कनाडा भारतीयों के लिए असुरक्षित है, हिंदुओं को ‘विशेष खतरा’ है

भारतीयों के विरुद्ध ही हिंसक व्यवहार क्यों?

भारतीय कनाडा

दुनिया के कई देशों में भारतीयों की उपस्थिति है, आज के समय को देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ देशों में स्थिति भारतीयों के लिए, विशेषकर हिंदू भारतीयों के लिए कुछ ठीक नहीं है। ब्रिटेन के लीसेस्टर में जिस तरह से योजनाबद्ध रूप में मंदिरों को निशाना बनाया गया उसे तो कतई अनदेखा नहीं किया जा सकता है। लेकिन अब कनाडा में रह रहे भारतीयों पर हमले की खबरें भी सामने आयी हैं जो डरा रही हैं।

भारतीयों के विरुद्ध हिंसक व्यवहार

ध्यान देने वाली बात यह है कि कनाडा के कुछ क्षेत्रों में खालिस्तान और पाकिस्तान समर्थकों के द्वारा भारतीयों के विरुद्ध हिंसक व्यवहार किए जाने की घटनाएं सामने आयी हैं। कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिकों और छात्रों पर एक के बाद एक हमलों ने सभी को अचंभित कर दिया है। साथ ही भारत ने इन विरोधी गतिविधियों को न रोकने पर अपनी नाराज़गी भी जाहिर की है। विदेश मंत्रालय के द्वारा शुक्रवार को एक विस्तृत एडवाइजरी जारी की गयी है जिसमें भारतीय नागरिकों और छात्रों को इस तरह के हमलों से सतर्क रहने की सलाह दी गयी है। इसके साथ ही भारतीय नागरिकों से madad.gov.in पर अपना पंजीकरण कराने की भी सलाह दी है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा में घृणा अपराध, नस्ली हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों से जुड़ी घटनाओं में बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही है। इस जारी एडवायजरी में कहा गया है कि भारतीय नागरिकों के विरुद्ध इस तरह की घृणा अपराध, नस्लीय हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों में बढ़ोतरी होने के बावजूद भी कनाडा के अधिकारियों ने दोषियों के विरुद्ध अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस पर कहा कि कनाडा में राजनीतिक कारणों से भारत विरोधी हिंसा पर कोई भी एक्शन नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह होने वाली कार्रवाई को भी आपत्तिजनक बताया है।

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प्रमुख मंदिर में तोड़फोड़

दरअसल, कनाडा के टोरंटो शहर में कुछ खालिस्तानी आतंकवादियों और पाकिस्तानी समर्थकों ने हिंदू धर्म के एक प्रमुख मंदिर स्वामीनारायण मंदिर में तोड़-फोड़ की है। इन खालिस्तानी आतंकवादियों ने  हिंदू मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान के कुछ नारे भी लिखे हैं। इस तरह गंभीर हमलों के बाद कनाडा में रहने वाले सभी भारतीयों ने इस पर अपनी नाराज़गी जताते हुए वहां के अधिकारियों से इस तरह के अपराध पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

इस मामले को संजीदगी से लेते हुए कनाडा भारतीय उच्चायोग ने भी इस पर जल्द से जल्द एक्शन लेने की बात कही और इस तरह के भारत विरोधी नारे लिखने पर कड़ी कार्रवाई करने की बात की है। भारतीय उच्चायोग ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से अपनी नाराजगी जताते हुए लिखा कि, ‘टोरंटो के स्वामी नारायण मंदिर में इस तरह की भारत विरोधी बातें लिखने और मंदिर को हानि पहुंचने को लेकर मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। साथ ही उन्होंने कनाडा के अधिकारियों से इस मामले में आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।

इससे संबंधित अपराधियों के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है जिसे लेकर मंत्रालय ने कहा कि ‘‘इस तरह के अपराधों के बढ़ते मामलों को मद्देनज़र रखते हुए कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिकों एवं छात्रों तथा वहां यात्रा और शिक्षा के लिए जाने वाले सतर्क रहें। साथ ही कनाडा में भारतीय नागरिक और छात्र ओटावा में भारतीय उच्चायोग और वेंकूवर में महावाणिज्य दूतावास के साथ संबंधित वेबसाइट या ‘मदद पोर्टल’ पर जाकर पंजीकरण करा सकते हैं।

