पाउलो कोएल्हो के विश्वप्रसिद्ध पुस्तक के एक छंद के अनुसार, “किसी वस्तु को अगर हृदय से चाहो तो सारा ब्रह्मांड उसे तुमसे मिलाने में लग जाएगा।” परंतु एक व्यक्ति इस बात को इतनी गंभीरता से लेगा, किसी को इसका लेशमात्र भी अनुमान नहीं था। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे जहां एक ओर बॉलीवुड एक के बाद एक फ्लॉप देता जा रहा है वहीं, एक ऐसा रचयिता भी है, जो छोटी-छोटी फिल्मों से करोड़ों में खेल रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं चर्चित फिल्म निर्माता अभिषेक अग्रवाल की।
कार्तिकेय 2 की परफ़ॉर्मेंस से केवल लोग ही नहीं, ट्रेड विश्लेषक और बड़े-बड़े सेलिब्रिटी तक चकित हैं! एक ओर जहां बॉलीवुड की बड़ी-बड़ी फिल्में करोड़ों फूंक कर भी बॉक्स ऑफिस पर एक ढंग की हिट तक निकाल पाने में असफल सिद्ध हो रही है, तो वही बहुभाषीय सिनेमा एक के बाद एक हिट दिए जा रहा है। इसी बीच आते हैं एक व्यक्ति अभिषेक अग्रवाल, जिनकी सोच और जिनके विचार भारतीय फिल्म उद्योग को एक अलग ही दिशा दे देते हैं।
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वो कैसे? गागर में सागर भरने को अभिषेक अग्रवाल ने एक अलग ही रूप में परिभाषित किया है। एक ओर बॉलीवुड 100-100 करोड़ के फ्लॉप प्रदर्शित कर रही है और ये मानने को ही तैयार नहीं कि उनके उद्योग में कोई कमी है। वहीं, दूसरी ओर अभिषेक अग्रवाल तेलुगु उद्योग में अपनी कुटिया स्थापित कर कुछ 5-25 करोड़ में फिल्में बनाते हैं, जो आज के परिप्रेक्ष्य में कुछ भी नहीं है परंतु उसका कलेक्शन उसका दोगना, तिगुना यहां तक कि चौगुना भी हो जाता है। यही नहीं, उनकी फिल्मों से कभी कभी ऐसे लोगों को भी प्रसिद्धि मिलती है, जो कल तक अपने योग्यताओं को सही मंच पर प्रदर्शित करने हेतु स्ट्रगल कर रहे थे।
उदाहरण के लिए कन्नड़ फिल्म ‘किरिक पार्टी’ का तेलुगु रीमेक ‘किरक पार्टी’ जब बना, तो उसमें अभिषेक अग्रवाल भी जुड़े। इस फिल्म को बनाने में मुश्किल से 4 से 5 करोड़ लगे परंतु इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन लगभग चौगुना रहा यानी 16 करोड़। उसी वर्ष आई गूड़ाचारी, जो एक गुप्तचर पर आधारित फिल्म थी और जिसने रातों रात कभी “बाहुबली” में ‘भल्लालदेव के पुत्र’ के रूप में चर्चित अभिनेता अदीवी सेष को सुपरस्टार बना दिया क्योंकि 6 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने 25 करोड़ का व्यापार किया था।
परंतु बात यहीं पर खत्म नहीं होती। अभिषेक अग्रवाल ने सोचा, क्यों न तेलुगु उद्योग से आगे बढ़ा जाए और उन्होंने बात की विवेक अग्निहोत्री के साथ। परिणाम निकला द कश्मीर फाइल्स। इसकी राह सरल नहीं थी। एक तो कोविड का प्रकोप, उसपर बॉलीवुड का वर्चस्व। स्थिति तो ऐसी थी कि स्क्रीन तक मिलने के लाले पड़े थे परंतु वो कहते हैं न, सच्चे मन से किया कोई कार्य निष्फल नहीं होता। मात्र 600 स्क्रीन पर प्रदर्शित होने वाली द कश्मीर फाइल्स बिना किसी लाग लपेट के भारतीय इतिहास के एक स्याह पक्ष को दिखाने के लिए जनता का प्रिय बन गया और मात्र 15 करोड़ के बजट में बनी यह फिल्म देखते ही देखते बॉक्स ऑफिस पर 350 करोड़ से अधिक बटोर ले गई, वो भी तब, जब सामने राधे श्याम, RRR, बच्चन पांडे और यहां तक कि KGF जैसे फिल्में लगी हुई थी।
वहीं, अब कार्तिकेय 2 का भी द कश्मीर फाइल्स जैसा ही हाल हो रहा है। इसकी सफलता से सभी अभिभूत हो रहे हैं और ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अभिषेक अग्रवाल जल्द ही भारतीय सिनेमा के ‘राकेश झुनझुनवाला’ सिद्ध हो सकते हैं यानी द वन एंड ऑनली ‘बिग बुल’!
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