‘हिंदुत्व’ या कहें कि सनातन संस्कृति के जिस वैभव को कम करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे, उन्हें अब न केवल बेअसर किया जा रहा है बल्कि ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जो अपने आप में कुछ अलग ही संकेत दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार से लेकर असम में हिमंता बिस्वा सरमा तक की चर्चा है लेकिन पिछले कुछ महीनों में कर्नाटक सरकार या कहें कि बसवराज बोम्मई सरकार सर्वाधिक चर्चे में रही है। यहां हिंदुत्ववादी मुद्दों को टरकाया नहीं बल्कि तेजी से निपटाया जा रहा है और इसमें कर्नाटक सरकार की बड़ी भूमिका है।
दरअसल बोम्मई सरकार ने कहा था कि इस बार हुबली के ईदगाह में गणेश उत्सव मनाया जाएगा। इसे एक बड़ा आदेश माना जा रहा था। वहीं, इस मामले को लेकर वक्फ बोर्ड भड़क गया और यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। वक्फ बोर्ड के लिए एक बार फिर वकालत का काम कपिल सिब्बल ने ही किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई भी निर्णय नहीं दिया और ईदगाह भूमि के संबंध में यथास्थिति का आदेश देते हुए कहा था कि उच्च न्यायालय 2.5 एकड़ जमीन के स्वामित्व पर फैसला करेगा। उसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने देर रात याचिका पर अपना फैसला सुना दिया और यह तय हो गया कि हुबली के ईदगाह मैदान में ही गणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi) होगा।
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कर्नाटक हाईकोर्ट मंगलवार दोपहर इसी मामले पर सुनवाई करते हुए हुबली धाड़वाड के म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा ईदगाह मैदान में तीन दिन की गौरी गणेश की पूजा के लिए दी गई मंजूरी को सही माना था। कोर्ट ने इसके साथ ही अंजुमन ए इस्लाम द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि, बेंगलुरु के ईदगाह मैदान मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुबली की अंजुमन ए इस्लाम संस्था ने एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जस्टिस अशोक एस किनागि के चैंबर में याचिका पर सुनवाई हुई और कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला दे दिया है।
कोर्ट ने पूर्ण तौर पर कर्नाटक सरकार और महानगरपालिका के फैसलों को हरी झंडी दिखाई है जो कि हर मुद्दे को विवाद बनाने वालों के लिए एक बड़ा झटका है। ईदगाह में गणेशोत्सव होना भी एक बड़ी बात मानी जा रहा है क्योंकि ऐसा देखा गया है कि इस तरह की जमीनों पर हमेशा एक विशेष समुदाय के लोग ही इबादत कर पाते हैं और दूसरे समुदाय के लोगों को ऐसी कोई इजाजत नहीं दी जाती है। ध्यान देने वाली बात है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एक बड़ी बात कही। अदालत ने साफ कर दिया गया है कि ईदगाह वाली जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है।
अहम बात यह है कि केवल गणेशोत्सव ही नहीं, इससे पहले भी कर्नाटक सरकार और प्रशासन के फैसलों पर विवाद खड़ा करने की कोशिशें की गई थी। इनमें हिजाब विवाद राष्ट्रीय स्तर तक भी पहुंच गया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट गए मुस्लिम पक्ष को फटकार मिली थी और कर्नाटक हाईकोर्ट को ही सुनवाई करने के लिए आधिकृत किया। नतीजा ये हुआ कि हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार यह तय कर सकती है कि छात्र और छात्राएं स्कूल कॉलेजों में किस ड्रेस कोड का पालन करेंगे। हिजाब विवाद के बाद भी दंगाईयों के घरों पर चले बुलडोजर एक्शन पर विवाद हुआ था लेकिन वह विवाद भी नहीं टिक सका। ऐसे में अब ईदगाह में गणेशोत्सव के फैसले ने साबित कर दिया है कि बोम्मई सरकार लगातार हिंदुत्ववादी मुद्दों पर फायर है।
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