आपको तो वह दृश्य याद ही होगा, जिसमें राहुल गांधी एक रैली में अपने कुर्ते की जेब में हाथ डालते हैं- हाथ डालकर वो दिखाना चाहते हैं कि उनके पास कुछ नहीं है और वो बहुत ईमानदार राजनेता हैं लेकिन सच नेशनल हेराल्ड के द्वारा अब सामने आ रहा है. ऐसा ही होता है जो हमें दिख रहा होता है, वो दरअसल हमें दिखाया जाता है. एक पूरा समूह ऐसे लोगों का होता है जो चाहता है कि हम वही देखें, जो वे चाहते हैं और वे यहीं चाहते हैं कि गोरखपुर में सीबीआई अफसर रुपेश श्रीवास्तव के साथ जो कुछ हुआ उसे आप एक्सीडेंट की तरह ही देखें. लेकिन इस लेख के माध्यम से हम आपको इस पूरे मामले की तह तक ले जाएंगे और यह भी समझाने का प्रयास करेंगे कि आखिर क्यों सीबीआई ऑफिसर रुपेश श्रीवास्तव पर हुआ हमला एक्सीडेंट नहीं बल्कि साजिश की ओर इशारा करता है.
कहते हैं ‘जाको राखे साइयां, मार सके न कोय’, गोरखपुर में सीबीआई ऑफिसर रुपेश श्रीवास्तव के साथ भी वही हुआ. कोई टक्कर मारकर रुपेश श्रीवास्तव की जान लेना चाहता था लेकिन ईश्वर को यह स्वीकार्य नहीं था. रुपेश श्रीवास्तव बच गए लेकिन जो टक्कर मार रहा था, वही स्वर्गवासी हो गया. रुपेश श्रीवास्तव पर किया गया हमला कोई मामूली एक्सीडेंट नहीं बल्कि योजनागत तरीके से उनकी हत्या करने का षड्यंत्र प्रतीत हो रहा है क्योंकि यदि यह गैर-इरादतन होता तो एक टक्कर तक सीमित रह जाता, पर ट्रक ने एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन बार रुपेश श्रीवास्तव की कार में टक्कर मारी जो कहीं से भी नासमझी और गलती से हुई टक्कर तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती. वो तो रुपेश के कार चालक ने सूझबूझ का परिचय देते हुए अपनी कार को समय रहते नियंत्रित कर लिया, अन्यथा रुपेश और उनके कार चालक दोनों ही इस हमले की भेंट चढ़ जाते.
ध्यान देने वाली बात है कि रुपेश कुमार श्रीवास्तव कोई आम सीबीआई ऑफिसर नहीं हैं बल्कि वो अफसर हैं जिन्होंने कई बड़े नेताओं को जेल की हवा खिलाई है और कईयों को जेल भेजने की तैयारी कर रहे हैं. जी हां, वो रुपेश श्रीवास्तव ही हैं जिन्होंने चारा घोटाले और रेलवे भर्ती घोटाले में लालू प्रसाद यादव को जेल तक पहुंचाया. यही नहीं, यह रुपेश श्रीवास्तव की ही हिम्मत थी कि उन्होंने 21 अगस्त, 2019 को शारदा घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को उनके घर से गिरफ्तार किया था. ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं, षड्यंत्र और साज़िश की बू भी आ रही है क्योंकि ट्रक ड्राइवर ने कई टक्करों से रुपेश श्रीवास्तव को मारने की कोशिश की और कोई भी यूं ही उन्हें क्यों मारना चाहेगा?
जबकि इससे उसे कुछ फायदा न हो रहा हो? दुश्मनों ने भले ही कितनी ही साज़िशें की हो, साज़िश इसलिए भी क्योंकि एक दिन की छुट्टी पर रुपेश श्रीवास्तव दिल्ली से अपने घर गोरखपुर गए थे. हमलावरों को इसकी पूरी जानकारी थी. हमलावरों ने पूरी योजना के साथ उन पर हमला किया लेकिन ईश्वर को यह मंजूर नहीं था, बल्कि इसके उलट हो गया, जो ड्राइवर ट्रक से रुपेश श्रीवास्तव को मारना चाहता था, वो स्वयं ही ट्रक पलटने की वज़ह से अपनी जान से हाथ धो बैठा.
आपको बताते चलें कि हत्या किए जाने की आशंका जताते हुए सीबीआई ऑफिसर रुपेश कुमार श्रीवास्तव ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया है. केस दर्ज करने के साथ ही पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है, जबकि एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर का कहना है कि पुलिस गहराई से पूरे घटनाक्रम की पड़ताल कर रही है. घटना के पीछे की वजह को जानने को लेकर पुलिस की 6 टीमें लगाई गई हैं.
पूरा घटनाक्रम बहुत बड़े षडयंत्र की ओर इसलिए सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है क्योंकि यह कोई आम ऑफिसर नहीं थे जिनपर हमला हो गया हो. जिस ऑफिसर के हाथ भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे लालू प्रसाद यादव और पी चिदंबरम जैसे बड़े नेताओं के केस हों और उस पर यूं अचानक हमला हो जाए, वो भी तब जब हाल ही में लालू के लाल अर्थात् तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख़्यमंत्री बने हों तो संशय तो होता है क्योंकि गोरखपुर पूर्वांचल में ही आता है और वहां से बिहार की दूर कुछ ज्यादा नहीं है. बाकी तो जांच और पड़ताल के उपरांत सब साफ हो ही जाएगा कि इसके पीछे किसकी संलिप्तता थी और किसकी नहीं.
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