पूरी दुनिया में आज आर्थिक मंदी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है। विश्व के तमाम देश मंदी के साए से सहम उठे हैं। वो देश जो स्वयं को विकसित बताते नहीं थकते थे, वो भी मंदी के आगे घुटने टेकने को मजबूर होते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भारत है जिसकी अर्थव्यवस्था इन मुश्किल हालातों में भी उड़ान भरती जा रही है। पहले से ही यह अनुमान लगातार लगाए जा रहे हैं कि आर्थिक मंदी का साया भारत पर न के बराबर पड़ेगा। अब कुछ दावे ऐसे किए जा रहे हैं जो यकीनन भारतीय इकोनॉमी को लेकर अच्छी खबर साबित होगी।
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GDP दोहरे अंक में रहने की संभावना
दरअसल, वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दोहरे अंक में रहने की संभावना है। आईसीआरए (ICRA) की एक रिपोर्ट के अनुसार पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दोहरे अंकों में 13 प्रतिशत पर बढ़ने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में मूल मूल्य पर सकल मूल्य वर्धन यानी GVA 12.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जो पहले 3.9 प्रतिशत था।
ICRA की उम्मीद के अनुसार इस दौरान सबसे अधिक वृद्धि सेवा क्षेत्र से मिलेगी। सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 17 से 19 फीसदी तक रहने की संभावना है। वहीं इसके बाद उद्योग क्षेत्र में 9 से 11 प्रतिशत से वृद्धि होगी। वहीं देश के कुछ हिस्सों में गर्मी की लहर के प्रतिकूल असर के चलते कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने में जीवीए की वृद्धि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में 1.0 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में 4.1 प्रतिशत रहने के आसार जताए गए।
ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि “अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में भारत का जीडीपी विस्तार होगा। वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में भारत की दूसरी कोविड लहर के प्रकोप से निपटने के लिए भारत ने टीकाकारण अभियान चलाया। लोगों ने टीकाकरण अभियान में भागीदारी दी, जो देश की अर्थव्यवस्था को अधिक मजबूती प्रदान करने की दिशा में रहा।”
विज्ञप्ति में आगे कहा गया कि “ICRA के आकलन में, मध्यम से उच्च आय समूहों के लिए विवेकाधीन उपभोक्ता वस्तुओं से संपर्क-गहन सेवाओं की मांग में बदलाव आया है। यह निर्यात मांग में उभरती सतर्कता के संयोजन के साथ और औद्योगिक क्षेत्र के लिए मात्रा के साथ-साथ मार्जिन पर उच्च कमोडिटी कीमतों के प्रभाव के परिणामस्वरूप अपेक्षाकृत मध्यम औद्योगिक विकास की संभावना है।“
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पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि का कितना अनुमान है?
इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में वृद्धि दर 15.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम आंकड़ा इससे भी ऊपर जा सकता है। वहीं बात भारतीय रिजर्व बैंक की करें तो उसने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 16.2 फीसदी रहने की संभावना जताई है।
यानी प्रमुख अर्थशास्त्रियों के द्वारा 2022-23 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 13 से 15.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताए जा रहा है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत है।
ऐसे समय में जब विश्व की महाशक्तियों की हालत खस्ता हो रही है। आर्थिक मंदी से अमेरिका जैसे बड़े देश उच्च स्तर पर प्रभावित हो रहे हैं, चीन की हालत भी खस्ता होती हुई नजर आ रही है। ऐसी स्थिति में भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश के रूप में उभर रहा है।
यह मोदी सरकार के मजबूत नेतृत्व के चलते ही संभव हो पा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था आज सभी देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पनपे हालातों से भारत स्वयं को बचाने में कामयाब हुआ। आज जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की आहट से परेशान है तब भी भारत की अर्थव्यवस्था शानदार प्रदर्शन कर रही है।
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