12,190 करोड़ अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ अंबानी को पीछे छोड़ते हुए केवल भारत के ही नहीं बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप के सबसे अमीर आदमी बनकर उभरे हैं गौतम अडानी। भारत के ‘पोर्ट किंग’ कहे जाने वाले उद्योगपति अडानी केवल देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर स्थित बंदरगाह के मालिक ही नहीं बल्कि आठ हवाई अड्डों के संचालक होने के आलावा कोयला खनन ठेकेदार, सौर ऊर्जा डेवलपर, गैस वितरण व्यवसाई, अडानी विल्मर ब्रांड के मालिक, अडानी एनर्जी ट्रांसमिशन के संस्थापक, भारत में सबसे बड़े निजी थर्मल पावर उत्पादक के मालिक हैं। अडानी इंफ्रास्ट्रक्चर एम्पायर सोलर मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, इंडस्ट्रियल लैंड, डिफेंस एंड एयरोस्पेस, फ्रूट्स, डेटा सेंटर्स, रोड एंड रेल, रियल एस्टेट और लेंडिंग भी अडानी की कंपनियां हैं।
अब अडानी की कंपनियों की इतनी लम्बी लिस्ट से यह तो हैरानी वाली बात नहीं कि उन्होंने मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया है। साथ ही इन सभी कंपनियों में होने वाला लाभ गौतम अडानी के व्यापारिक कौशल और उनकी व्यवसाय की समझ का एक प्रदर्शन है। लेकिन हाल ही में एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें पाया गया कि भारत के शीर्ष व्यापारिक घरानों का संयुक्त सकल ऋण मार्च के अंत तक 2.21 लाख करोड़ के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार इन व्यापारिक घरानों में अडानी समूह सबसे अधिक ऋणी हो गया है।
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अडानी समूह ने अपनी विभिन्न इकाइयों के लिए ऋण लिया
अडानी के सौर ऊर्जा, ग्रीन एनर्जी जैसे दूरदर्शी प्रोजेक्ट्स भविष्य के भारत की नींव को मजबूत करने की ताकत रखते हैं। उनके व्यवसायों में कई लोगों को रोजगार मिला है और राष्ट्र को आगे बढ़ाने और सुदृढ़ बनाने में अडानी की अपनी भूमिका है। लेकिन यह भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है कि पिछले कुछ समय से अडानी एक के बाद एक अधिग्रहण करने में लगे हैं। अपने अडानी समूह का विस्तार करने में उन्होंने भारी भरकम रकम कर्ज़े पर ली है। आगे यदि वे नहीं संभले तो यह क़र्ज़ गले की फांस बनने में अधिक समय नहीं लेगा।
वित्त वर्ष 2021-22 में अडानी समूह की संयुक्त उधारी पिछले वित्त वर्ष में यह 1.57 लाख करोड़ से 40.5 प्रतिशत बढ़कर लगभग 2.21 लाख करोड़ रुपये हो गई। द मॉर्निंग कॉन्टेक्स्ट के आंकड़ों के अनुसार, समूह की कंपनियों में, ऋण में सबसे अधिक वृद्धि इसकी प्रमुख इकाई अडानी एंटरप्राइजेज में दर्ज की गई, जो कि 2021-22 में 155 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ 41,024 करोड़ रुपये हो गई। अडानी समूह ने अपनी विभिन्न इकाइयों के लिए ऋण लिया।
अडानी कंपनी | FY2020- 2021 ऋण | FY 2021-22 ऋण | ऋण |
अडानी पावर | 52,411 करोड़ रुपये | 48,796 करोड़ रुपये | 6.9 प्रतिशत कम |
अडानी विल्मर | 2,950 करोड़ रुपये | 2,568 करोड़ रुपये | 12.9 प्रतिशत कम |
अदाणी ग्रीन एनर्जी | 23,874 करोड़ रुपये | 52,188 करोड़ रुपये | 118.6 प्रतिशत बढ़ा |
अडानी पोर्ट्स और एसईजेड | 34,401 करोड़ रुपये | 45,453 करोड़ रुपये | 32.1 फीसदी बढ़ा |
