अजीब दुर्दशा हुई है एनडीटीवी की! दर्शकों और पाठक को लुभाने और अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आज इस चैनल को क्लिकबेट की भेंट चढ़ना पड़ गया है। आज एनडीटीवी को फेक कंटेंट के बल पर अपना चैनल और वेबसाइट चलाना पड़ रहा है। सच दिखाते हैं हम…का दावा करने वाला एनडीटीवी प्रोपेगेंडा करने और फेक न्यूज फैलाने वालों की सूची में सबसे टॉप पर है। इस चैनल के अंदर इतनी ज्यादा कुंठा भरी पड़ी है कि वो छलक-छलक कर बाहर निकलती ही रहती है लेकिन फ़ज़ीहत से बेपरवाह पूरा एनडीटीवी कुनबा अब फ़ैक्ट चैक की सबसे बड़ी भारतीय निकाय प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो के हत्थे चढ़ चुका है।
दरअसल, एनडीटीवी ने उसी रीत को जीवंत किया है जिसका निर्माण वो वर्ष 2014 से करता आ रहा है। आलम यह है कि गिने-चुने पाठकों और दर्शकों को छिटकने से बचाने के लिए अब एनडीटीवी ने यूट्यूब के बल पर अपनी रही-बची साख बचाने के लिए क्लिकबेट का सहारा लेना शुरू कर दिया है। यूं तो प्रोपेगेंडा और फेक कंटेंट फैलाना एनडीटीवी के लिए कोई नई बात नहीं है, पहले भी अनेकों बार एनडीटीवी और उससे जुड़े तथाकथित पत्रकारों की पोल खुलती रही है और TFI ने भी हमेशा उसे उसके कृत्यों पर लताड़ा भी है।
और पढ़ें: स्क्रॉल, द क्विंट, वायर और एनडीटीवी! कहीं ये भारत में पाकिस्तान के अघोषित प्रवक्ता तो नहीं?
हालिया मामला उस लेख से जुड़ा है जिसके शीर्षक में ही एनडीटीवी ने सनसनीख़ेज़ दावा कर दिया कि “घर के किराए पर अब लगेगा 18 प्रतिशत जीएसटी (टैक्स)।”अब कोई भी आम पाठक जो संयोगवश एक किराएदार हो, जब वो यह हेडलाइन पढ़ेगा तो सबसे पहले उसका ध्यान अपनी जेब पर जाएगा जो उक्त हेडलाइन को पढ़ने के बाद तो आंधी कट ही गई थी, रही बची एनडीटीवी ने काट ली। ध्यान देने वाली बात है कि NDTV Profit ने अपने शीर्षक में लिखा, “किराये पर जीएसटी (कर)? पंजीकृत किरायेदारों को घर के किराए पर देना होगा 18% टैक्स।” सर्वप्रथम लेख की इस हेडलाइन में स्तंभकार ने कहीं भी यह उल्लेखित नहीं किया कि किराए पर जीएसटी का भुगतान करने के लिए कौन सा किरायेदार उत्तरदायी है? यह अवश्य हो सकता है कि यह इसलिए भी नहीं किया गया होगा यदि ऐसा कर देते को क्या ही क्लिकबेट रह जाता और क्या ही एजेंडा चल पाता।
एनडीटीवी की यह क्लिकबेट आधारित हेडलाइन निस्संदेह लिबरलों को तो भानी ही थी तो उन्होंने जमकर इस लेख को प्रचारित-प्रसारित करना शुरू कर दिया। इनमें से एक बहुचर्चित फेक कंटेंट पैडलर साकेत गोखले भी रहे। गोखले ने एनडीटीवी समाचार के शीर्षक के आधार पर झूठ को आगे बढ़ाया। गोखले ने ट्वीट किया, “ध्यान दें: आपके घर का किराया अब 18% बढ़ जाएगा। क्यों? क्योंकि मोदी सरकार अब किराएदारों से उनके घर के किराए पर जीएसटी वसूल करेगी। भारी कीमत वृद्धि के बीच, क्रूर मोदी सरकार धन हड़पने के लिए आम भारतीयों की जेब से एक-एक पैसा निचोड़ने के लिए दृढ़ है।”
Attention: Your house rent will now go up by 18%.
Why? Because the Modi govt will now be charging GST to tenants on their house rent.
Amidst a massive price rise, the cruel money-grabbing Modi govt is determined to squeeze every penny out of the pockets of ordinary Indians. pic.twitter.com/ugddD9Dwez
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) August 12, 2022
अब जिनका इतिहास ही झूठ परोसने और प्रसारित करने का है उनसे और उम्मीद भी क्या ही की जा सकती थी। फिर उसमें क्या एनडीटीवी और क्या साकेत गोखले! दोनों से मतभिन्नता होना एक बार के लिए सहनशील हैं पर ये वो तत्व हैं जिनके लिए एक कहावत बहुत पहले कही जा चुकी है कि “भैंस के आगे कौन ही बीन बजाए!” ऐसे में जनता चिंतित न हों उस जवाबदेही के साथ प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो यानी PIB ने एनडीटीवी प्रॉफिट और तृणमूल कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता साकेत गोखले द्वारा किए गए फर्जी दावों का भंडाफोड़ कर दिया।
Claim: 18% GST on house rent for tenants #PibFactCheck
▶️Renting of residential unit taxable only when it is rented to business entity
▶️No GST when it is rented to private person for personal use
▶️No GST even if proprietor or partner of firm rents residence for personal use pic.twitter.com/3ncVSjkKxP— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) August 12, 2022
पीआईबी ने उनकी पोल पट्टी खोलते हुए ट्वीट किया, “दावा: किरायेदारों के लिए मकान किराए पर 18% जीएसटी। पीआईबी फैक्ट चेक: आवासीय इकाई का किराया तभी कर योग्य होता है जब वह किसी व्यावसायिक इकाई को किराए पर दिया जाता है। जब इसे निजी इस्तेमाल के लिए किसी निजी व्यक्ति को किराए पर दिया जाता है तब कोई जीएसटी देने को बाध्य नहीं होता। कोई जीएसटी नहीं, भले ही प्रोपराइटर या फर्म का पार्टनर निजी इस्तेमाल के लिए घर किराए पर दे।” इतने बड़े षड्यंत्रकारी दावे के बाद एनडीटीवी को एक बार पुनः PIB ने छठी का दूध याद दिला दिया है।
और पढ़ें: ‘फेक न्यूज का बेताज बादशाह’ न्यू यॉर्क टाइम्स अब व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी बनने की ओर बढ़ चला है
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।