हिमंता की कृपा से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शीघ्र बनेगी ‘कांग्रेस छोड़ो यात्रा’

'भारत जोड़ो यात्रा' का ढोंग जल्द ही पूरे भारत के सामने होगा

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कुछ लोगों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वो पैदा ही स्वयं की बेइज्जती कराने के लिए हुए हैं,  कांग्रेस की हालत भी कुछ ऐसी ही है। राजनीतिक सूर्यास्त की ओर ताक रही कांग्रेस स्वयं को पुनर्जीवित करने हेतु ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकल चुकी है जिसका नेतृत्व करेंगे उनके तारणहार, उनके पुरोधा, श्री श्री राहुल गांधी जी।

परंतु इसी बीच असत्य के सागर में गोते लगाते अरविन्द केजरीवाल को पटक-पटक के धोने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी अपने चिरपरिचित शैली में दिखायी देने लगे हैं।

इस लेख में जानेंग कि कैसे कांग्रेस के ‘भारत जोड़ों यात्रा’ की हिमंता ने हवा निकाल दी और कैसे उन्हें नीचा दिखाने के प्रयास में कांग्रेस ने यह सिद्ध कर दिया कि यह भारत जोड़ों यात्रा कम और  कांग्रेस छोड़ो यात्रा अधिक होने वाली है।  

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‘भारत जोड़ो यात्रा’ के लिए भी कई शर्तें हैं

हाल ही में कांग्रेस अपने बहुचर्चित ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के अंतर्गत 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए ज़ोरोंशोरों से तैयारी में जुट गयी है। परंतु इसमें भी युवराज की कुछ शर्तें हैं। 7 सितंबर से प्रारंभ होने वाली इस यात्रा में राहुल गांधी केवल 150 दिन पदयात्रा करेंगे, जिसमें वे एक विशेष कंटेनर में निवास करेंगे। यह यात्रा कन्याकुमारी से जम्मू एवं कश्मीर जाएगी और 12 राज्यों का दौरा करेगी। यह यात्रा सुबह 7 से 10:30 तक चलेगी और फिर 3:30 से 6:30 तक, यह यात्रा कुल 3500 किलोमीटर लंबी होगी।

परंतु हिमंता बिस्वा सरमा के मन में कुछ अलग ही विचार थे। उन्होंने तो कांग्रेस की खटिया खड़ी करते हुए बताया, “ये भारत जोड़ो यात्रा किस बात के लिए? भारत को कांग्रेस के नेतृत्व में 1947 में बांटा गया था। राहुल गांधी को यह यात्रा पाकिस्तान से करनी चाहिए थी, भारत तो पहले से ही एक है” –

बस फिर क्या था, नथुने फड़काते हुए आ गए कांग्रेसी हिमंता को उल्टा-सीधा सुनाने। राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष इन वेटिंग अशोक गहलोत बोलते हैं, “ऐसे अवसरवादियों को हम गंभीरता से नहीं लेते। यह अलग बात है कि वह मुख्यमंत्री बन गया है” –

परंतु कांग्रेस की बेइज्जती का कोटा अभी पूरा थोड़ी न हुआ था। इनके चाटुकार शिरोमणि, पूर्व कैबिनेट मंत्री जयराम रमेश ने हिमंता के कांग्रेसी अतीत पर हमला करते हुए बोला, “मुझे लगता है असम के मुख्यमंत्री में काफी लड़कपन है और वे एकदम अपरिपक्व हैं, जो अपने नये मालिकों को खुश रखने के लिए ऐसे ऊटपटांग बयान बोलते रहते हैं”।

पर बंधु यहीं नहीं रुके, वे कहते हैं, “मैं इस व्यक्ति को गंभीरता से नहीं लेता, क्योंकि इसे हर दिन अपनी वफादारी कांग्रेस को सिद्ध करनी होती है, जबकि 20-25 वर्षों तक ये कांग्रेस का भाग रहा। ये अभी भी भाजपा की ओर प्रवास किये हैं, सो ऐसे भड़काऊ बयान देते रहते हैं”।

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हिमंता से न भिड़ें!

परंतु जयराम रमेश शायद भूल गए कि वो किससे भिड़ रहे थे। जिस व्यक्ति ने अरविन्द केजरीवाल और उसके खोखले शिक्षा मॉडल को कहीं का नहीं छोड़ा, वो ऐसे जमूरों को सस्ते में कैसे छोड़ देता? हिमंता दा ने कांग्रेस, विशेषकर जयराम रमेश जैसों को पटक-पटक कर धोते हुए कहा, “पहले तो ये बताइए कि ये जयराम रमेश हैं कौन? असम में रहते हैं? कौन है भाई, मेरे को कोई आइडिया नहीं। एक कांग्रेस के नेता को कौन याद रखेगा? मैं तो ऐसे व्यक्ति के निकट भी नहीं था, सो मैं नहीं जानता!”

स्मरण रहे, ये वही हिमंता बिस्वा सरमा हैं, जिन्होंने अरविन्द केजरीवाल के दो कौड़ी के झूठे शिक्षा मॉडल का अस्थि पंजर करने में एक हफ्ता भी नहीं लगाया। हाल ही में दिल्ली के अजीबोगरीब आबकारी नीति के परिप्रेक्ष्य में सीबीआई के छापे पर दिल्ली सरकार ने जो रायता फैलाया है उसके बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है। उसके ऊपर से जितनी बार इन लोगों से कुछ कठिन प्रश्न पूछे जाते हैं तो ये शिक्षा मॉडल का राग अलापने लगते हैं। अरविंद केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया ने तो न्यू यॉर्क टाइम्स के एक रिपोर्ट तक का हवाला देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। परंतु इतने सफेद झूठ से तंग आकर मानो हिमंता दा ने इनको पटक-पटक कर धोने की कसम ही खा ली हो।

हिमंता भाईसाब ने एक ही ट्वीट में अरविंद केजरीवाल को कूटने का पूर्ण प्रबंध कर दिया था। उन्होंने ट्वीट किया, “बिना किसी होमवर्क के कृपया बकवास न करें। जब से शिक्षा मंत्री बना हूं, तब से [नीचे सम्पूर्ण विवरण है] असम सरकार 8610 नये विद्यालयों का या तो स्थापना की है या फिर अधिग्रहण किया है। दिल्ली सरकार ने पिछले 7 साल में कितने नये स्कूल बनाए हैं?”

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कांग्रेस को ये भी स्मरण होना चाहिए कि गुलाम नबी आज़ाद अभी कुछ ही समय पूर्व कांग्रेस छोड़कर गए हैं और हिमंता बिस्वा सरमा के कारण ही आज पूर्वोत्तर में इनका अस्तित्व तक नहीं है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत जोड़ों यात्रा शीघ्र ही कांग्रेस छोड़ो यात्रा में परिवर्तित होगी।

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