अशोक गहलोत बलात्कार और हत्या के विरुद्ध हैं, लेकिन ‘बलात्कार’ के नहीं?

राजस्थान अपराधों के मामले में टॉप पर है और मुख्यमंत्री ये सब करने में लगे हैं!

ashok Gahlot Rpe

Source- TFIPOST.in

हमारे दिल में बलात्कार पीड़ितों के प्रति बहुत पीड़ा हैं, उनका दर्द हमें नहीं देखा जाता, उनके लिए हम हमेशा खड़े रहेंगे लेकिन क्या करें हम तो आदत से मजबूर हैं, क्योंकि हम कांग्रेस पार्टी के नेता जो हैं। सरकार की हर कानून और नीतियों का विरोध करना ही हमारे लिए राजधर्म हैं। चाहे उसके लिए हमें जनता से कितनी गालियां ही क्यों ना सुननी पड़ें। ऐसी ही उच्च विचारधारा पर चलने वाले राजस्थान के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं। जिनका मुँह जब भी खुलता है तब-तब लोगों को विष की प्राप्ति होती हैं।

दरअसल, अशोक गहलोत ने हाल ही में दिए अपने बयान में कहा है कि “बलात्कार(रेप) के मामलों में रेपिस्ट को फांसी की सजा देना गलत है। क्योंकि फांसी की सजा के कारण ही देश में बलात्कार के मामले तेजी से बढ़ रहें हैं।” अशोक गहलोत का मानना है कि रेपिस्ट को लगता है कि कहीं बलात्कार पीड़िता उसके विरुद्ध गवाह बन जाएगी, जिसके डर से वो उसे बलात्कार करने के बाद मार देते हैं।

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अशोक गहलोत के बिगड़े बोल

बस क्या था, जैसे ही मुख्यमंत्री जी ने विष उगला और देश की राजनीति गरमा गई। बीजेपी, ताबड़तोड़ कांग्रेस और अशोक गहलोत पर हमले करने लग गई। बीजेपी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। गहलोत के इस विवादित बयान को लेकर बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि ‘राजस्थान में रेप बचाओ अभियान चल रहा है’। पूनावाला ने इसको लेकर ट्वीट किया और लिखा ‘रेप को लेकर कांग्रेस के मुख्यमंत्री ऐसा संवेदनहीन बयान दे रहे है। जबकि कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अभी तक चुप हैं। गहलोत के इस विवादित बयान पर देश की जनता भी उनकी आलोचना कर रही है।’

गहलोत के बयान से साफ पता चलता है कि वो बलात्कार करने वालों को सजा तो दिलवाना चाहते हैं लेकिन उन्हें फांसी के फंदे पर चढ़ता हुआ नहीं देखना चाहते हैं तभी तो ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे है। कहीं न कहीं वो बलात्कार के आरोपियों के पक्ष में बयान दे रहें हैं और इस कानून को कमजोर करने की बात कह रहे है। हालांकि उनके इस बयान का कोई औचित्य ही नहीं है। आखिरकार सरकार ने बलात्कार के मामले कम करने के लिए ही कानून में बदलाव कर बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में फांसी की सजा का प्रावधान लागू किया है। ताकि अपराधियों के मन में ये डर रहें हैं कि बलात्कार करने के बाद उनको अपनी जान से हाथ गवाना पड़ जाएगा।

मालूम हो, देश के सबसे चर्चित बलात्कार कांड अर्थात निर्भया कांड के बाद कानून में बदलाव कर 3 फरवरी 2013 को क्रिमिनल लॉ अम्नेडमेंट ऑर्डिनेंस लाया गया, जिसके तहत भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 और 182 में बदलाव किए गए। इनमें रेप से जुड़े नियमों को पहले के मुकाबले और सख्त किया गया। इस संशोधन के तहत ऐसा प्रावधान भी लागू किया गया जिससे बलात्कारी को फांसी की सजा मिल सके।

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राजस्थान में अपराध पहले की अपेक्षा काफी तेजी से बढ़े है

जब से गहलोत की कांग्रेस सरकार राजस्थान में आई है तब से राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध जैसे बलात्कार, यौन उत्पीड़न के मामलों में पहले की अपेक्षा काफी तेजी से वृद्धि हुई हैं। लेकिन यहां के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो अलग ही बेतुकी बातें कर रहें हैं। कुछ महीने पहले ही राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने राज्य में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के बारे में अपनी भद्दी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया था। 10 मार्च को विधानसभा में जवाब देते हुए धारीवाल ने कहा कि राज्य “बलात्कार के मामलों में नंबर एक पर है। हम बलात्कार के मामलों में आगे क्यों हैं। क्योंकि राजस्थान पुरुषों का राज्य रहा है।” वर्ष 2022 में जून माह तक राज्य में कुल 3,617 बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे। वहीं राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में साल 2020 में दुष्कर्म के 5,310 केस दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं एनसीआरबी के अनुसार इससे ठीक एक साल पहले 2019 में यहां बलात्कार के 5,997 मामले सामने आए थे। 16 मार्च 2022 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार इसमें से 45.4 फीसदी मामलों में अपराधियों को सजा मिली हैं। दोनों ही साल दुष्कर्म के मामलों में राजस्थान देशभर में पहले नंबर पर रहा था।

राजस्थान की कानून व्यवस्था की स्थिति दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। कभी वहां के शहरों में साम्प्रदायिक हिंसा हो जाती है तो कभी बलात्कार के मामलें एकाएक सामने आने लगते हैं। बलात्कार के कुछ मामलों में तो इनके पार्टी के नेता के शामिल होने की खबरें मीडिया में आने लगती है। दूसरी ओर वहां के राजनीतिक हालात भी अच्छे नहीं है। समय-समय पर उनके और सचिन पायलट के बीच मतभेद की खबरें भी सुनने को मिलती रहती है। राजस्थान के कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं, मंत्री और विधायक से भी उनकी अनबन चलती रहती है। राजस्थान के खेल मंत्री अशोक चांदना भी गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल चुके है। सरकारी नौकरियों में भी फर्जीवाड़े की ख़बरों ने उनकी सरकार की पोल खोल दी है। कुल मिला कर देखा जाए तो अशोक गहलोत से राजस्थान संभल नहीं रहा है। ऐसा लग रहा है, वो ऐसे-ऐसे बयान सिर्फ प्रदेश के वास्तविक मुद्दों से भटकाव के लिए दे रहें हैं।

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