अच्छा-अच्छा, ज़रा नाम तो हटाना, ओके के.टी.आर अर्थात् के.टी. रामा राव वहीं के.टी. आर जो तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के संस्थापक के सी आर अर्थात के. चंद्रशेखर राव के पुत्र है और वही के.चंद्रशेखर राव जो लगभग-लगभग अपने सपनों में भावी प्रधानमंत्री बन भी चुके हैं। उन्हीं के पुत्र इन दिनों कुछ ज्यादा ही पढ़े-लिखे प्रतीत होने लगे हैं। हालिया घटनाक्रम तो आज़ादी का अमृत महोत्सव से जुड़ा है जिसके लिये के. टी आर की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। दरअसल, 31 जुलाई, 2022 को द हिंदू अख़बार ने एक शीर्षक के साथ एक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट का शीर्षक था “किशन रेड्डी ध्वज आयात का बचाव करते हैं।” उसके ठीक नीचे साथ दी गई टैगलाइन में कहा गया है कि ‘देश का खादी उद्योग हर घर तिरंगा योजना की मांग को पूरा नहीं कर सकता।’
अब जहाँ तक केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी के बयान की बात है तो यह बात उन्होंने कही भी है और इसको वो स्वयं भी मना नहीं कर रहे हैं पर जिस संदर्भ में केसीआर के बेटे केटीआर ने ट्वीट कर अपनी बात रखी उससे साफ़ साफ़ प्रदर्शित हो रहा है कि कैसे तेलंगाना सरकार में सभी अहम मंत्रालयों पर कुंडली मार कर बैठे एन टी रामा राव की विवेचना करने की प्रवृत्ति है और वो इस क्रम में कितने सफल हैं।
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जो बात कही ही नहीं गई उसका बीज बो दिया गया। चलिए बीज बोया तो बोया उससे यह आशा करनी शुरू कर दी कि ये तो अगले एक घंटे में फल दे देगा ये थोड़ा बुद्धि का खेल है। किसे पता था कि परिवारवादी बीज केवल गांधी परिवार में पप्पू जैसे होनहार नहीं देते कभी-कभी केसीआर जैसे नेताओं को भी पप्पू को पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
बता दें, रिपोर्ट में कहीं भी चीन का उल्लेख नहीं किया गया है, इसलिए लोगों को यह तो पता चल गया कि यह केटीआर के उन आधे-अधूरे ट्वीट्स और जानकारी विहीन ट्वीट का एक और उदाहरण है जैसा वो पहले भी कर चुके हैं। के टी रामा राव ने इस बार द हिंदू की इस रिपोर्ट को शस्त्र बनाने का प्रयास किया जिसमें जी किशन रेड्डी का आज़ादी का अमृत महोत्सव और उसी के लिए घोषित किए गए हर घर तिरंगा अभियान के बारे में उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए थे।
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पत्रकार (द हिंदू से) और मंत्री किशन रेड्डी के बीच बातचीत वीडियो लिंक में 37:45 से 38:42 तक होती है। इस बातचीत को सिलसिलेवार ढंग से सुनना आवश्यक है-
पत्रकार: आपने फ्लैग कोड में संशोधन किया है। इससे चीन को ही फायदा हो रहा है।
किशन रेड्डी (“नहीं” का संकेत देते हुए एक स्पष्ट इशारे के साथ)कहा: हम केवल अपने गांवों में स्वयं सहायता समूहों के साथ झंडे सिल रहे हैं।
(पत्रकार मंत्री को घेरने के प्रयास में अपने प्रश्न को दोहराता है।)
पत्रकार: पॉलिएस्टर कपड़े के आयात के कारण खादी उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
किशन रेड्डी : हमने सभी खादी उद्योगों को ऑर्डर दे दिए हैं। हालांकि खादी से हम इतने करोड़ों झंडे नहीं बना सकते हैं। जिसे आपको समझना होगा।
पत्रकार: आप एक साल से योजना बना रहे हैं।
किशन रेड्डी: नहीं, हम एक साल से इसकी योजना नहीं बना रहे थे। यह विचार हाल ही में आया था।
पत्रकार : पहले ऐसा ख्याल नहीं आया था ?
किशन रेड्डी (ने हंसते हुए जवाब दिया) : नहीं, हमने नहीं किया। आप जैसे लोगों ने यह विचार दिया।
जिस परिप्रेक्ष्य में केसीआर के होनहार पुत्र द हिंदू की रिपोर्ट को ट्वीट के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे थे। उसमें कहीं भी यह तो लिखा ही नहीं था कि चीन से बनवा रहे हैं या उसे बनवा रहे हैं। बल्कि तिरंगा खादी के अतिरिक्त अन्य कपड़े का उपयोग कर बनेगा इस बात को मंत्री द्वारा कहा गया था। होनहार बिरवान के होत चिकने पात का मतलब है कि होनहार के लक्षण पहले से ही दिखायी पड़ने लगते हैं। अब जिसके पिता ही स्वयं को समय से पहले पीएम पद का दावेदार मान ले, चुनाव से 2 साल पूर्व ही भाजपा की विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिलने कभी दिल्ली तो कभी यूपी जाए उनसे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है कि उनके सुपुत्र उनसे एक कदम आगे नहीं निकलेंगे। विडंबना की बात यह है कि यहाँ फेक कंटेंट प्रसारित करने के लिए केटीआर को लोग नहीं घेर रहे पर केटीआर के ट्वीट को शाश्वत सत्य मान फ़िज़ूल में केंद्र सरकार को घेर रहे हैं।
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