1020 दिनों से जितनी बेकरारी से विराट कोहली के शतक का इंतजार क्रिकेट फैंस कर रहे थे कुछ उसी तरह बॉलीवुड लवर्स भी बॉलीवुड में पड़े ‘सूखे’ के खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। 8 सितंबर को इंतजार खत्म हुआ जब अफगानिस्तान के खिलाफ विराट कोहली ने शतक लगाया और वहीं दूसरी ओर 9 अगस्त को ‘ब्रह्मास्त्र’ रिलीज हुई। एशिया कप में जिस तरह विराट की सेंचुरी भारत के लिए बेकार गयी ठीक वैसे ही बॉलीवुड के लिए ‘ब्रह्मास्त्र’ भी बेकार साबित हुई है। रणबीर कापूर, आलिया भट्ट, मौनी रॉय, अमिताभ बच्चन और शाहरूख खान फिल्म ब्रह्मास्त्र भाग एक: शिवा में लीड रोल में हैं। लेकिन यह फिल्म लोगों को अपनी ओर खींचने में नाकाम साबित हुई है।
जब फिल्म में शाहरुख खान की विशेष उपस्थिति सबसे अधिक प्रभावशाली हो तो या तो आपकी फिल्म बहुत ही अधिक प्रभावशाली है या फिर आपकी फिल्म इतनी बेकार है कि इसमें शाहरुख खान ही सबसे योग्य निकले। हम नहीं जानते कि अयान मुखर्जी और करण जौहर ने क्रिटिक्स और मीडिया को कितने पैसे खिलाए हैं इसके पॉजिटिव रिव्यू देने के लिए, पर सच्चाई यही है कि ब्रह्मास्त्र फिल्म को देखना पैसे के साथ-साथ समय की बर्बादी है।
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अगर ब्रह्मास्त्र में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट का प्रेम प्रसंग ही कराना था तो उन्हें एक अच्छा सा स्पेस दे देते थे, कुछ बढ़िया म्यूज़िक बजवा देते, विकल्पों का अथाह सागर है इस संसार में, पैसे काट रहे थे जो 410 करोड़ रुपये फूंक दिए? ‘ब्रह्मास्त्र’ और कुछ नहीं, इस कूची कूची कू का सार्वजनिक प्रदर्शन है। ये स्वतंत्र देश है, सबको अपनी इच्छा से जीने का अधिकार है परंतु जब आप अपनी इच्छाओं को जनता पर थोपेंगे तो जनता मूर्ख तो है नहीं, जो हाथों हाथ आपके कंटेंट को लपेटेगी।
और कंटेंट के नाम पर आपने क्या दिया है? दो घंटे ये समझाने में बर्बाद कर दिए कि ब्रह्मास्त्र ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली शस्त्र है। कहीं कोने में ‘नारायणास्त्र’ और ‘पाशुपतास्त्र’ सोच रहे होंगे कि हमने कौन से पाप कर दिए भाई? लेकिन फिल्म के अंत में दिखाया कि नहीं, सबसे शक्तिशाली अस्त्र तो प्रेम है। तो भाई, मोहन भार्गव यानी शाहरुख खान और अनीश शेट्टी यानी नागार्जुन फिल्म में नौटंकी कर रहे थे? वे बस हाय हैलो करने के लिए थे क्या?
ब्रह्मास्त्र देखने से बेहतर अगर आप दीवार पर लटकी छिपकली को 2 घंटे देखेंगे तो भी उससे ज़्यादा एंटरटेनमेंट हो जाएगा क्योंकि इसमें तो बात बात पर गीत, नौटंकी और मजाक ही चल रहा है? इससे अच्छा यह जवानी है दीवानी का फैंटसी सीक्वल ही चला देते। ये तो मात्र प्रारंभ है। इस फिल्म में बताया गया है कि वानारास्त्र और नंदीअस्त्र को बस गोलियों से छलनी किया जा सकता है तो अग्नि अस्त्र को प्रज्ज्वलित रखने के लिए लाइटर चाहिए। अग्नि अस्त्र को ऑन होने के लिए स्विच चाहिए, हां जी भाई, स्विच और ये स्विच क्या है? सोचिए, सोचिए। वह है लड़की का साथ।
और ये कौन बोल रहा था कि ब्रह्मास्त्र में VFX नेक्स्ट लेवल था? IMAX 3D में देखने के बाद भी अगर माइग्रेन हो जाए तो भाड़ में जाए ऐसे स्पेशल इफ़ेक्ट्स। फिल्म में आग्नेयास्त्र का रंग न श्वेत न केसरिया, सीधा गुलाबी टिंज, भैया, थोड़ा इंद्रधनुषी प्राइड परेड भी करा लेते। इस पर करोड़ों खर्च किये थे? इसके आधे में अजय देवगन ने तान्हाजी बनाई थी और विश्वास मानिए इससे दस गुना बढ़िया और भौकाली इफ़ेक्ट्स दिए थे।
पर हम आशा भी किससे कर रहे हैं? उस अयान मुखर्जी से, जिसके लिए यह ‘ब्रह्मास्त्र’ थी ही नहीं? अयान के 2019 के इंस्टा पोस्ट के अनुसार, “रूमी, पहले वो लंबे बालों वाला रूमी था। यह छवि एक अर्ली लुक टेस्ट से थी। रूमी कहते थे, “प्यार तुम में और सब में एक पुल समान हैं”। इस आधार पर हमारे हीरो की नींव पड़ी परंतु जल्द ही हमें नयी प्रेरणा मिली, नये विचार मिले। ड्रैगन, ब्रह्मास्त्र बनी, रणबीर के बाल कटे और रूमी बन गया शिवा!”
अब जरा सोचिए कि जो कैरेक्टर शुरू से शिवा नहीं है वो शिवा के कैरेक्टर को आत्मसात कैसे करेगा। एक दृश्य में आप इस संवाद को काट भी नहीं पाए। रही बात सनातन धर्म की तो इसमें सम्मान तो दिया गया है लेकिन उतना ही, जितना हॉलीवुड की फिल्मों में भारतीय अभिनेताओं को मिलता है। चंद मिनटों के इफेक्टस और कुछ दृश्यों को आप अगर सनातन धर्म का सम्मान मानते हैं तो भैया, नहीं चाहिए ऐसा सम्मान। आधे से अधिक फोकस तो प्रेम प्रसंग पर ही था और फिर पूछते हो कि बॉलीवुड को कोई गंभीरता से क्यों नहीं लेता?
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