अडानी ट्रांसमिशन | 26,961 करोड़ रुपये | 29,815 करोड़ रुपये | 10.6 प्रतिशत बढ़ा |
अडानी टोटल गैस | 488 करोड़ रुपये | 995 करोड़ रुपये | 103.9 प्रतिशत बढ़ा |
एक अन्य खबर के अनुसार, अडानी ग्रुप ने गुजरात के मुंद्रा में कोल-टू-पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) फैक्ट्री बनाने के लिए देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से 14,000 करोड़ के कर्ज के लिए आवेदन किया है। यह ऋण मार्च में अडानी एंटरप्राइजेज के नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए लिए गए 12,770 करोड़ रूपए के ऋण से काफी अधिक है। जो इसे हाल के महीनों में सबसे बड़े परियोजना ऋण अनुरोधों में से एक बनाता है। गौतम अडानी की कंपनी ने मुंद्रा में एक नई कॉपर रिफाइनरी परियोजना के लिए 6,071 करोड़ डॉलर जुटाए हैं।
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सीमेंट बाजार में दूसरा सबसे बड़ा भागीदार बनेगा अडानी समूह
एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी द्वारा स्थापित अडानी समूह ने हाल ही में होल्सिम के भारतीय सहयोगियों, एसीसी सीमेंट्स और अंबुजा सीमेंट्स के सीमेंट क्षेत्र का अधिग्रहण करने के लिए $10.5 बिलियन का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की। यह अधिग्रहण पोर्ट-टू-एनर्जी समूह के सीमेंट बाजार में प्रवेश का प्रतीक है। यह समझौता अरबपति अडानी समूह के मौजूदा सीमेंट परिचालन, अडानी सीमेंटेशन लिमिटेड और अडानी सीमेंट लिमिटेड को ऊंचा करेगा और इसे स्थानीय सीमेंट बाजार में दूसरा सबसे बड़ा भागीदार बना देगा।
अंबुजा और एसीसी की कुल क्षमता 70 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) है। कुल 6.5 अरब डॉलर में अडानी समूह पहले अंबुजा में होल्सिम की 63.1 फीसदी हिस्सेदारी और एसीसी में 4.4 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगा। बदले में अंबुजा की एसीसी में 50% हिस्सेदारी है। अडानी समूह तब अल्पांश शेयर धारकों के लिए आवश्यक खुली बोली लगाएगा। जिसकी कीमत अंबुजा के लिए 385 रुपये प्रति शेयर और एसीसी के लिए 2,300 रुपये प्रति शेयर होगी।
जहाँ घरेलू प्रोजेक्ट के लिए अडानी ने एसबीआई से लोन लिया है वही अंबुजा सीमेंट कंपनी के लिए उन्होंने विदेशी बैंकों से ऋण लिया है। कोरोनाकाल के बाद भी जिस तरह से न केवल घरेलू बैंकों ने बल्कि विदेशी बैंकों ने भी अडानी को भारी रकम ऋण के तौर पर देने की मंजूरी दी है। वह उनकी अडानी और उनकी व्यापारिक समझ पर विश्वास को दर्शाती है। साथ ही भारत की विदेश में बढ़ती पहुँच का भी यह एक उदाहरण है।
अडानी ने अपने समूह के विस्तार के लिए जिस तरह से रन लिया है यदि उनकी कंपनियों की कमाई और बढ़त देखी जाए तो वह निष्फल तो नहीं। हालाँकि यह समझ पाना मुश्किल है कि वे कैसे इतनी सारी इकाइयों की देख रेख करते हैं। खासकर तब जब वे कंपनियां अलग अलग क्षेत्रों से जुडी है। लेकिन जिस तरह से अडानी अपने सपनों के साथ-साथ देश को भी उड़ान भरने के लिए पंख दे रहे हैं उससे यह तो साफ़ है कि उनका ऋण लेना व्यर्थ नहीं गया। जिस तरह उनकी कंपनियां विकास कर रही हैं और उनके समूह का विस्तार हो रहा है वह जितना अचंभित करने वाला है उतना ही रोमांचक भी है।
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