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दो अन्य लोगों की जान गयी

कनाडा के ओंटारियो में हुई गोलीबारी में घायल होने वाले एक भारतीय छात्र की बीते शनिवार को मौत हो गयी थी। इस घटना में एक पुलिसकर्मी के साथ दो अन्य लोगों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी। इसमें घायल होने वाले भारतीय छात्र का नाम सतविंदर सिंह था, पुलिस ने हैमिल्टन सरकारी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान जान जाने की खबर दी थी।

इस हमले पर ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन ने निराशा जताते हुए कहा कि इस तरह की नफरत और अपराध का कनाडा में कोई स्थान नहीं है। मैं उम्मीद करता हूं कि इसके जिम्मेदार अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाकर खड़ा किया जाए।

साल 2021 में पहली बार ब्रैम्पटन के एक हिंदू सभा मंदिर और जगन्नाथ मंदिर में तोड़फोड़ का मामला सामने आया था। इसके बाद जनवरी के महीने में हनुमान मंदिर में तोड़फोड़ की वारदात हुई थी। उसी के कुछ दिन बाद इसी शहर के देवी दुर्गा के मंदिर में भी आतंकियों द्वारा तोड़फोड़ की गयी थी। इसके बाद 30 जनवरी को मिसिसॉगा में हिंदू हेरिटेज सेंटर में भी 2 व्यक्तियों ने मुख्य कार्यालय में जाकर तोड़फोड़ मचायी थी।

मोदी सरकार के द्वारा कनाडा और ब्रिटेन में होने वाली इन सभी घटनाओं के विभिन्न विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है। भारत सरकार लीसेस्टर में हुए भारतीय समुदाय हमले पर ब्रिटेन की सरकार से अपना विरोध दिखा चुकी है। मोदी सरकार इस तरह की घटनाओं पर किसी भी तरह की चुप्पी साधने का फैसला नहीं किया है। सरकार दोनों ही देशों में भारत के विरुद्ध सभी गतिविधियों का मुहं तोड़ जवाब देगी।

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अगर देखें तो अमेरिका के मुकाबले कनाडा में आपराधिक घटनाएं बहुत कम होती हैं लेकिन कनाडा से भारत विरोधी गतिविधियां लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। कनाडा में 6 लाख से भी अधिक विदेशी छात्र मौजूद हैं, जिनमें 2 लाख से भी अधिक भारतीय छात्र हैं। वहीं साल 2021 में लगभग 1 लाख भारतीय को कनाडा की नागरिकता मिल गयी थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा में रहने वाले स्थायी भारतीयों की कुल संख्या साल 2016 में 39 हजार 340 थी जो साल 2019 में बढ़कर 80 हजार 685 तक पहुंच गयी थी।

कनाडा में साल 2015 के चुनाव में 21 सांसद भारतीय थे। जिनकी संख्या साल 2019 के चुनाव में बढ़कर 23 हो गयी थी। वहीं साल 2021 में 17 सांसद भारतीय मूल के लोग थे। हरजीत सिंह सज्जन(भारतीय मूल) तो कनाडा के रक्षा मंत्री बन गए थे।

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जांच में मिले कई सबूत

एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) को अपनी जांच में ऐसे कई सबूत मिले थे, जिससे ये पता चलता है कि भारत में सांप्रदायिक तनाव और आतंक फैलाने के पीछे कनाडा में रहने वाले खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन का हाथ था। एनआईए के द्वारा पुलिस को खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस और कई दूसरे आतंकी संगठनों की टेरर फंडिंग से जुड़े सबूत दिए गए थे।

कनाडा को विश्व के सबसे सुरक्षित देशों में से एक बताया जाता है। साल 2021 के ग्लोबल पीस इंडेक्स में कनाडा छठे स्थान पर था। कनाडा को ये स्थान मिलने के पीछे देश में न के बराबर झगड़े, कम अपराध और राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखना बड़ा कारण था। लेकिन इस समय की जो स्थिति है उससे कनाडा की सुरक्षा संबंधी छवि पर दाग लग गया है।

ब्रिटेन में होने वाले हमलों के बाद सरकार की तरफ से सख्त कार्रवाई की गयी है लेकिन कनाडा की तरफ से अभी उस तरह की सख्त कार्यवाई नहीं हुई है। विदेश मंत्रालय ने कनाडा में हुए इस भारत विरोधी हिंसा को लेकर गहरी निराशा प्रकट की है। इस तरह की स्थिति देखते हुए यही लगता है कि अब कनाडा भारतीयों के लिए बिलकुल भी सुरक्षित नहीं रह गया है।

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