झारखंड में जिस दिन से हेमंत सोरेन की सरकार बनी है। आये दिन नए-नए कारनामे देखने और सुनने को मिल रहे हैं और इनमें से 90% घटनाएं स्कूलों से जुड़ी पाई गई हैं। घटना है पश्चिमी सिंहभूम के गोइलकेरा के बॉयज हाई स्कूल की जहाँ शिक्षक रामेंद्र दुबे पर स्थानीय झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) नेता, अकबर खान ने झूठा आरोप लगाया कि, “शिक्षक ने बच्चों को जुमे की नमाज़ के लिए घर नहीं जाने दिया।” इसी झूठे आरोप को लगाते हुए हेमंत सोरेन की पार्टी के नेता ने शिक्षक की बच्चों के सामने बड़ी बेरहमी से पिटाई कर दी।
लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार का अन्याय यहीं ख़त्म नहीं होता। जब शिक्षक ने अगले दिन शनिवार को थाने जाकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई तो पुलिस ने शिकायत तो दर्ज कर ली लेकिन पुलिस ने शिक्षक से कहा कि, “उन्हें अपनी शिकायत में से ‘नमाज़’ शब्द हटवाना होगा। तुम यह नहीं कह सकते कि पार्टी नेता ने तुम्हें इसलिए पीटा कि तुमने बच्चों को नमाज़ के लिए घर नहीं जाने दिया।”
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शिक्षक पर हाथ उठाने का मामला
बेचारे शिक्षक की जान पर से आफत ऐसी बन पड़ी है कि उन पर निर्दोष होते हुए भी हाथ उठाने वाला झामुमो नेता, जो प्रखंड स्तर पर सरकार की बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति ( 20-point programme implementation committee) के सदस्य भी हैं, ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी है। इसमें कोई हैरानी भी नहीं होगी यदि कल को उस शिक्षक की ‘संदिग्ध परिस्तिथियों’ में मृत्यु हो जाती है तो सोरेन की सरकार जानती है कि एक शिक्षक की मृत्यु उनका क्या ही बिगाड़ देगी।
हालाँकि मंत्री जी शायद यह समझने में असमर्थ हो रहे हैं कि जिस तरह वे केवल एक कान से देखने और सुनने लगे हैं। वह उनके लिए एक टाइम बॉम्ब के सामान है। जो कभी भी फट सकता है। लेकिन जब यह बम फटेगा हेमंत इससे घायल होने वाले पहले व्यक्ति होंगे। इस मामले पर टिप्पणी करते हुए, पश्चिमी सिंहभूम के एसपी आशुतोष शेखर ने बताया, “गोइलकेरा पुलिस स्टेशन को शिकायत मिली है, लेकिन इसमें नमाज का कोई जिक्र नहीं है। शिकायत से पता चलता है कि स्कूल शिक्षक को राजनीतिक नेता ने पीटा था क्योंकि वह कुछ मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाए जाने पर उनसे मिलने नहीं गया था। इस मामले में अभी आगे जांच की जायेगी।”
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शुक्रवार को स्कूल बंद
इससे पहले झारखंड से एक और घटना सामने आई थी जो जामताड़ा के उन विद्यालयों की है। जहाँ सामान्य रूप से रविवार को दी जाने वाली छुट्टी को शुक्रवार में परिवर्तित कर दिया गया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी वाले गांवों करमाटांड और नारायणपुर में संचालित प्राथमिक विद्यालयों में किया गया। हालाँकि इन स्कूलों में अन्य जातियों के छात्र भी पढ़ते हैं लेकिन, 70 फीसदी छात्र मुस्लिम परिवारों से आते हैं। शुक्रवार को स्कूल बंद करने का एक मुख्य कारण यह है कि मुसलमान शुक्रवार की नमाज अदा करते हैं अर्थात जुम्मे की नमाज़ होती है।
विद्यालयों को उर्दू विद्यालय में बदलना
झारखंड के शिक्षा क्षेत्र से आई एक अन्य खबर के अनुसार राज्य के उन विद्यालयों को जहाँ मुस्लिम आबादी अधिक है ‘उर्दू विद्यालय’ के नाम से संबोधित किया जाने लगा है। वे विद्यालय जो वास्तव में उर्दू विद्यालय हैं ही नहीं उनके नाम में परिवर्तन केवल राज्य की मुस्लिम आबादी को खुश करने के लिए कर दिया गया। जब से राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार आई है। उस दिन से राज्य की शिक्षण प्रणाली गर्त में जा रही है। जहाँ अब तक केवल राज्य की शिक्षण व्यवस्था को बदलने के प्रयास हुए।
किताबों में हेमंत सोरेन अपने पिता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की जीवनी पढाने के निर्देश दे रहे थे, स्कूल पोशाकों पर विवाद बढ़ रहे थे, विद्यालयों का उर्दूकरण करने की कोशिशें हो रही थी। वही अब एक शिक्षक पर झूठे आरोप और उस पर हाथ उठाती सोरेन की पार्टी ने हर सीमाएं लांघ दी है। कभी केरल में भी इसी तरह से शिक्षा क्षेत्र से शुरुआत हुई थी जहाँ पहले तो अल्पसंख्यक आबादी ने धीरे-धीरे विद्यालयों और पाठ्यक्रम पर कब्ज़ा करना शुरू किया और अब केरल राज्य में खुलेआम बच्चे दंगे भड़काने वाले नारे लगाते सुनाई देने लगे हैं। इस समय झारखंड के हालात देखकर केवल एक ही प्रश्न उठ रहा है कि कहीं झारखंड अगला केरल बनने की राह पर तो नहीं बढ़ रहा है?
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