जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो किसी और को क्या ही दोष दिया जाए। फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया जन्मजन्मांतर से वही फिल्में ऑस्कर में भारत की एंट्री के लिए भेजता है जिसमें भारत शोषित और पीड़ित लगे और जिससे यह प्रतीत हो सके कि किन अभावों में भारत जी रहा है। नतीजा सबके सामने है, जहां इस वर्ष भारत के पास ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘आरआरआर’ जैसी फिल्में थीं जिनकी बहुत अधिक संभावना थी कि इन्हीं में से कोई एक ऑस्कर के लिए जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारत की ओर से गुजराती फिल्म ‘द लास्ट फिल्म शो’ (‘छेलो शो’) को प्रविष्टि के रूप में चयनित कर उसकी घोषणा की गयी। अब यह निर्णय कितना सही और कितना गलत है वो जनता को तय करना है पर जो भाव है वो तो स्पष्ट है कि भारत की छवि को भारत के लोगों ने ही ख़राब किया है।
और पढ़ें- बॉयकॉट बॉलीवुड का कमाल, पिछले 9 महीने में रिलीज हुई 60 फिल्मों में से मात्र 3 रही हिट
छेलो शो को नामांकित करने की हुई घोषणा
इस घोषणा ने सभी को चौंका दिया है। इस वर्ष देश में एक मजबूत अंतर्धारा थी कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ या ‘आरआरआर’ में से कोई एक इस बार भारत से ऑस्कर के लिए जाएगी पर हुआ इसके उलट। दरअसल, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) ने आधिकारिक रूप से गुजराती फिल्म छेलो शो को नामांकित करने की घोषणा की है जिसे द लास्ट फिल्म के रूप में भी जाना जाता है, जो अब ऑस्कर 2023 में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि है। इस घोषणा ने सभी को चौंका दिया है। इस वर्ष देश में एक मजबूत अंतर्धारा थी कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ या ‘आरआरआर’ में से कोई एक इस बार भारत से ऑस्कर के लिए जाएगी पर हुआ इसके उलट।
एफएफआई अध्यक्ष टीपी अग्रवाल ने कहा कि फिल्म को सर्वसम्मति से 95वें ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुना गया था। पुरस्कार समारोह 12 मार्च, 2023 को लॉस एंजिल्स के डॉल्बी थिएटर में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “17 सदस्यीय जूरी ने सर्वसम्मति से ‘छेलो शो’ को चुना। हिंदी में छह सहित विभिन्न भाषाओं की कुल 13 फिल्में थीं- ब्रह्मास्त्र, द कश्मीर फाइल्स, अनेक, झुंड, बधाई दो और रॉकेट्री- और तमिल (इराविन निज़ल), तेलुगु (आरआरआर), बंगाली (अपराजितो) में एक-एक ) और गुजराती (छेलो शो) और साथ ही कुछ अन्य।”
अब इस चयन को सही-गलत ठहराने से कही अधिक कहानी यहां रुकती है कि क्योंकि हमेशा से चली आ रही इस रीत को धक्का मार पॉलिसी के साथ चलाया जा रहा है जहां हमेशा ऐसी ही फिल्में चयनित हो रही हैं जहां उभरता हुआ भारत नहीं गर्त में जाता हुआ भारत दिखाया जाता है। इस बार इस फिल्म जिसका नाम ‘द लास्ट फिल्म शो’ (‘छेलो शो’) है जो पान नलिन द्वारा निर्देशित है। इसमें भाविन राबड़ी, ऋचा मीना, विकास बाटा, भावेश श्रीमाली, दीपेन रावल और राहुल कोली प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यह दावा किया जाता है कि यह फिल्म निर्देशक के सिनेमा के प्रति प्रेम से प्रेरित है, जब वह गुजरात के सौराष्ट्र गांव में एक बच्चे के रूप में बड़ा हुआ था। फिल्म की कहानी एक ऐसे युवा लड़के के इर्द-गिर्द घूमती है जिसे सिनेमा से प्यार है।
Who is #PanNalin, director whose film #ChhelloShow got picked as India's official entry to #Oscarshttps://t.co/Tsltw4bykJ
— DNA (@dna) September 21, 2022
और पढ़ें- बॉलीवुडियों को आदिपुरुष से सीखना चाहिए कि कैसे करें फिल्मों का प्रमोशन
अंदर का झोल
पर अंदर का झोल किसी को नहीं दिख रहा है वो यह है कि नलिन कुमार पांड्या या जो अब पान नलिन के नाम से जाने जाते हैं उन्होंने संसार, एंग्री इंडियन गॉडेसेज और वैली ऑफ फ्लावर्स जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था। पश्चिमी शैली से अत्यधिक प्रभावित, पान नलिन अपनी फिल्म में अपने पात्रों के नामकरण में गलत मानसिकता को दर्शाते हैं। जाहिर है, उनकी फिल्म एंग्री इंडियन गॉडेसेज में नायक के नाम भारतीय नामों के लिए एक हीन भावना से प्रेरित हैं।
https://twitter.com/ashokepandit/status/1572267374941990913
इसके अतिरिक्त अब जब बात निकली है तो दूर तलक तो जानी ही थी। ऑस्कर के लिए आधिकारिक नामांकन के बाद कुछ नेटिज़न्स ने इसे नामांकित मूवी को 1988 में रिलीज़ हुई इतालवी फिल्म Cinema Paradiso की पूरी कॉपी होने का आरोप लगाया है। वहीं कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ता इन दो फिल्मों के पोस्टर में समानता को चिह्नित कर रहे हैं। ज्ञात हो कि आखिरी भारतीय फिल्म जिसने ऑस्कर नामांकन की अंतिम सूची में जगह बनायी थी वह 2001 में लगान थी। लगान के साथ केवल तीन भारतीय फिल्में हैं जिन्होंने अबतक ऑस्कर की फाइनल नॉमिनेशन लिस्ट में जगह बनायी है। अन्य दो 1957 में मदर इंडिया और 1988 में सलाम बॉम्बे थी। जाहिर है, ऑस्कर के लिए भारत के आधिकारिक नामांकन में से अधिकांश बेशर्मी से इस विचार को बेचते हैं कि भारत एक मजबूत राष्ट्र नहीं है बल्कि अभाव में जीने वाला राष्ट्र है।
सत्य तो यह है कि इस बार भी भारत को भारत के लोगों ने ही अभाव प्रिय बना दिया है। ऐसे निर्माता और फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) जैसे चयनकर्ता दोनों ही दकियानूसी सोच से ग्रसित हैं वरना भारत क्या है वो आज पूरा विश्व जानता है।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.