देवरकोंडा की ढिठाई, एक घटिया प्रोडक्ट और बॉयकॉट अभियान का परिणाम है एक दंतहीन लाइगर

समय से पूर्व और औकात से ज्यादा किसी को नहीं पचता !

LIGER

Source- TFIPOST.in

आप किसी प्रतिस्पर्धा में उतरते हो, तो आपके मन में क्या चलता है सबसे उच्चतम के साथ हमारा मुकाबला होना चाहिए, नहीं। परंतु पुरी जगन्नाध और विजय देवरकोंडा का तो कुछ अलग ही विचार है। यहाँ तो इनका कॉम्पिटिशन सीधा KRK की देशद्रोही से हो रहा है, विश्वास नहीं होता तो इनकी IMDB रेटिंग देख लीजिए। विजय देवरकोंडा की अनावश्यक अकड़, एक निहायती घटिया उत्पाद और बॉयकॉट अभियान के कारण लाइगर को अब कोई पानी भी नहीं पूछ रहा।

अजीब बात, कल तक जिस व्यक्ति की फिल्मों को टीप टीप कर अनेक उद्योग, यहाँ तक कि बॉलीवुड करोड़ों छापती थी, वही पुरी जगन्नाध आज लाइगर जैसी फिल्म बना रहा है, जिसका न सर है, न कोई पैर। इस फिल्म को भी बॉक्स ऑफिस पर कोई विशेष समर्थन नहीं मिला, और 27 करोड़ के आश्चर्यजनक ओपनिंग के बाद से इसका पतन निरंतर जारी है, क्योंकि भई देश का संदेश स्पष्ट है कॉन्टेन्ट के नाम पर कुछ भी नहीं चलेगा। परंतु इसके पीछे क्या कारण है? इसके पीछे तीन कारण है – विजय देवरकोंडा, स्वयं लाइगर, एवं बॉयकॉट अभियान। कहते हैं, जल में रहकर मगर से बैर नहीं करते, मगर संगत का भी अपना असर होता है, और विजय देवरकोंडा के साथ भी वही हुआ।

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उदाहरण के लिए विजय की छोटी छोटी क्लिप्स ‘Liger’ के प्रदर्शन से पूर्व ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। एक क्लिप में वह खुद को कूल दिखाते हुए कह रहे हैं, “मुझको लगता है हम इन लोगों को कुछ ज्यादा ही भाव दे रहे हैं। हमको क्या है। हम तो पिक्चर बनाएँगे। जो देखना चाहते हैं देखेंगे। जो नहीं देखना चाहते हैं वो टीवी में या फोन में देखेंगे। हम क्या कर सकते हैं।”

सोशल मीडिया पर अपनी फिल्म के बॉयकॉट की ख़बरों को लेकर उन्होंने आगे कहा, “जब मेरे पास कुछ नहीं था, तब भी मैं नहीं डरा और आज जब मैंने थोड़ा बहुत हासिल कर लिया है, तो मुझे नहीं लगता कि मुझे डरने की जरूरत है। माँ का आशीर्वाद है, लोगों का प्यार है, भगवान का हाथ है, अंदर आग है, कौन रोकेगा देख लेंगे।” 

बस इन्ही बातों पर पर लोग भड़क गए और उनके फिल्म ‘बॉयकॉट Liger’ की मांग करने लगे। इस बयान को सुनने के बाद लोग कह रहे हैं। अब तुम बॉयकॉट की ताकत देखना। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स का उनसे कहना है, “भाई तुम अच्छे एक्टर हो लेकिन तुम इस तरह बॉलीवुड से नजदीकियाँ बढ़ाकर अपने को मुश्किल में डाल रहे हो। अल्लू अर्जुन और महेश बाबू को फॉलो करो”।

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अधकचरे स्क्रिप्ट की बदौलत औंधे मुंह गिरी लाइगर 

अब अगर फिल्म थोड़ी ठीक भी होती तो लोग आ भी जाते परंतु लाइगर तो इतनी खराब कि स्वयं तेलुगु भाषी भी मुंह फुलाकर सिनेमा हॉल से चलते बने। फिल्म में विजय देवरकोंडा ने अपने अभिनय एवं अपने एक्शन के बल पर फिर भी थोड़ा मनोरंजन करने का प्रयास किया परंतु अधकचरे स्क्रिप्ट एवं घटिया पटकथा पे वे कितना बचाते? ऊपर से अपनी अकड़ में उन्होंने पहले ही अपना रिकॉर्ड खराब कर लिया और रही सही कसर पूरी कर दी स्ट्रगलिङ्ग क्वीन अनन्या पाण्डे ने जिन्हे देख दर्शक तो दर्शक स्वयं लेखक एवं डिस्ट्रीब्यूटर भी सीरियस नहीं लेते है। परंतु सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि जब देश की जनता ऐसे लोगों के मुंह नहीं लगना चाहती जो भारत विरोधी, सनातन विरोधी फिल्मों को बढ़ावा दें तो आप क्यों ऐसे लोगों के साथ हाथ मिला रहे हो?

बॉयकॉट अभियान पे भी विजय का कहना था, मुझे नहीं पता कि उन लोगों (बॉयकॉट करने वालों) का मसला क्या है और वे क्या चाहते हैं। हम अपनी तरफ से सही हैं। मेरा जन्म हैदराबाद में हुआ था। चार्मे का जन्म पंजाब में हुआ था। पुरी सर का जन्म नरसीपट्टनम में हुआ था। क्या हमें काम नहीं करना चाहिएहमने इस सिनेमा को बनाने के लिए तीन साल तक कड़ी मेहनत की है। क्या हमें अपनी फिल्में रिलीज नहीं करनी चाहिएक्या हम घर में बैठ जाएँदर्शकों का हम पर जो प्यार बरस रहा हैवह आप सब देख रहे हैं। मैं उन दर्शकों के लिए फिल्में कर रहा हूँ। मुझे उन्हीं की जरूरत है। जब तक हमारे पास ये लोग नहीं हैंतब तक किसी भी डरने की जरूरत नहीं है।”

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अब ऐसे काम करोगे, तो PR तो क्या आपके स्ट्रगल भी नहीं बचा पाएंगे और लाइगर वही दंतहीन बाघ निकला जिसका प्रचार तो ऐसा किया गया जैसे इससे घातक प्राणी कोई नहीं पर निकला ठीक अपने शीर्षक का प्रतीक – क्रॉसब्रीड।

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