चुनाव पास आते आते या तो नेता सुधर जाते हैं या अपने असल त्रिया चरित्र में आ जाते हैं। राजस्थान में 2023 के अंत तक चुनाव होंगे। ऐसे में वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अपनी असल जिहादी सोच के साथ सबके सामने है। गणेश चतुर्थी आने को है पर उससे पूर्व गहलोत सरकार का एक तुगलकी फरमान राज्यभर में भ्रमण कर रहा है। यह आदेश गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियों का निर्माण करने वालों के लिए जारी किए गए प्रतिबंधों को लेकर है। जिसके चलते अब गहलोत सरकार और विशेषकर अशोक गहलोत तुष्टिकरण के स्वामी कहे जाने लगे हैं। चूँकि ऐसा पहली बार नहीं है इसलिए यह कहा जाना अनुचित भी नहीं है, क्योंकि हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या !
#मुगल_शासन भी ऐसा ही होगा।
"#गजानन 3 फुट से ज्यादा के न हो, जल प्रदूषित होता है।" @KotaPolice@PoliceRajasthan @PoliceRajasthan @IgpKota @ashokgehlot51 जी सिर्फ हिंदू त्यौहार से ही जल, वायु अग्नि,ध्वनि,भूमि पप्रदूषण होता है क्या?@PMOIndia @HMOIndia pic.twitter.com/LRnjWjIuMD— Sujeet Swami️ (@shibbu87) August 5, 2022
दरअसल, राजस्थान की कोटा पुलिस ने आगामी गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा के लिए मूर्तियों का निर्माण करने वालों के लिए कुछ प्रतिबंधों के साथ दिशा निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में कहा गया है कि “मूर्तियों की ऊंचाई 3 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।” 4 अगस्त 2022 गुरुवार को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि “इन आदेशों का पालन नहीं करने वालों की मूर्तियों को पुलिस द्वारा जब्त कर लिया जाएगा।”
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गहलोत सरकार का निर्देश
बताया जा रहा है कि कोटा शहर के थाना जवाहर नगर के एसएचओ ने मूर्तिकार मृत्युंजय बिस्वास को नोटिस दिया है। इस आदेश को लेकर ‘पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की मूर्तियां’ नहीं बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इससे मूर्तिकारों को परेशानी हुई हैं। क्योंकि उनकी कई मूर्तियां पहले ही बन चुकी हैं, जिनकी ऊंचाई सरकारी आदेश से भी ज्यादा है।
नोटिस में आगे लिखा गया है, “गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा और अनंत चतुर्दशी के लिए बनाई गई मूर्तियों को चंबल नदी और किशोर सागर तालाब में विसर्जित किया जाता है। इससे पानी प्रदूषित होता है और जलीय जानवरों के लिए भी खतरा होता है। अगर कोई प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित मूर्ति बनाते हुए पाया जाता है तो उनकी प्रतिमा जब्त कर ली जाएगी। नोटिस के अंत में मोटे अक्षरों में लिखा है कि मिट्टी की मूर्तियों की ऊंचाई 3 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।”
अब इसे तुगलकी फरमान न कहें तो क्या कहें? जिस अशोक गहलोत सरकार ने कभी पशुओं के काटे जाने से हो रहे प्रदूषण पर एक नोटिस जारी नहीं किया। वही अशोक गहलोत सरकार कभी कांवड यात्रा के समय नियमावली सख्त कर दी जाती है तो कभी मंदिर तक तोड दिए जाते हैं। इस बार प्रदूषण का नाम लेकर उन सभी मूर्तिकारों की जीविका पर तो गहलोत सरकार लात मार ही रही है, साथ ही हिंदू धर्म और उसके अनुयायियों की भावनाओं पर एक बार फिर से चोट कर रही है। जैसे अब तक गहलोत सरकार करती आई है। दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोज़र कार्रवाई के बाद राजस्थान के अलवर में जिस तरह से मंदिरों पर बुलडोजर चलाया गया और प्रतिमाएं फेंक दी गई, उसे जहांगीरपुरी में हुई अवैध अतिक्रमण पर हुई कार्रवाई के प्रतिशोध की एवज में की गई कार्रवाई के रूप में संदर्भित किया गया।
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इस पर सवाल उठाने पर टीवी एंकर अमन चोपड़ा के खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जब उन्होंने राजस्थान के अलवर में एक मंदिर के विध्वंस के बाद टीवी शो की एंकरिंग करते हुए यह सवाल कर दिया था कि “राजस्थान के अलवर में जिस तरह से मंदिरों पर बुलडोजर चलाया गया और प्रतिमाएं फेंक दी गई, क्या यह जहांगीरपुरी में हुई अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई के बदले में की गई कार्रवाई थी?”
हिंदू त्योहारों से इतनी नफरत क्यों
बस फिर क्या था, राजस्थान की कांग्रेस सरकार बिलबिला गई और पहली प्राथमिकी 23 अप्रैल को डूंगरपुर के बिछवाड़ा में, दूसरी उसी दिन बूंदी में और तीसरी 24 अप्रैल को अलवर में दर्ज की गई थी। चोपड़ा के खिलाफ आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह), 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से काम करना), 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत कांग्रेस शासित राजस्थान में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अब जो गहलोत सरकार एक समुदाय विशेष के प्रति अपने अगाढ़ प्रेम के लिए जानी जाती है उससे तो ऐसे ही तुगलकी फरमानों की अपेक्षा की जा सकती है। जिसकी पूर्ति अशोक गहलोत सरकार कर भी रही है। मूर्तियों की उंचाई तय करने वाली गहलोत सरकार की पुलिस को मात्र हिंदू त्योहारों से ही जल, वायु, अग्नि, ध्वनि, भूमि, प्रदूषण होता दिखाई देता है। यही है अशोक गहलोत जैसे मुख्यमंत्रियों की असल पहचान जो मात्र तुष्टिकरण की वजह से ही राजनीतिक रूप से जीवित हैं अन्यथा कबके झोला उठा कर चल दिए होते।
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