देश की सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होने के बाद फ़ैसला आना कोई साधारण घटना नहीं है तब तो और जब भारी भरकम, बड़े और विवादित मामले को लेकर फैसला आए। बहुत छोटे कार्यकाल के लिए चीफ जस्टिस का पद संभालने आए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अपने पहले ही दिन ताबड़तोड़ सुनवाई का रिकॉर्ड बनवाया। पहले ही दिन सुप्रीम कोर्ट की सभी बेंचों ने करीब 592 मामलों की सुनवाई की है। यह काफी संतोषजनक स्थिति है।
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लगभग 592 मामलों की सुनवाई हुई है
अंग्रेजी में कहावत है कि ‘Justice delayed is justice denied’ और यह कहावत भारतीय न्यायपालिका की व्यवस्थाओं पर सटीक बैठती है क्योंकि यहां कभी-कभी किसी शख्स के मामले की सुनवाई का नंबर तब आता है जब उस शख्स की मौत हो जाती है। कोर्ट में आने से लोग डरते हैं और यह सोचते हैं कि काश पहले ही आपस में समझौता कर लिया होता। वहीं सुप्रीम कोर्ट के नये चीफ जस्टिस कम से कम न्यायपालिका के इस ढर्रे को सुप्रीम कोर्ट में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इसका संकेत उनके काम का पहला दिन है, इस दिन लगभग 592 मामलों की सुनवाई हुई है।
वहीं अब CJI यूयू ललित ने अतिआवश्यक याचिकाओं को लेकर कोर्ट नंबर वन में सुनवाई का एक नया तरीका अपनाने के संकेत दिए हैं। इसके जरिए मामलों को जल्द से जल्द सुना जा सकेगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम नंबर 1 में मामलों की सुनवाई कुछ दिनों के बाद शुरू होगी। उन्होंने कहा कि हमारे पास सुनवाई के लिए अलग से एक तंत्र तैयार किया जा रहा है जो कि गुरुवार तक उपलब्ध हो जाएगा।
CJI यू यू ललित वही कर रहे हैं जो करने का उन्होंने प्रण लिया था। पूर्व CJI एनवी रमणा के विदाई समारोह में उन्होंने कहा था कि वह अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इसमें केस लिस्टिंग, जरूरी मामलों की सुनवाई और संविधान पीठ के केस शामिल हैं। उन्होंने केस लिस्टिंग को यथासंभव सरल बनाने और तत्काल मामलों के उल्लेख को नियंत्रित करने के लिए एक सटीक व्यवस्था बनाने का प्रयास करने का प्रण लिया था।
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कोर्ट पर बोझ कम होगा
अहम बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में करोड़ों की संख्या में मामले पेंडिंग में हैं और अपने छोटे से कार्यकाल में यूयू ललित की कोशिश है कि मामलों के बोझ को कम किया जाए। वे सभी पुराने पेंडिंग केसों को न केवल खुद सॉल्व करने पर ध्यान दे रहे हैं बल्कि प्रत्येक केस को बेंचों के सुपुर्द कर उसमें एक्शन लेने के आदेश दे रहे हैं जो कि काफी क्रांतिकारी कदम प्रतीत हो रहा है। उन्होंने गुजरात दंगों के सभी मामलों को खत्म कर दिया है। इसके साथ ही अयोध्या में बाबरी विध्वंस से जुड़े सभी के सौदे की फाइल भी बंद कर दी है।
इन सभी फैसलों में यू यू ललित की एक छाप रही है। ऐसे में यूयू ललित के ताबड़तोड़ सुनवाई वाले ढंग को न्यायपालिका की दृष्टि से सहज माना जा रहा है क्योंकि इससे न्यायपालिका के ऊपर से लोगों का जो विश्वास है वो और मजबूत होगा।
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