इन दिनों चीन पर मानो साढ़े साती की दशा चल रही हो। जहां हाथ मारो, वहाँ असफलता ही हाथ लगती है। खेल के क्षेत्र को छोड़ दें, तो असफलता अब चीन का पर्याय ही बन चुका है। इसी बीच अब भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा निरंतर चीनी मोबाइल कंपनियों से बौखलाई चीनी प्रशासन ने चीनी मीडिया के माध्यम से भारत को धमकाने का प्रयास किया है कि “वे भारत से अपने हाथ पीछे खींच सकते हैं।”
असल में चीनी मोबाइल कंपनियों ओप्पो, वीवो इंडिया और एक अन्य पर कर चोरी के साथ ही कई तरह की अनियमितताएं के आरोप हैं। इस मामले में सरकार इन्हें नोटिस जारी कर चुकी है। अभी इसकी जांच चल रही है।
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चीनी उद्यमियों का उत्साह हो रहा कम
इससे बुरी तरह बौखलाई चीनी प्रशासन ने अपने आधिकारिक मीडिया, ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से कहा, “भारत सरकार द्वारा की जा रही जांच से न सिर्फ इन कंपनियों का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है, बल्कि इससे व्यावसायिक वातावरण भी खराब हो रहा है। इससे चीनी उद्यमियों का उत्साह भी कम हो रहा है। उसने कहा है कि इसके चलते कई कंपनियां भारत को छोड़ अन्य देशों का रुख कर रही हैं। इसलिए, भारत सरकार को इस मामले में आ रही बाधाओं को दूर करना चाहिए”।
अब चोर हमें उपदेश दे रहे हैं कि कैसे हमारे चोरी करने की प्रक्रिया को और सुविधाजनक बनाया जाएँ। परंतु ग्लोबल टाइम्स वहीं पर नहीं रुकी। उन्होंने यहाँ तक आरोप लगाने का प्रयास किया कि “भारतीय एजेंसियों को चीनी कंपनियों के अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए।” और कैसे विदेशी कंपनियां भारत से भाग रही हैं। इसे कहते हैं रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। चीनी प्रशासन अपनी गलतियाँ मानने को तनिक भी तैयार नहीं है। वे ये स्वीकारने को तैयार नहीं कि इनकी वित्तीय अनियमितताओं के कारण वीवो, ओप्पो एवं शाओमी जैसे स्मार्टफोन कंपनी अब भारतीय जांच एजेंसियों, जैसे ED, इनकम टैक्स इत्यादि के घेरे में आ गई है।
अभी ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं, कुछ ही हफ्तों पूर्व जुलाई में ग्लोबल टाइम्स ने एक पूरा लेख इसी बात को समर्पित किया है कि कैसे भारतीय हैकर्स चीन संबंधित कोडनेम के माध्यम से पाकिस्तान पर हमला कर रहा है? इनके हेडलाइन को पढ़कर आप भी पेट पकड़ कर हंसने लगेंगे
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ग्लोबल टाइम्स के विशेष लेख के अनुसार, “डेढ़ वर्ष के विशेष शोध के पश्चात एक चीनी साइबर सिक्योरिटी कंपनी ने पता लगाया है कि एक एडवांस्ड परसिस्टेंट थ्रेट ग्रुप ‘Confucious’ के नाम से पाकिस्तानी सरकारी एवं मिलिटरी संस्थाओं पर आक्रमण कर रहा है।”
ग्लोबल टाइम्स आगे लिखता है, “ये ग्रुप 2013 से सक्रिय है। ये चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की सरकारों और उनके सैन्य संस्थानों एवं उनके ऊर्जा सेक्टरों को टारगेट करता है और उनके सेंसीटिव डेटा को चुराता है। इनका कमांड है ‘कन्फ़्यूशियस सेज़’ यानी कन्फ़्यूशियस कहता है जिसके आधार पर हमले कराए जाते हैं”। परंतु चीन इसलिए तो जाना जाता है। स्कैम 1992 में यूं ही नहीं कहा गया, “जब किसी का काम नहीं खराब कर सकते ना, तो उसका नाम खराब कर दो!”, और ग्लोबल टाइम्स इस खेल में काफी समय से लगा हुआ है। परंतु उसे नये भारत के रूप में एक ऐसा उत्तर मिल चुका है जिसकी काट उसे ढूँढने से भी नहीं मिल रही।
ऐसे में अब चीनी कंपनियों पर भारतीय प्रशासन के ताबड़तोड़ कार्रवाई से सारी दुनिया के समक्ष अपने वास्तविक स्वरूप को सामने आते देखने के भय से चीन अब भारत के सामने अपने ‘निवेश खींचने’ का भय दिखा रहा है। ताकि हम लोग निवेश जाने के भय से उन्हे रोक लें और उनका काला कारोबार ऐसे ही चलता रहे। परंतु हमारी मंगलकामना है कि उनकी यात्रा मंगलमय हो और वे अपने शुभ यात्रा में सफल रहे, और पुनः कभी भारत लौटने की चेष्टा न करें।
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