वेट लिफ्टिंग में लौट रहे हैं भारत के वो पुराने दिन

वेट लिफ्टिंग में भारत कमाल कर रहा है, आइए इसे विस्तार से समझते हैं

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भारत को वेटलिफ्टिंग में अपना पहला पदक दिलवाने वाली थीं कर्णम मल्लेश्वरी जिन्होंने सिडनी में 2000 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। कांस्य पदक के साथ ही ओलंपिक पदक जीतने वाली वो पहली भारतीय महिला बनीं। हालांकि उसके बाद वेटलिफ्टिंग में भारत फिर मैडल नहीं जीत पाया था। कई खेल और प्रतियोगिताएं हुईं लेकिन भारत वेटलिफ्टिंग में एक पदक भी जीत पाने में असमर्थ रहा था।

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2014 से खेलों पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा

लेकिन फिर वर्ष 2014 आया जब भारत सरकार ने खेल के क्षेत्र में विशेष ध्यान देना शुरू किया। खिलाड़ियों को उनकी आवश्यकता की हर संभव सुविधाएं और ट्रेनिंग दिलवायी गयी जिसका परिणाम यह रहा कि ग्लासगो में 2014 राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games) में, खुमुच्छम संजीता चानू (Khumukcham Sanjita Chanu) ने महिलाओं के 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता जबकि मीराबाई चानू ने इसी स्पर्धा में रजत पदक जीता। पुरुषों के 56 किग्रा वर्ग में सुखेन डे ने स्वर्ण और गणेश माली ने कांस्य जीता और सतीश शिवलिंगम ने 77 किग्रा वर्ग में 149 किग्रा स्नैच, और 179 किग्रा क्लीन एंड जर्क लिफ्ट, कुल 328 किग्रा के साथ स्वर्ण पदक जीता

हालांकि इसके बाद एक अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ ने भारतीय भारोत्तोलन महासंघ को एक वर्ष के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि तीन भारतीय महिला भारोत्तोलक- एस सुनैना, सनमाचा चानू और प्रतिमा कुमारी पर एक ही वर्ष में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में डोपिंग अपराधों का आरोप लगाया गया था। डोप अपराधियों को कड़ी सजा देते हुए भारतीय ओलंपिक संघ ने तीन शीर्ष भारोत्तोलक प्रतिमा कुमारी, सनमचा चानू और एस सुनैना और राष्ट्रीय कोच पाल सिंह संधू पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया।

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यह घटना भारत के वेटलिफ्टिंग खेल में ग्रहण के सामान थी लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि ‘हर रात के बाद एक नयी सुबह होती है’। भारत के नये खिलाड़ी मीराबाई चानू, जेरेमी लालरिनुंगा और अचिंता शुली वही नया सवेरा हैं जिन्होंने भारत को एक बार फिर वेटलिफ्टिंग के खेल क्षेत्र में न केवल वापिस करवाया है बल्कि भारत को अपराजेय भी बना रही हैं।

टोक्यो ओलंपिक रजत पदक विजेता भारतीय भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने शनिवार को बर्मिंघम में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में महिलाओं के 49 किग्रा फाइनल में 201 किग्रा की संयुक्त लिफ्ट के साथ स्वर्ण पदक जीता।

स्नैच श्रेणी में अपने पहले प्रयास में, मीराबाई ने शानदार शुरुआत की और सफलतापूर्वक 84 किग्रा भार उठाया। मीराबाई ने अपने दूसरे प्रयास में 88 किग्रा सफलतापूर्वक उठा लिया। जहां बाकी स्पर्धी 1 किलो भार बढ़ाकर धीरे धीरे आगे बढ़ रहे थे वहीं मीराबाई चानू ने 84 से सीधा 88 किग्रा पर छलांग लगायी। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया

भारोत्तोलन में आए पदक

भारोत्तोलन में भारत के लिए दूसरा पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने 19 वर्ष के जेरेमी लालरिनुंगा जिन्होंने पुरुषों के 67 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। जेरेमी ने 140 किग्रा वजन उठाकर स्नैच स्पर्धा में राष्ट्रमंडल खेलों का नया रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने क्लीन एंड जर्क सेगमेंट में कुल 160 किग्रा भार उठाया और कुल 300 किग्रा के साथ समाप्त किया जो एक नया सीडब्ल्यूजी रिकॉर्ड भी है।

मिजोरम के आइजोल की रहने वाली 19 वर्षीय जेरेमी ने 2018 युवा ओलंपिक खेलों में 62 किग्रा स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था और पिछले साल राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में 67 किग्रा वर्ग में स्वर्ण भी जीता था।

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भारोत्तोलक अचिंता शुली ने रविवार को एनईसी हॉल में 313 किग्रा (143 किग्रा 170 किग्रा) भार उठाकर राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए तीसरा स्वर्ण पदक जीता। भारत के स्वर्ण पदक विजेता भारोत्तोलक, शुली ने रविवार को स्नैच वर्ग में तीन क्लीन लिफ्टों -137 किग्रा, 140 किग्रा और 143 किग्रा को अंजाम दिया है। 143 किग्रा के उनके तीसरे प्रयास ने उन्हें देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने में मदद की। इस तरह इन तीन खिलाड़ियों ने भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में तीन स्वर्ण पदक जिताए।

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