परमाणु कचरे से बनाई गई बैटरी 28,000 वर्षों तक ऊर्जा देगी, जानिए इसके बारे में सबकुछ

अब बार-बार चार्जिंग का झंझट होगा खत्म!

NDB

Source- TFI

आज हमारा जीवन बैटरी पर काफी हद तक निर्भर हो चुका है। स्मार्टफोन से लेकर गाड़ी, घड़ी समेत तमाम उपकरणों में बैटरी का उपयोग किया जाता है परंतु इन बैटरियों की अवधि अधिक नहीं होती, जिसकी वजह से इन्हें बार-बार चार्ज करने की आवश्यकता पड़ती रहती है। एक बैटरी की अवधि कितनी हो सकती है? कुछ घंटे, कुछ दिन या फिर ज्यादा से ज्यादा कुछ महीनों तक ही। परंतु तब क्या जब हम आपको एक ऐसी बैटरी के बारे में बताए जो कुछ महीने या दो-चार सालों तक नहीं बल्कि पूरे 28 हजार वर्षों तक चलेगी?

जी हां, अमेरिका की एक स्टार्टअप NDB द्वारा यह दावा किया जा चुका है कि वह कंपनी एक ऐसी बैटरी बनाने पर काम कर रही है, जो 28 हजार वर्षों तक काम करेगी। कहा जा रहा है कि इस बैटरी के एक बार विकसित होने के बाद इसे 28 हजार वर्षों तक चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस बैटरी को बनाने वाली कंपनी का नाम NDB और बैटरी का नाम नैनो डायमंड बैटरी (Nano Diamond Battery) है। हजारों वर्षों तक चलने वाली इस बैटरी को परमाणु कचरे से बनाया जा रहा है। यह बैटरी एक सेल्फ चार्जिंग बैटरी है, जिस कारण इसे बार-बार चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती। ध्यान देने वाली बात है कि वर्ष 2023 तक कंपनी पेशेवर आधार पर नैनो डायमंड बैटरी का उत्पादन शुरू करने की योजना में है।

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बैटरी का निर्माण कार्बन 14 कचरे से किया जा रहा है, जो कि एक रेडियो एक्टिव पदार्थ है। कार्बन 14 को काफी खतरनाक माना जाता है। हालांकि, बैटरी को सुरक्षित बनाने के प्रयास किए गए हैं। बैटरी एक परमाणु रिऐक्टर की तरह काम करती है। रेडियो एक्टिव तत्वों की वजह से इलेक्ट्रॉन्स का निर्माण होता है, जिससे बैटरी के अंदर ही अंदर बिजली बनती है। नैनो डायमंड बैटरी को कृत्रिम हीरे के खोल में कार्बन 14 कचरा डालकर बनाया गया है। रिसाव न हो इसलिए खोल के ऊपर रेडियो एक्टिव रोधी हीरे का लेप लगाया गया है।

ज्ञात हो कि नैनो डायमंड बैटरी भविष्य में काफी लाभकारी साबित हो सकती है। स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप, स्मार्टवॉच, कैमरा समेत रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग में आने वाली ऐसी कई चीजें है, जिनमें बैटरी का उपयोग होता है। परंतु इसे बार-बार चार्ज करने की आवश्यकता भी पड़ती है। नैनो डायमंड बैटरी को अगर उपयोग में लाया जाए, तो यह झंझट खत्म हो सकती है। एक से अधिक बैटरियों को जोड़कर अधिक ऊर्जा पैदा की जा सकती है, जो इतनी हो सकती है कि इससे किसी गांव या कस्बे को रोशन किया जा सकता है।

भविष्य में इन बैटरियों का उपयोग अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी किया जा सकता है। जैसे कि अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले रॉकेट और सैटेलाइट में इसका इस्तेमाल हो सकता है। इस बैटरी के जरिए अंतरिक्ष मिशनों का जीवनकाल बढ़ सकता है और यह लंबे समय तक अंतरिक्ष में काम कर सकते है। बैटरी के अन्य फायदों पर गौर करें तो इन सबके अलावा यह स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी तमाम सुविधाओं में भी काम आ सकती है। श्रवण यंत्र से लेकर कृत्रिम पेसमेकर में बैटरी की आवश्यकता पड़ती है। अगर इनमें नैनो डायमंड बैटरी का उपयोग किया जाए तो जिंदगीभर के लिए इसे बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

परिवहन से जुड़े क्षेत्र में नैनो डायमंड बैटरी क्रांति लाने का काम कर सकती है। दुनिया का भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों पर टिका है। ऐसे में इन इलेक्ट्रिक वाहनों में अगर नैनो डायमंड बैटरी एक बार लगा दी जाए तो इन्हें बदलने का झंझट हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। नैनो डायमंड बैटरी के जरिए हमारी ऊर्जा से जुड़ी आवश्यकताएं पूरी हो सकती है। साथ ही इससे जैविक इंधन की खपत में भी कमी आएगी। इन सबके अतिरिक्त इससे काफी हद तक परमाणु कचरे को कम करने में भी मदद मिलेगी। मौजूदा समय में दुनियाभर में तीन लाख टन से भी अधिक परमाणु कचरा मौजूद है परंतु कोई यह नहीं जानता कि आखिर इस कचरे के साथ किया क्या जाए? यह बैटरी इस समस्या का भी समाधान कर सकती है।

परंतु हर चीज के साथ कुछ समस्याएं तो होती ही है। दरअसल, एनडीबी कंपनी ने जो रिपोर्ट दी है, उसके अलावा बैटरी से संबंधित अधिकांश दावों के अभी तक कोई ठोस सुबूत नहीं मिलते। वहीं, NDB पूरी तरह से यह नहीं बताता कि गर्मी को खत्म करने के लिए थर्मल वेंट का वर्णन करने के अलावा ऊर्जा रूपांतरण के दौरान उत्पन्न होने वाली गर्मी का क्या होता है। NDB द्वारा नैनो डायमंड बैटरी को लेकर जो अब तक दावे किए है, उसके बारे में विश्लेषण के लिए अभी अधिक डेटा भी उपलब्ध नहीं है, जिस कारण इसकी उपयोगिता पर अभी ज्यादा कुछ नहीं कहा सकता। हालांकि, ऐसा नहीं है कि नैनो डायमंड बैटरी लाभकारी नहीं होगी। इसके साथ कुछ चुनौतियां है, अगर उनसे निपटा जा सके तो यह क्रांति लाने का काम कर सकती है।

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