राणा अय्यूब तिरंगा को नहीं मानती, रुश्दी के लिए की थी दुआ, ‘सुधार ली ग़लती’

राणा अय्यूब की बैंड तो उनके अपने लोगों ने ही बजा दी!

Rana Ayyub controversy

Source- TFI

देखो बंधु, सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नहीं कहते। बड़े-बड़े तुर्रम खान भटक गए, राणा अय्यूब किस खेत की मूली हैं? वैसे भटकना और भटकाना तो इनकी आदत में शुमार है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ था लेकिन इस बार अय्यूब खुद भटक गईं और इस बार उनके अपने लोगों ने ही उनकी बैंड बजा दी है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे राणा अय्यूब ने एक गजब की भूल की, जिस पर उनका कुनबा भड़क गया और नतीजा यह हुआ कि उन्हें अपनी भूल सुधारने पर विवश होना पड़ा।

दरअसल, हाल ही में राणा अय्यूब फिर से विवादों के घेरे में रही परंतु इस बार कुछ अलग कारणों से। उन्होंने हर घर तिरंगा से जुड़ा एक विषैला पोस्ट द वॉशिंगटन पोस्ट के लिए लिखा, जहां भारत के राष्ट्रवाद पर धावा बोलते हुए बताया गया कि कैसे ये भारत के बहुसंस्कृति के लिए हानिकारक है और कैसे ये मोदी सरकार के “नाइंसाफी को छिपाने का एक प्रयास” है।

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आप भी सोचेंगे, ये मोहतरमा फिर शुरू हो गई? परंतु ठहरिये, ये संयोग नहीं है, तनिक इसे भी देखिये –

Source- Twitter

आप भी चकित हुए न? यह राणा अय्यूब महोदया का ही ट्वीट था, जो उन्होंने सलमान रुश्दी पर हुए हमले के पश्चात किया था। इसके बाद जो बवाल मचा उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। कई इस्लामिस्ट इस ट्वीट पर बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने राणा अय्यूब को खूब सुनाया। एक ने अय्यूब की क्लास लगाते हुए कहा, “हम किसी ऐसे शख्स को फ़ॉलो नहीं कर सकते हैं, जिसने पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने वाले का समर्थन किया हो और उसकी सलामती की दुआ मांगी हो।”

वहीं, कुछ इस्लामिस्ट ने राणा की पोल खोलते हुए कहा कि अय्यूब वही बोल रही हैं, जो पश्चिम के लोग सुनना चाहते हैं। अय्यूब अब पश्चिमी अभिजात वर्ग के उदारवादियों की पहली पसंद बन चुकी हैं क्योंकि वो पीएम मोदी और उनके नीतियों का शुरू से विरोध करती आ रही हैं। वो अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों का दिल जीतने के लिए मुद्दों को भुनाने में जुटी रहती हैं। एक मुस्लिम ट्विटर यूजर ने कहा कि वो इंस्टाग्राम पर राणा अय्यूब की तस्वीरें और उनके द्वारा मुस्लिम मुद्दों पर आवाज उठाने के बाद उनके फैन हो गए थे। हालांकि, अब उन्होंने ऐसा महसूस किया कि वह सिर्फ अपने करियर को आगे ले जाने के लिए ये सब कर रही थीं।

एक के बाद एक कर राणा अय्यूब के ट्वीट पर इस्लामिस्टों के प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई, बस फिर क्या था, राणा को अपने भाईजान की लाज रखनी थी। तुरंत अपनी भूल सुधारते हुए महोदया ने ट्वीट डिलीट किया और लग गई भारत के विरुद्ध विष उगलने। अब समझे, कहां से लगी सारी आग? परंतु ये प्रथम ऐसा मामला नही है जब राणा अय्यूब ने अपने लाभ के लिए अपने लोगों को ठगा हो, आने वाले समय में यदि वो अपने विचारधारा को भी लात मार दें तो चकित मत होइयेगा। इनके लिए ‘बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया होता है’, बस ये पलटूराम की नीति इस बार इनपर उल्टी पड़ गई। ऊ का है न, ई नीतीशवा के अलावा सबसे हजम ही नही होता।

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