लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कांग्रेस और RJD जैसी पार्टियों को स्पष्ट संदेश दे दिया है

क्या परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम मोदी ने शुरु कर दी है निर्णायक लड़ाई?

Narendra Modi

Source- TFI

एक समय हुआ करता था जब देश में भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ कोई चू तक नहीं बोलता था क्योंकि सभी पार्टियां कहीं न कहीं से इससे जुड़ी हुई थी। लेकिन जब से भाजपा अस्तित्व में आई तभी से ही पार्टी भ्रष्टाचार और परिवारवाद के मामलों पर मुखर रही है। अटल युग से अब मोदी युग तक भाजपा लगातार इसका विरोध करती आई है। पीएम नरेंद्र मोदी सार्वजनिक मंचों से इसे बढ़ावा देने वाली पार्टियों को निशाने पर लेते रहे हैं। अब उन्होंने लाल किले की प्राचीर से यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे लोगों को को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। पीएम मोदी के बयान से यह तो स्पष्ट हो गया है कि अब कई बड़ी मछलियां जाल में फंसने वाली हैं।

दरअसल, 76 वां स्वतंत्रा दिवस के अवसर पर लाल किला की प्राचीर से अपने भाषण में पीएम मोदी ने साफ-साफ दो टूक में कहा कि देश के सामने दो सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती है- भ्रष्टाचार और दूसरी चुनौती है- भाई-भतीजावाद..परिवारवाद। इसीलिए अब समय आ गया है कि हम मजबूती से इन दोनों चुनौतियां से लड़ें और अपने देश को इन दोनों लाइलाज बीमारी से जल्द से जल्द उबारे।

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क्या राहुल और सोनिया का है अगला नंबर?

ध्यान देने वाली बात है कि देश में सबसे ज्यादा वर्षों तक राज करने वाली सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सर्वेसर्वा अर्थात् पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और और उनके सुपुत्र राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में भ्रष्टाचार से संलिप्त हैं। जांच एजेंसियां कई बार उनसे पूछताछ भी कर चुकी हैं। आए दिन इस केस में कोई न कोई चौंका देने वाली नई अपडेट आती रहती है। इतने बड़े घोटाले में संलिप्त कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व हासिये पर है और मौजूदा समय में पीएम मोदी ने जो बयान दिया है, उससे इस बात की संभावना बढ़ गई है कि कहीं अगला नंबर मां-बेटे का तो नहीं! ऐसे में अगर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ईडी गिरफ्तार कर ले तो इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी क्योंकि सोनिया-राहुल गांधी को वही मिलेगा जिसके वे सालों से भुक्तभोगी हैं।

वैसे भी देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ ईडी पिछले कुछ समय से काफी सख्त है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद जांच एजेंसियों को फ्री-हैंड मिला है, जिसका नतीजा है कि यह एजेंसी समय-समय पर भ्रष्टाचारियों को डोज देती रहती है। हाल ही में ईडी ने पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर पर रेड मारी और करोड़ों की संपत्ति जब्त की, जिसमें कैश से लेकर महंगे-महंगे जेवर तक शामिल थे।

ईडी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर भी अपनी कार्रवाई जारी रखी है। उनके सर पर भी भ्रष्टाचार के आरोपों का ताज हैं। ईडी के रडार पर शिवसेना के बड़बोले राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राउत भी हैं। ईडी ने संजय राउत और उनकी पत्नी वर्षा राउत से मुंबई में पात्रा चॉल घोटाले और लेनदेन में अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कई बार पूछताछ कर चुकी हैं। हाल ही में इस मामले में संजय राउत की गिरफ्तारी भी हुई है। इन महाशयों के अलावा और भी कई नेता हैं, जो भ्रष्टाचार के मामले में कब ईडी के रडार पर आ जाएं उन्हें खुद भी नहीं पता!

परिवारवाद पर प्रधानमंत्री मोदी का अल्टीमेटम

हमारे देश में परिवारवाद का जो लाइलाज रोग फैला है, पीएम मोदी उसके जड़ को ही काटने की तैयारी में हैं। देश की राजनीति में चल रहा परिवादवाद राष्ट्र के लिए घातक है। देश में चली आ रही इसी गलत व्यवस्था को आड़े हाथ लेते हुए पीएम मोदी ने कहा है कि देश की ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां में परिवारवाद संलिप्त है लेकिन सिर्फ राजनीति में परिवारवाद नहीं हैं, देश के निजी संस्थाओं में भी परिवारवाद है। ज़रूरत है कि हम अब इन सभी जगहों पर चोट करें, जहां-जहां देश में परिवारवाद की जड़ें जुडी हैं और हमारी व्यवस्थाओं को खोखला कर रही हैं।

ये तो किसी से छिपा से नहीं है कि कांग्रेस पार्टी किस हद तक परिवारवाद और भ्रष्टाचार में लीन हैं! कांग्रेस पार्टी कभी राहुल गांधी के आगे सोच ही नहीं पाती। अगर सोचती भी है तो उनकी बहन प्रियंका गांधी के बारे में। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे इस पार्टी ने देश की राजनीति में परिवारवाद का झंडा बुलंद किया है। ऊपर से भ्रष्टाचार में भी इन्हें कई उपलब्धियां प्राप्त हैं।

इसके बाद आते हैं, बिहार में भ्रष्टाचार के पर्याय माने जाने वाले लालू प्रसाद यादव परिवार और आरजेडी पर, जिनके भ्रष्टाचार के किस्से तो जग-जाहिर हैं! चारा घोटाले में जेल जाने के बाद इनकी जमकर किरकिरी हुई थी लेकिन आज भी इनके खिलाफ कोई कुछ नहीं बोलता। लालू यादव का राजनीतिक रसूल भी ज्यों का त्यों ही है। यहां तक कि उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और बेटी मीसा भारती पर कई जगह कितनी बेनामी संपत्तियां दर्ज हैं लेकिन इन सभी मामलों में कभी सिलसिलवार तरीके से जांच शुरू ही नहीं हो पाई। लालू यादव की पार्टी में परिवारवाद भी शुरू से कूट-कूट कर भरा हैं।

बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो यहां भी मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के मुखिया बने हैं। वो प्रदेश के एक बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। मुलायम परिवार के कई सदस्य समाजवादी पार्टी में शामिल हैं, चुनाव भी लड़ते हैं और पार्टी में उनकी अलग पकड़ भी है। कुल मिला कर देखा जाएं निष्कर्ष यहीं है कि देश के सभी नागरिकों को प्रधानमंत्री मोदी की परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरु की गई मुहिम में भाग लेना चाहिए। तभी जाकर सही मायने में भारत देश में चल रहें बड़े पैमाने पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार से छुटकारा मिलेगा, जिसके उपरांत हमारा देश और भी तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर होगा।

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