न भारत को राष्ट्र मानते हैं और न ही स्वयं को हिंदू- लाल सिंह चड्ढा के लेखक अतुल कुलकर्णी से मिलिए

आमिर खान को अतुल कुलकर्णी ही मिलने थे- वही मिले!

Atul Kulkarni and Amir Khan

Source- TFI

इन दिनों वामपंथियों की हालत ‘मरता क्या न करता’ वाली हो चुकी है। उनकी सफलता का प्रतीक चिह्न कहे जाने वाले आमिर खान के पीछे भारत की जनता ऐसे हाथ धोकर पड़ी हुई है मानो उनकी आगामी फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ का विनाश करके ही छोड़ेगी। ऐसे में अब वो इस फिल्म के हर उस सदस्य को ढूंढ रहे हैं, जो विवाद से दूर हो और जिसकी छवि ‘स्वच्छ’ हो।

उदाहरण के लिए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “यदि आप लाल सिंह चड्ढा का बॉयकॉट कर रहे हैं तो आप केवल आमिर खान और करीना कपूर का ही नहीं, अतुल कुलकर्णी और उन सैकड़ों को भी बॉयकॉट कर रहे हैं जो इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं। कम से कम इस फिल्म को देख लें और परख लें इससे पहले कि आप ट्विटर पर नौटंकी करें।” अतुल कुलकर्णी, ये नाम सुना सुना नहीं लग रहा? सुना कैसे नहीं है, इस व्यक्ति के किस्से बहुत लंबे और अनंत हैं। इस लेख में हम विस्तार से अतुल कुलकर्णी के कारनामों से अवगत होंगे, जो कहने को एक बेहद कुशल कलाकार हैं परंतु उनके कुकर्मों के बारे में जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।

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दरअसल, लाल सिंह चड्ढा को सफल बनाने हेतु बॉलीवुड हर युक्ति अपना रहा है और इसके लिए वामपंथी बिरादरी अब देर से ही सही परंतु एकजुट भी हो रही है। अब वे इस फिल्म के हर सदस्य का गुणगान कर रहे हैं विशेषकर अतुल कुलकर्णी का, जो अभिनेता से लेखक बने हैं और जिनकी ये संभवत अंतिम फिल्म प्रोजेक्ट होगी! ध्यान देने वाली बात है कि ये वही अतुल कुलकर्णी हैं, जिन्होंने CAA विरोधी प्रदर्शनों में ‘रंग दे बसंती’ के अन्य अभिनेताओं के साथ हिस्सा लिया था? निस्संदेह, जो ऐसे ट्वीट स्पष्ट तौर पर वर्षों पहले पोस्ट करे उससे आप और क्या ही आशा कर सकते हैं –

 

परंतु यह तो कुछ भी नहीं है। अतुल कुलकर्णी केवल इतने पर रुक जाते कि वो हिन्दू विरोधी हैं तो शायद उन्हें ‘जेएनयूछाप आंदोलनजीवी’ मानकर लोग छोड़ भी देते परंतु वर्ष 2018 के उनके एक ट्वीट से यह भी स्पष्ट होता है कि वो केवल हिन्दू विरोधी ही नहीं, भारत विरोधी भी हैं क्योंकि वो भारत को एक राष्ट्र ही नहीं मानते। उनके अनुसार, “भारत देशों का एक समूह है, इस तथ्य को इसके राजनीतिक निर्माण के समय ही स्वीकार कर लेना चाहिए था।”

Source- Twitter

ज्ञात हो कि अभी हाल ही में आमिर खान रो रहे थे कि उन्हे देशभक्त नहीं समझा जाता है और वो देशविरोधी नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि “कुछ लोगों को लगता है कि मैं भारत को पसंद नहीं करता हूं, मुझे काफी दुख होता है जब लोग मेरी फिल्म का इस तरह से बहिष्कार करते हैं। लेकिन मैं उन्हें ये बताना चाहता हूं जो वो सोच रहे हैं वो एकदम गलत है। मेरा उनसे अनुरोध है कि मेरी फिल्म को बॉयकॉट न करें और कृपया कर के उसे देखने जरूर जाएं।” परंतु उनकी फिल्म के लेखक तो अतुल कुलकर्णी हैं, जो भारत की भावना में विश्वास ही नहीं रखते हैं। उनके लिए भारत का अस्तित्व ही नहीं है, उनके लिए भारत तो है ही नहीं। अब ऐसा व्यक्ति यदि ‘फॉरेस्ट गम्प’ को भारतीय परिस्थितियों के अनुसार बनाएगा तो क्या वो उसे न्याय दे पाएगा? क्या वो ‘लाल सिंह चड्ढा’ को भारत के योग्य बना पाएगा? जवाब है- बिल्कुल नहीं!

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