देश की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस वर्तमान समय में बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है। वह पार्टी जिसने सात दशकों तक देश पर राज किया, उसके लिए आज अपना अस्तित्व बचाना भी चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा हैं। बड़े बड़े दिग्गज नेता पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं और सबसे सामने कांग्रेस की बर्बादी के कारण गिना रहे हैं। बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। पार्टी में मौजूद कुछ नेता जो हमेशा से गांधी परिवार की गुलामी करते आए हैं, वो अब भी अपने रवैये को बदलने का नाम नहीं ले रहे हैं।
दरअसल, एक ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से हाल ही में इस्तीफा दे दिया। 51 वर्षों से पार्टी से जुड़े गुलाम नबी ने कांग्रेस से “आजाद” होते हुए कांग्रेस की हर एक कमी को उजागर किया। पांच पेज के अपने इस्तीफे में उन्होंने सीधे तौर पर राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए कांग्रेस के मौजूदा हालातों के लिए जिम्मेदार ठहराया। परंतु कांग्रेस नेताओं की मानो अक्ल पर तो जैसे पत्थर ही पड़े हुए हैं। इतना सब होने के बाद भी कांग्रेस में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की चाहत कम होने का नाम नहीं ले रही। पार्टी में अभी भी गांधी परिवार के चश्मोचिराग राहुल गांधी को ही अध्यक्ष बनाने की मांग जोर पकड़ रही है।
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कांग्रेसियों के लिए राहुल ही अध्यक्ष
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के एक दिन बाद ही कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की इच्छा जाहिर की। पार्टी के वरिष्ठ ने कहा कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हुए तो उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जाएगा। खड़गे के अनुसार उन्हें राहुल गांधी के अलावा अध्यक्ष पद के लिए कोई अन्य कांग्रेस नेता नजर ही नहीं आता। राज्यसभा में कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि जिस भी नेता को पार्टी का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा जाए, वो ऐसा नेता हो जिसे कश्मीर से कन्याकुमारी और बंगाल से गुजरात तक समर्थन हासिल हो। पूरे देश में उसकी स्वीकारोक्ति होनी चाहिए। खड़गे ने कहा कि इसके लिए राहुल गांधी के सिवाए कोई विकल्प हो तो मुझे बताइये।
खड़गे ने कहा कि राहुल अगर अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं होते तो उनसे अनुरोध किया जाएगा। पार्टी की खातिर, देश की खातिर, आरएसएस-भाजपा से लड़ने और देश को बनाए रखने के लिए उन्हें कार्यभार संभालने के लिए कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि देश को जोड़ने के लिए राहुल गांधी की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, हम उनसे पूछेंगे, मजबूर करेंगे और उनसे कांग्रेस अध्यक्ष बनने का अनुरोध करेंगे। हम उनके पीछे, उनके साथ खड़े हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कई बार सार्वजनिक तौर पर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग कर चुके हैं। एक ओर राहुल स्वयं जिम्मेदारी लेने से भाग रहे हैं, दूसरी ओर कांग्रेस नेता उन्हें जबरदस्ती अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाना चाहते हैं। ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि वो अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हैं। फिर भी कांग्रेस नेताओं की सूई उन्हीं पर अटकी हुई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि गांधी परिवार के गुलाम नेता कांग्रेस को गांधी परिवार से मुक्त कराना ही नहीं चाहते।
‘मृत’ कांग्रेस अब रसातल में…
ज्ञात हो कि गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को भेजे अपने 5 पन्ने के इस्तीफे में पार्टी की हर एक कमी को गिनाया। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से पार्टी में जब से राहुल की एंट्री हुई और खास तौर पर वर्ष 2013 में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया, तब से उन्होंने पार्टी में बातचीत का पूरा खाका ही ध्वस्त करके रख दिया हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में वरिष्ठ अनुभवी नेताओं को ही कांग्रेस से दरकिनार कर दिया गया। आजाद ने अपने इस्तीफे में राहुल गांधी को ‘अपरिपक्व और बचकाना व्यवहार’ वाला नेता भी बताया है। साथ ही उन्होंने कहा कि अब सोनिया गांधी नाममात्र की नेता रह गई हैं, क्योंकि सभी निर्णय राहुल गांधी के सिक्योरिटी गार्ड और निजी सहायक करते हैं।
आपको बताते चलें कि गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ और दिग्गज नेताओं के इन आरोपों को गंभीरता से लेने के बजाय पार्टी के अन्य नेता उन्हीं पर टूट पड़े और आजाद को घेरने लगे। कांग्रेस नेताओं द्वारा आजाद पर धोखा देने और डीएनए मोदी मय होने के आरोप लगाए गए। आजाद ने राहुल गांधी को सीधा तौर पर कांग्रेस की मौजूदा परिस्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। फिर भी कांग्रेस नेता उन्हें ही अध्यक्ष बनाकर पार्टी का और बेड़ागर्क कराने पर तुले हुए हैं। ऐसे में मृत हो चुकी कांग्रेस पार्टी का भविष्य अब भगवान भरोसे ही है।
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