आने वाले दिनों में अगर ममता बनर्जी की सरकार जेल से चले या फिर गिर जाए तो चौंकिए मत. मुझे उम्मीद है कि आप नहीं चौंकेंगे क्योंकि आपको पता है कि पश्चिम बंगाल में इतने वर्षों तक क्या हुआ है. 2011 में 34 वर्षों की वामपंथियों की सत्ता को तो ममता बनर्जी ने उखाड़कर फेंक दिया लेकिन उसका चरित्र स्वयं अपना लिया. ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद भी चीज़ें नहीं बदली. भ्रष्टाचार बंद नहीं हुआ बल्कि उसका नाम बदल गया. अब भ्रष्टाचार को कट मनी कहा जाने लगा था. पार्थ चटर्जी के बाद अब ममता बनर्जी के एक और दिग्गज नेता को CBI ने जेल में डाल दिया है।
4 दिसंबर, 2006 की बात है. पूरे देश में एक मुद्दे ने अचानक से ज़ोर पकड़ा. हर तरफ से सिंगूर-सिंगूर की आवाज़ें आ रही थी. टाटा मोटर्स के प्रोजेक्ट के विरुद्ध ममता बनर्जी ने हंगर स्ट्राइक का ऐलान कर दिया था. तब के राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का फोन लगाया. मनमोहन सिंह ने पश्चिम बंगाल के गर्वनर को तुरंत चिठ्ठी भेजी. चिठ्ठी हंगर स्ट्राइक पर बैठी ममता बनर्जी तक पहुंची और ममता ने भूख हड़ताल ख़त्म कर दी. तो एक वो ममता बनर्जी थीं लेकिन 2006 से 2022 तक हुगली से बहुत पानी बह गया. बहुत कुछ बदल गया. ममता बनर्जी भी बदल गईं. आज एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब ममता बनर्जी क़ी पार्टी के या फिर उनके मंत्रियों से संबंधित किसी ना किसी भ्रष्टाचार की चर्चा मीडिया में ना होती हो.
हाल ही में मीडिया के कैमरों ने अर्पिता मुखर्जी के घर में भरे नोटों के कमरों को आपको दिखाया था. शिक्षा भर्ती घोटाला लंबे वक्त से चल रहा था, अब जाकर ईडी ने उस केस में सफलता पाई और ममता बनर्जी के मंत्री पार्थ चटर्जी को जेल में ठूंस दिया. पार्थ चटर्जी को जेल गए हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं कि ममता बनर्जी का एक और नेता गिरफ्तार हो गया. जी हां, बाहुबली अणुव्रत मंडल की गिरफ्तार मवेशी घोटाले में हो गई है.
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अणुव्रत मंडल कोई ऐसे वैसे नेता नहीं हैं बल्कि बीरभूम जिले के बाहुबली हैं. वो हर दिन वहां तमाम गैर-कानूनी करते थे लेकिन कोई भी उन्हें छूता तक नहीं था. लेकिन अब वो भी नप गए हैं. अणुव्रत मंडल की गिरफ्तारी के बाद जैसे ममता बनर्जी की टीएमसी स्वयं को बचाते हुए दिख रही है- उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो टीएमसी किसी भी तरह से स्वयं को इस घोटाले से दूर रखना चाह रही हो, लेकिन किस-किस घोटाले से ममता बनर्जी अपनी सरकार को और स्वयं को बचाएंगी. ममता बनर्जी की पार्टी में तो घोटालें की कोई गिनती ही नहीं है. घोटाले पर घोटाले. शिक्षा भर्ती घोटाले में एक मंत्री जेल पहुंचा तब तक मवेशी घोटाले में दूसरा नेता गिरफ्तार हो गया.
और यह मत समझिए कि ऐसा पहली बार हो रहा है. इससे पहले भी ममता बनर्जी की पार्टी या फिर उनके सांसदों के कई घोटाले सामने आ चुके हैं. शारदा चिटफंड घोटाला तो घोटालों का बादशाह बन चुका है. इसके साथ ही रोज़ वैली स्केम ने भी ख़ूब सुर्खियां बटोरी. बाद यहीं नहीं रुकती. इसके साथ ही नारदा घोटाला हो या फिर अभिषेक बनर्जी से संबंधित कोयला घोटाला. पश्चिम बंगाल में घोटालों की कोई गिनती नही है.
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ऐसे में एक बात तो बिल्कुल साफ है कि अगर इसी तरह से ईडी और सीबीआई कार्यवाई करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब ममता बनर्जी की पूरी पार्टी जेल में होगी और जेल से सरकार चलेगी. इसके साथ ही दूसरी स्थिति यह भी आ सकती है कि लगातार घोटाले सामने आने की वज़ह से ममता बनर्जी के विरोध में पश्चिम बंगाल की जनता आकर खड़ी हो जाए और फिर ममता बनर्जी की सरकार ही गिर जाए. बंगाल में जैसी स्थितियां बन रही हैं- उन्हें देखकर इस वक्त तय कर पाना ही मुश्किल लगता है कि क्या हो सकता है- लेकिन इतना तय है कि ममता बनर्जी ने अपने पहले 2 कार्यकाल जिस तरह से पूरे किए- इस बार ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने जा रहा है.
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