वो बात कही गई है न कि हर बात का नफा-नुकसान दोनों होता है, सच ही कहा गया है। अब सोशल मीडिया को ही देख लीजिए, जिसको संचार का सबसे सुलभ और आसान मार्ग माना जाता है वो ही फैक कंटेंट को पोषित कर देता है। हालिया फ़र्ज़ी बात जिसका असर जनमानस पर भयंकर तरीके से हुआ वो था UPI ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने की बात अर्थात हर UPI पेमेंट पर शुल्क लगेगा ऐसी योजना सरकार बना रही है। और सोशल मीडिया तो ठहरा सोशल मीडिया, उसकी विशेषता ही यह है कि मिनटों में कोई भी खबर इधर की उधर प्रचारित-प्रसारित हो जाती है। वही इस UPI से संबंधित खबर के साथ हुआ और लोग इसे सच मानने लगे और सरकार पर निशाना साधा जाना शुरू हो गया। लेकिन सरकार ने अंततः सभी दावों पर पानी फेर सत्य उजागर किया।
बीते कुछ समय में फ़र्ज़ी ख़बरों या कहें प्लांटेड ख़बरों ने सोशल मीडिया पर बहुत पैर जमा लिए हैं। ऐसे में कौन सी खबर सच है और कौन सी प्लांटेड इसका अनुमान आसानी से लगा पाना थोडा तो कठिन है। इसी बीच UPI ट्रांजैक्शन से जुडी खबर आ गई जिस पर जनता की प्रतिक्रिया और विशेषकर रोष व्यक्त करने वाली प्रतिक्रिया पर अब वित्त मंत्रालय ने आगे आकर इस पूरे मामले को समझाया है और एक के बाद एक ट्वीट करके ये जानकारी दी है।
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फ़ैल रही अफवाहों पर सरकार ने लगाया ब्रेक
वायरल हो रही ख़बरों में अमूमन यही लिखा जा रहा था कि, अब UPI लेनदेन पर भी लगेंगे चार्जेस! महंगा हो जाएगा UPI से लेनदेन करना! अब UPI नहीं रही Free की सेवा, जी हां, सोशल मीडिया पर चर्चा है कि सरकार UPI Payments पर शुल्क वसूलने जा रही है। यह सब क्लिकबैट कंटेंट व्यूज़ और लाइक बटोरने के उपक्रम थे जिनको सरकार ने सामाने आकर धराशाई कर दिया।
रविवार को सारे दावों पर पूर्णविराम लगते हुए वित्त मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में लिखा गया कि, “UPI सार्वजनिक डिजिटल हित की चीज है. इसने आम जनता और प्रोडक्टिविटी के लेवल पर अच्छी सुविधा दी है। ये अर्थव्यवस्था के लाभदायक है। यूपीआई सेवाओं पर शुल्क वसूलने को लेकर सरकार में किसी तरह का विचार-विमर्श नहीं हो रहा है। जहां तक सेवाप्रदाताओं की लागत वसूलन की बात है, तो उसे अन्य माध्यमों से पूरा किया जाएगा।”
UPI is a digital public good with immense convenience for the public & productivity gains for the economy. There is no consideration in Govt to levy any charges for UPI services. The concerns of the service providers for cost recovery have to be met through other means. (1/2)
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) August 21, 2022
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वित्त मंत्रालय ने इस पूरे मामले को समझाया
ट्वीट में आगे कहा गया कि, “डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लिए सरकार ने पिछले साल वित्तीय सहायता दी थी। इस साल के लिए भी ऐसी सहायता देने का ऐलान किया गया है ताकि डिजिटल पेमेंट के उपयोग बढ़ाया जा सके और लोगों के लिए उपयोग में आसान और सस्ते पेमेंट विकल्प को बढ़ावा दिया जा सके।”
The Govt had provided financial support for #DigitalPayment ecosystem last year and has announced the same this year as well to encourage further adoption of #DigitalPayments and promotion of payment platforms that are economical and user-friendly. (2/2)
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) August 21, 2022
वर्तमान में, यूपीआई के माध्यम से किए गए भुगतान के मामले में उपयोगकर्ताओं या व्यापारियों द्वारा कोई खर्च नहीं किया जाता है। रविवार को, सरकार ने कहा कि उसने पिछले साल डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी और चालू वित्त वर्ष के लिए डिजिटल भुगतान को और अधिक अपनाने और भुगतान प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने के लिए इसकी घोषणा की है जो किफायती और उपयोगकर्ता के अनुकूल हैं।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में, केंद्र ने “डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने” के लिए 1,500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। जिसका उपयोग रुपे डेबिट कार्ड लेनदेन के लिए व्यापारी छूट दर (एमडीआर) और 2,000 रुपये तक के भीम-यूपीआई लेनदेन की प्रतिपूर्ति के लिए किया जाता है।
वित्तीय वर्ष 2023 के लिए, केंद्र ने बजट में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। यानी सरकार डिजिटल क्रांति को और मजबूत करने के लिए आमूलचूल कदम उठा रही न की उपभोक्ता जिस बात से दूर भागें अर्थात UPI ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त शुल्क की तैयारी कर रही है।
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