बिहार मंत्रिमंडल विस्तार: तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को क्लर्क का काम सौंपा है!

‘पल्टूराम’ के पास इसके सिवाय कोई विकल्प भी नहीं है!

RJD reduces Nitish Kumar to a glorified clerk

Source: Jansatta

ऐसा कोई सगा नहीं जिसे नीतीश ने ठगा नहीं! हर बार जब भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक गठबंधन साथी को छोड दूसरे के सहभागी बनते हैं तब-तब यह कथन बिहार के राजनीतिक गलियारे में यथावत गुंजायमान होने लगता है। कुछ ऐसा ही इस बार भी हुआ जब अगस्त माह की शुरुआत ही बिहार के तख्तापलट से हुई। एक बार फिर से नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन का साथ छोड महागठबंधन का हाथ थाम लिया। 10 अगस्त को एक बार फिर से नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके ठीक 6 दिन बाद यानी 16 अगस्त को उन्होंने अपना मंत्रीमंडल विस्तार किया है। इस मंत्रिमंडल विस्तार ने एक बात साफ़ कर दी कि तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को अंशकालिक क्लर्क बना दिया है जो सरकार के कार्यकाल खत्म होने के उपरांत उससे भी वंचित हो जाएंगे।

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दरअसल, कुर्सी से चिपके रहने के लिए गठबंधन साथी बदलने में नीतीश कुमार पारंगत हो गए हैं। लेकिन अब पलटूराम को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। बीजेपी से गठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ दोबारा गठबंधन कर तो लिया लेकिन इस बार शर्तें तेजस्वी की थी- और उन्हें सिर झुकाकर नीतीश कुमार को मानना पड़ा। मंत्रिमंडल विस्तार में इसकी तस्वीर बिल्कुल साफ हो गई। भले ही देखने के लिए सीएम नीतीश कुमार रहेंगे। सीएम की कुर्सी पर भी हर बार की तरह नीतीश कुमार ही बैठेंगे लेकिन इस बार नीतीश कुमार के पास वो ताकत नहीं होगी- जो उनके पास हुआ करती थी। मंत्रीमंडल विस्तार में महागठबंधन के विभिन्न घटकों के 31 सदस्यों को शामिल किया गया है।

कुशासन बाबू को आगामी भविष्य में पटखनी देनी आसान हो और जेडीयू किसी भी तरह कमज़ोर हो उस ध्येय के साथ लालू के बेटे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मंत्रिमंडल विस्तार की सूरत ही ऐसी रखी कि आरजेडी सशक्त दिखे और जेडीयू पस्त। मंत्रिमंडल विस्तार की बात करें तो पता चलता है कि आरजेडी के कोटे से 16 मंत्री बने तो जेडीयू से मंत्री पद की शपथ लेने वालों की संख्या 11 की ही रही और कांग्रेस से 2 तो “हम” और निर्दलीय को 1-1 मंत्री पद दिया गया।

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भले ही नीतीश कुमार ने गृह विभाग अपने पास रखा हो पर तेजस्वी यादव ने प्लानिंग ऐसे की है कि अब नीतीश कुमार की स्थिति इस सरकार में एक क्लर्क जैसी हो जाएगी। जहाँ सारे निर्णय उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव करेंगे और चूँकि तब मंत्रियो की संख्या, कुल विधायकों की संख्या सब में आरजेडी आगे है। ऐसे में नीतीश कुमार कुछ बोल भी नहीं पाएंगे। मंत्रिमंडल में विभाग वितरण में भी आरजेडी की जमकर चली है। ऐसे में आरजेडी खाते का कोई भी मंत्री पहले तेजस्वी यादव की सलाह और स्वीकृति लेगा और फिर नीतीश कुमार की सुनेगा या नहीं सुनेगा यह इस पर निर्भर करेगा कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को कितनी छूट देते हैं।

प्रधानमंत्री बनने का स्वप्न देखने वाले नीतीश कुमार। मोदी को टक्कर देने के लिए कुलांचे भरने वाले नीतीश कुमार। मोदी के भोज को ठुकरा देने वाले नीतीश कुमार। एक वक्त में जिन नीतीश कुमार को लोग पीएम मैटेरियल समझते हैं। उन्होंने इतनी पलटी मारी कि लोग तो उन्हें पलटूराम के नाम से जानने लगे और वो नाम के मुख्यमंत्री या फिर कहिए क्लर्क बनकर रह गए। अब यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को क्लर्क भी रहने देंगे या नहीं।

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