AMU में अब ‘इस्लामिक कट्टरपंथ’ की जगह सनातन पाठ पढ़ाया जाएगा

बहुत आवश्यक निर्णय!

AMU

परिवर्तन संसार का नियम है पर ऐसा परिवर्तन जो सोच से परे हो यदि वो कल्पना को पीछे छोड़ते हुए वास्तविकता में परिवर्तित हो जाए तो उसे किसी चमत्कार से कम नहीं आंका जा सकता है। लेकिन होता तो ऐसा भी है कि कुछ लोगों को सकारात्मक परिवर्तन से भी चिढ़ होती है। कुछ ऐसा ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी AMU में हुआ है। जी हां, वही AMU जिसका विवादों से बहुत गहरा नाता है पर अब उसी AMU की नयी तस्वीर ने देश को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है। अब AMU में सनातन संस्कृति या कहें सनातन धर्म की शिक्षा-दीक्षा दी जाएगी।

इस लेख में जानेंगे कि कैस आने वाला समय ऐसा होगा कि एएमयू के छात्र सनातन धर्म को जान पाएंगे, सनातन धर्म के ज्ञान को अर्जित कर पाएंगे, और कैसे इस परिवर्तन से भी कुछ लोग बुरी तरह से बिलबिलाए हुए हैं।

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सनातन धर्म से संबंधित नया पाठ्यक्रम शुरू होगा

दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने सनातन धर्म से संबंधित एक नया पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय किया है। आगामी शैक्षणिक सत्र से इस्लामिक अध्ययन विभाग में अन्य धर्मों के साथ-साथ सनातन धर्म के बारे में भी नया पाठ्यक्रम लाना एकदम तय हो गया है।

एएमयू के पीआरओ, उमर सलीम पीरजादा के अनुसार, एएमयू एक समावेशी विश्वविद्यालय है जिसमें सभी धर्मों और भाषाओं के छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं। पीआरओ ने कहा, “हमने एमए में इस्लामिक अध्ययन विभाग के अंतर्गत ‘सनातन धर्म अध्ययन’ पाठ्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है।” पीरजादा ने यह भी दावा किया कि विश्वविद्यालय का धर्मशास्त्र विभाग पिछले 50 वर्षों से सनातन धर्म पढ़ा रहा था लेकिन अब इस्लामिक अध्ययन विभागों ने इसमें एक पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव रखा था।

एएमयू के आधिकारिक प्रवक्ता शाफ़ी किदवई ने भी पुष्टि की कि विभिन्न धर्मों के तुलनात्मक अध्ययन में एक पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव इस्लामिक अध्ययन विभाग के अध्यक्ष द्वारा लाया गया था। अगले शैक्षणिक सत्र से शुरू होने वाले पाठ्यक्रम में इस्लामिक अध्ययन के साथ सनातन धर्म और अन्य धर्मों के धार्मिक पाठ शामिल होंगे। इस बीच, इस्लामिक स्टडीज विभाग के प्रमुख मोहम्मद इस्माइल ने दावा किया कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को सनातन धर्म और इस्लामिक अध्ययन जैसे अन्य धर्मों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।

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भारत की मिट्टी में सनातन धर्म बसता है

देखिए भइया, कुल जमा बात ये है कि भारत की मिट्टी-मिट्टी में सनातन धर्म और सनातन संस्कृति का वास है ऐसे में यहां के विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों को सनातन धर्म के बारे में छात्रों को अवगत कराना ही चाहिए लेकिन ये बात शांतिदूतों को समझ में नहीं आती है। यहां AMU में सनातन धर्म का ज्ञान देने की बात आयी नहीं कि वहां कुछ कट्टरपंथियों को दिक्कत होने लगी। कुछ बुद्धिजीवी तो ये तक मांग करने लगे कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अगर सनातन धर्म की पढ़ाई होगी तो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय समेत अन्य जितने भी देश के विश्वविद्यालय हैं वहां पर भी इस्लामिक स्टडीज की पढ़ाई होनी चाहिए। क्यों भइया क्यों होनी चाहिए? भारत तो सनातनियों की भूमि है फिर इस्लामिक ज्ञान का यहां क्या काम। ऐसा है, विरोधियों और बेतुकी मांग करने वालों को तो इस बात का सौभाग्य मानना चाहिए कि उन्हें सनातन धर्म को जानने और समझने का अवसर प्राप्त हो रहा है।

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समझना होगा कि अलीगढ़ विश्वविद्यालय में यूं तो सनातन संस्कृति से जुड़े पाठ्यक्रम को शुरू करने की एकमात्र मंशा एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की इच्छा को पूर्ण करना है। दरअसल, उनकी इच्छा थी कि सभी धर्म के छात्र-छात्राओं को एएमयू में शिक्षा हासिल हो। लेकिन सिलेबस का विरोध करने वाले लोगों को ये भी समझना होगा कि सभी को इस्लामिक पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है तो समानता के अधिकार के अनुरूप सनातन पद्धति को भी जानना उतना ही आवश्यक है, तब और जब आप सनातनियों की भूमि पर रह रहे हों। सनातन धर्म में अथाह ज्ञान समाहित है उसे अर्जित कीजिए जीवन सफल हो जाएगा।

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