया. जियाउल हक ने पाकिस्तान का संविधान निलंबित कर दिया था. मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था. पाकिस्तान में अंतिम बार 1999 में तख्तापलट हुआ था। तब सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बेदखल कर सत्ता हथियाई थी. मुशर्रफ के दौर में ही कारगिल युद्ध हुआ था. भारत ने इस युद्ध में भी पाकिस्तान को धूल चटाई थी.
भ्रष्टाचार से घिरा है मुल्क
पाकिस्तान की तीसरी और बड़ी समस्या है कि वहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं. नवाज शरीफ के अलावा पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ भी भ्रष्टाचार के आरोपों में बुरी तरह घिरे हैं. अहम बात यह है कि इन दिग्गजों के अलावा अनेकों ऐसे नेता हैं जोकि पहले पाकिस्तान को लूटते रहे और फिर बाद में उन्होंने देश ही छोड़ दिया.
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आतंकवाद का खतनाक खेल
पाकिस्तानी की सबसे बड़ी समस्या है कि यह देश आतंकवाद को पालता है. भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने हमेशा ही आतंकवाद को पाला. पाकिस्तान से ही हर दिन किसी न किसी आतंकी वारदात की खबर सामने आती रही है. मौलाना मसूद अजहर से लेकर हाफिज सईद को पाकिस्तान में सम्मान दिया जाता है. 9/11 हमले का मुख्य आरोपी आतंकी ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया गया था. इसके अलावा 26//11 के हमले में भी आतंकियों का सीधा लिंक पाकिस्तान से है.
आर्थिक संकट का दौर
आपको बता दें कि आजादी के 75 वर्ष में पाकिस्तान अपने कुकृत्यों के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहा है. इसकी अहम वजह यह है कि आतंकवाद के चलते देश में बिजनेस की भारी कमी है. ऐसे में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में डाला है. पाकिस्तान में दाल चावल से लेकर दूध की मांग और कीमत बढ़ी है.
इन सब स्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान शुतुर्मुर्ग की तरह है जोकि 75 वर्ष पूरे होने के बावजूद आतंकवाद से लेकर सत्ता संघर्ष, आर्थिक से लेकर मानसिक सोच सभी में दिवालिया हो चुका है और 75 वर्ष बाद यह मुल्क वेंटिलेटर पर है.
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