बहुत तूफ़ान आते हैं, बहुत कष्टों से गुज़रना पड़ता है, तपना पड़ता है, खपना पड़ता है तब कुछ हासिल होता है। भारतीय मोबाइल बाजार में जितना भारतीय कंपनियों को बढ़ावा मिलना चाहिए था वो उसे कभी नहीं मिल पाया। उसके हिस्से का हमेशा चीनी कंपनियों ने खाया, यही कारण है कि भारत में चीन के तकनीक और चीन के मोबाइल भारतीय कंपनियों पर हावी रहे हैं। यह भारत की नाकामी का सबसे बड़ा उदाहरण भी है कि और देश यहां आकर भारत का उपभोग कर गए और उसके दुष्परिणाम यह रहे कि भारत की कंपनियां सिमट-सिमट कर बंद होने की कगार पर आ गयी।
चीन का मार्केट भारत में सिकुड़ चुका है
अब चूंकि चीन का मार्केट भारत में सिकुड़ चुका है तो भारतीय कंपनियों के उबरने की संभावनाएं प्रबल हो रही हैं। ऐसे कई प्रश्न उठने लगे हैं क्योंकि लावा वापसी करने का मन बना रही है। ऐसे में क्या लावा वह हासिल कर सकती है जो माइक्रोमैक्स नहीं कर सका?
दरअसल, लावा इंटरनेशनल अब भारतीय मोबाइल जगत में वापसी कर रही है। वो लावा जो एक भारतीय फोन निर्माता कंपनी है वो बीते लंबे समय से भारतीय बाजार से विलुप्त हो गयी थी, ठीक वैसे ही जैसे एक समय पर माइक्रोमैक्स हुआ था। वो माइक्रोमैक्स जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय स्मार्टफोन निर्माता था। परंतु एक समय ऐसा आया जब चीनी स्मार्टफोन्स की ऐसी बाढ़ आयी कि माइक्रोमैक्स बह गया। इसी पर एक महत्वपूर्ण वीडियो मैसेज में चर्चा करते हुए माइक्रोमैक्स के सह संस्थापक राहुल शर्मा ने बताया था कि “तीन दोस्तों के साथ मिलकर हमने माइक्रोमैक्स की शुरुआत की। आप सब लोगों ने देखते ही देखते माइक्रोमैक्स को देश का नंबर 1 और विश्व का 10वां सबसे बड़ा ब्रान्ड बना दिया।” इसके बाद माइक्रोमैक्स की असफलता के बारे में मुखर होते हुए राहुल ने आगे बताया था कि “अच्छा, कुछ गलतियां भी हुईं हमसे, पर ये पहली बार कर रहे थे। काम भी कर रहे थे और सीख भी रहे थे, पर फिर एक ऐसा वक्त भी आया, जब चीनी स्मार्टफोन्स ने मुझे मेरे देश में ही पछाड़ दिया।” ‘
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इसके बाद वर्ष 2020 में खबर आयी थी कि माइक्रोमैक्स वापसी कर रहा है पर इस बारे में कुछ ख़ास खबर आयी नहीं। इसी बीच लावा ने अपनी वापसी को ख़ास और प्रीमियम बनाने के लिए नया बजट अनुकूल ‘लावा ब्लेज़ प्रो’ लॉन्च करते हुए बॉलीवुड अभिनेता कार्तिक आर्यन को अपने स्मार्टफोन श्रेणी का ब्रान्ड एंबेसडर के रूप में शामिल किया है। ब्रान्ड एंबेसडर के रूप में आर्यन के ऑन-बोर्डिंग के साथ कंपनी का लक्ष्य अधिक संभावनाओं को आकर्षित करके अपने उपभोक्ता आधार को बढ़ाना है। आर्यन ने कहा, “मुझे लावा के साथ जुड़कर खुशी हो रही है। एक घरेलू ब्रान्ड जिसने खुद को एक अग्रणी भारतीय एंड-टू-एंड स्मार्टफोन कंपनी के रूप में स्थापित किया है। यह देखना बेहद उत्साहजनक है कि लावा किस तरह ऐसी तकनीक ला रहा है जो देश के युवाओं को आकर्षित करती है।”
कार्तिक ने आगे कहा, “मेरा जुड़ाव ‘गर्व से भारतीय’ होने और एक अनोखे प्रस्ताव के साथ भीड़ से अलग खड़े होने के हमारे साझा लोकाचार की प्रतिध्वनि पर आधारित है।” लावा के मार्केटिंग, सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रैटेजी के प्रमुख मुग्ध रजित ने कहा, “आर्यन को साइन करना लावा के लिए एकदम उपयुक्त है, दोनों अपने उद्योगों के मानदंडों को चुनौती दे रहे हैं और नयी उम्मीदें पैदा कर रहे हैं।” उत्कृष्ट भारतीय विकल्प और उनके स्टारडम और व्यक्तित्व के साथ हमें विश्वास है कि हम वहां तेजी से पहुंच सकते हैं।”
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भारत में चीनी कंपनियों की दाल नहीं गलने वाली
अब लावा की ऐसी वापसी भारतीय बाजार के लिए तो बहुत सुगम प्रतीत हो रही है क्योंकि सर्वप्रथम यह एक भारतीय कंपनी है, दूसरा यह कि लावा चीनी कंपनियों के आने से पूर्व बहुत प्रचलित था क्योंकि उसकी तकनीक स्मार्टफोन रेंज के भीतर सबसे पहली और सबसे अनोखी बतायी जाती थी। आम भारतीयों के लिए स्मार्टफोन या तो लावा ने सुलभ कराए या माइक्रोमैक्स ने। वो तो समय, काल, परिस्थितियां ऐसी हुईं कि भारत के भीतर चीनी कंपनियों ने सेंधमारी की और कहानी चीनियों के पक्ष में परिवर्तित हो गयी।
लेकिन कोरोना के बाद से चीनी उत्पादों को सिरे से नकार देने वाली प्रवृत्ति ने चीनी कंपनियों को यह भान करा दिया है कि अब भारत में उनकी दाल नहीं गलने वाली। इसका सबसे उपयुक्त प्रयोग कोरोना काल में चीनी एप्स और उससे जुड़े कई तंत्रों को भारत से बैन कर दिखा दिया गया कि उसके अलावा कल भी भारत था, आज भी है और आगे भी रह सकता है।
चीन पर आश्रित होने वाली कहानी बहुत पुरानी हो चुकी है। ऐसे में लावा की वापसी का समय बहुत अनुकूल प्रतीत हो रहा है क्योंकि चीन उत्पाद न खरीदने का मन भारतीय बना चुके हैं। ऐसे में आत्मनिर्भर हो रहा भारत “आत्मनिर्भर भारत” की कल्पना को साकार करने का लक्ष्य स्थापित कर रहा है। निश्चित रूप से ऐसे ही सब फलीभूत होता रहा तो लावा वह सब हासिल कर लेगा जो माइक्रोमैक्स नहीं कर सका था।
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