भारत के दोनों अरबपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी इस समय विश्व पर छाए हुए हैं। एक तरफ जहां गौतम अडानी हैं जो रॉकेट की रफ्तार से अपनी संपत्ति में वृद्धि कर दिग्गजों को पीछे छोड़ रहे हैं, इस समय वो दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन चुके हैं। वहीं दूसरी ओर मुकेश अंबानी भविष्य को ध्यान में रखकर योजना बनाते हुए एक के बाद एक कंपनियों को अपना बनाते जा रहे हैं। गैस, तेल से लेकर दूरसंचार विभाग समेत कई क्षेत्रों में तो मुकेश अंबानी ने अपनी धाक जमा ही ली हैं। इसके साथ ही अब उन्होंने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।
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अमेरिकी कंपनी की बड़ी हिस्सेदारी खरीदेगा RIL
दरअसल, अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) अमेरिकी कंपनी सेंसहॉक इंक (SenseHawk Inc.) की बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में हैं। वो इस अमेरिकी सॉफ्टवेयर डेवलेपर कंपनी की 79.4 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेंगे। इसके लिए उन्होंने 32 मिलियन डॉलर यानी करीब 255 करोड़ रुपयों में सौदा किया है। जैसा कि इस समझौते से प्रतीत होता है कि मुकेश अंबानी डील के माध्यम से अपनी सौर ऊर्जा योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
यहां जान लें कि RIL जिस अमेरिकी कंपनी सेंसहॉक की इतनी बड़ी हिस्सेदारी खरीदने जा रही है, उसकी स्थापना चार वर्ष पूर्व साल 2018 में की गयी थी। सेंसहॉक अमेरिका के कैलिफॉर्निया में स्थित है और यह कंपनी सौर ऊर्जा उत्पादन से जुड़े सॉफ्टवेयर आधारित मैनेजमेंट टूल्स बनाने का काम करती है। यह कंपनियों की प्रक्रिया को सरल बनाकर योजना से लेकर सौर ऊर्जा के उत्पादन को गति देने के काम में सक्रिए है। पिछले वित्त वर्ष में इस कंपनी का टर्नओवर 23 लाख डॉलर था। SenseHawk के द्वारा एंड-टू-एंड सोलर एसेट लाइफसाइकल के प्रबंधन के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी प्रदान किया जाता है। 15 देशों में 140 से अधिक ग्राहकों को नयी टेक्नोलॉजी अपनाने में सेंसहॉक ने सहायता की। इस कंपनी ने 600 साइटों पर 100 से अधिक सोलर पावर पर काम किया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी ने सेंसहॉक का अधिग्रहण करने के बाद इस कंपनी का रिलायंस परिवार में स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) हरित ऊर्जा यानी ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वर्ष 2030 तक उनकी कंपनी नवीकरणीय स्त्रोतों में कम से कम 100 गीगावाट विद्युत का उत्पादन करेगी या फिर उत्पादन क्षमता हासिल करेगी, जिसे कार्बन मुक्त ग्रीन हाइड्रोजन में बदला जा सकेगा।
अंबानी के अनुसार वो सेंसहॉक के सहयोग से वैश्विक स्तर पर सौर परियोजनाओं की लागत को कम करने, उत्पादकता बढ़ाने और प्रदर्शन सुधारने की दिशा में काम करने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि यह बेहद ही रोमांचक टेक्नोलॉजी है। मुझे पूरा विश्वास है कि रिलायंस के समर्थन से सेंसहॉक कई गुना वृद्धि करेगा।
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वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत को बढ़ावा देना होगा
कहते हैं कि एक अच्छा व्यापारी वही होता है जो भविष्य को ध्यान रखकर तमाम योजनाओं पर काम करे और मुकेश अंबानी ठीक उसी दिशा में आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। वर्तमान समय में केवल तेल के बढ़ते दाम ही लोगों के लिए परेशानी का कारण नहीं बने हुए है बल्कि इसके साथ ही ईंधन के उपयोग से पर्यावरण को जो नुकसान होता है और ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ी है, वो चिंता का एक बड़ा विषय बना हुआ है। यही कारण है कि भविष्य के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। ऐसे में सौर ऊर्जा भी इसका एक विकल्प बन सकता है।
जितनी ऊर्जा पूरी मानव जाति साल भर में उपयोग करती है, उतनी ऊर्जा सूर्य केवल एक घंटे में धरती को देता है। सूर्य की किरणों को सौर ऊर्जा पैनलों के माध्यम से बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है। सौर ऊर्जा पर्यावरण अनुकूल है और इसके साथ ही इसमें लागत भी कम आती है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में निवेश करने की होड़ मचनी शुरू हो गयी।
देखा जाए तो वर्तमान समय में रिलायंस इंडस्ट्रीज का मुख्य रूप से कारोबार गैस, ऑयल, पेट्रोकेमिकल्स, रिटेल सेक्टर और टेलीकॉम पर किया जा रहा है। हालांकि कंपनी की तकरीबन 60 फीसदी कमाई ऑयल रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल के कारोबार से हो रही है। रिलायंस चाहता है कि वो अपनी इस निर्भरता को कम करे और इसलिए ही अंबानी विभिन्न सेक्टरों में विशेषकर नयी ऊर्जा स्त्रोतों पर काफी पैसा लगा रहे हैं। अंबानी के द्वारा अगले 10 से 15 वर्षों के दौरान 80 अरब डॉलर का निवेश हरित ऊर्जा पर किया जा सकता है।
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हालांकि देखा जाए तो हरित ऊर्जा के मामले में दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति और भारतीय अरबपति गौतम अडानी भी पीछे नहीं है। अडानी ने ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में वर्ष 2030 तक 70 अरब डॉलर निवेश करने का लक्ष्य रखा है। अडानी ग्रुप (Adani Group) ने ग्रीन एनर्जी मिशन के तहत सौर मॉड्यूल, पवन टर्बाइन और हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर बनाने के लिए तीन गीगा फैक्ट्रीज लगाने की घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में यह तय है कि ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत के इन दो धुरंधरों की कड़ी टक्कर देखने को मिलने वाली हैं।
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